केन्द्र की सत्ता में कांगे्रस हो तो महंगाई का बढ़ना लाजिमी है। यू0पी0ए0 अपने दूसरे कार्यकाल में भी कई बार पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ा चुकी है। विगत 4 सितम्बर को इसके दाम बढ़ाए गये थे अब फिर डीजल के दामों मंे बढ़ोत्तरी कर दी गई है। सरकार ने तेल कंपनियों को डीजल की कीमत में हर महीने 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की भी इजाजत दे दी है। यह आम जनता के साथ निर्मम अत्याचार तथा सरासर धोखा है।
कभी ‘‘गरीबी हटाओ‘‘ का नारा देने वाली कांगे्रस अब पूरी तरह ‘‘गरीब हटाओ’’ के कार्यक्रम पर चल पड़ी है। आम आदमी की जिन्दगी और दूभर हो जाएगी। रेल भाड़ा, बस भाड़ा बढ़ने से परिवहन मंहगा हो जाएगा। ट्रकों द्वारा ढुलाई में माल भाड़ा बढ़ने से रोजमर्रा की चीजें खाद्यान्न, फल सब्जियाॅ सभी मंहगी हो जाएगी। इसका सीधा असर खेती की लागत पर पड़ेगा। पहले से ही उपज के लाभप्रद मूल्य से वंचित किसान और ज्यादा बदहाल हो जाएगा। कच्चे तैयार माल की कीमतें बढ़ेगी। लोहे और सीमेन्ट का उत्पादन, ढुलाई मंहगी होगी जिससे मकान बनाना महंगा हो जायेगा।
केन्द्र की कांग्रेस सरकार बड़े पूंजीघरानों की संरक्षक है। तेल कंपनियों की मुनाफाखोरी को पूरी छूट मिली हुई है। इन कंपनियों के बकाया रकम के आंकड़ों की निष्पक्ष और बेबाक विवेचना हो तो उनकी असलियत जगजाहिर हो जाएगी। सरकार ने छूट देकर इन कंपनियों के रहमोकरम पर अब आम आदमी को अपनी जिदंगी जीने को मजबूर कर दिया है। गरीब और गरीब होगा, अमीर की जेब और भारी होगी।
कांगे्रस के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार घरेलू अर्थ व्यवस्था को बुरी तरह से चैपट करने पर तुली है। खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश (एफडीआई) लाकर सरकार ने पहले ही छोटे व्यापार के चैपट होने की गारन्टी कर दी है। अब डीजल के दाम बढ़े तो तमाम उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत जरूर उछलेंगी। किसान इससे सर्वाधिक प्रभावित होंगे, क्योंकि चाहे सिंचाई हो या जुताई सभी में डीजल की जरूरत होती है।
स्पष्ट है कि कांगे्रस का आम आदमी की परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है। गरीब और किसान उसकी प्राथमिकता में न कभी रहा है और नहीं रहने वाला है। कांगे्रस की नीतियाॅ पूंजी परस्त हैं। बड़े उद्योग घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों की ही उसे चिंता रहती है। जनता अब लोकसभा चुनावों में कांगे्रस को सबक सिखाने के इंतजार में है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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