समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री ने झूठे प्रचार में हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबल्स को भी पीछे छोड़ दिया है। पूरे पांच साल लोकतंत्र की हत्या और जनविरोधी कार्यों के बाद उन्होंने कल अपने 57वें जन्मदिन को नर्इ दिल्ली के फाइव स्टार होटल ताज मान सिंह में ”जन कल्याण दिवस के रूप में मनाया। पाच साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने कितना जनकल्याण किया और दलित महापुरूषों को कितना सम्मान दिया इसके रिकार्ड कहीं ढूंढने जाने की जरूरत नहीं। उनके जन्म दिन के नाम पर जबरन चंदा वसूली में उनका ही एक पूर्व विधायक जेल में है। औरैया के एक इंजीनियर की हत्या के पीछे बसपा मुख्यमंत्री का जन्मदिवस ही था।
बसपा राज में जनकल्याण के नाम पर मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों, विधायकों और बसपा के दबंगों ने आत्मकल्याण का काम ही किया था। जनता की गाढ़ी कमार्इ पत्थरों पर लुटार्इ गर्इ और दलित किशोरियों की थाने तक में इज्जत खराब की गर्इ। डा0 अम्बेडकर जैसे संविधान निर्माता के साथ सुश्री मायावती ने अपनी प्रतिमाएं लगवा लीं। उसमें भी मोटा कमीशन वसूलना वे भूली नहीं। एक भी दलित उनके दरवाजे तक नहीं पहुच पाया। उनके सड़क पर निकलते ही जनता के लिए सभी रास्ते बन्द हो जाते थे।
पूर्व मुख्यमंत्री को अपने समय की करोड़ों रूपयों की योजनाओं की भी याद आ रही है। दरअसल ये सभी योजनाएं जनधन की लूट की साजिशें थीं। योजनाओं के शिलान्यास और उदघाटन के पत्थर तो खूब लगे पर योजनाएं कागज पर ही चलती रहीं। हा, उनके नाम पर बजट खूब लूटा गया। पाच सालों में न तो एक मेगावाट बिजली उत्पादित हुर्इ, नहीं सड़कें और पुल बने, किसान तबाह हुआ। विकास पर ध्यान नहीं दिया गया।
बसपा कुशासन में भ्रष्टाचार में पूरा प्रशासन तंत्र डूबा हुआ था। पंचम तल में मुख्यमंत्री कार्यालय कमीशन वसूली के नए-नए श्रोत तलाशने का शोध केन्द्र बन गया था। जनता ने सबक सिखाते हुए बसपा को सत्ता से बाहर कर दिया। लोकतंत्र में जनादेश का सभी सम्मान करते हैं। बसपा की अध्यक्ष इसे बराबर नकारती रही है। वे बहुमत की समाजवादी सरकार के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार कर रही है।
अपनी गलतियों और काले कारनामों के लिए प्रायशिचत करने और जनता के आदेश को सिर आखों पर रखने के बजाय पूर्व मुख्यमंत्री अब बसपा को केन्द्र में विकल्प बताकर जनता को बरगलाने में लगी है। उन्हें यह समझ कब आयेगी कि जनता सब जानती है और वह झूठे दावों के धोखे में आने वाली नहीं है। अगले पाच साल के बाद भी अब बसपा सुप्रीमों को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है। इसी बौखलाहट में वे ऊट पटांग बयानबाजी कर रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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