डैमेज मानक के कारण अभी तक के लक्ष्य के अनुरूप 65 हजार एमटी धान के सापेक्ष 29 हजार एमटी धान की खरीद हो पाई है। जबकि गत वर्ष 14 जनवरी तक 49 हजार एमटी धान की खरीद हो गई थी। सरकारी धान कूटने के लिए राइस मिलर्स को एफसीआई देता है। राइस मिलर्स इसे कूटर फिर एफसीआई को वापस करते है। केवल सरकार कुटाई का पैसा ही अदा करती है। अबकी बार एफसीआई ने डैमेज मानक 3 प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत बहुत हाय तौबा के बाद किया। तीन प्रतिशत में रिजेक्ट करना प्रारम्भ कर दिया था। राइस मिलर्स ने तब धान लेने से इनकार किया तब चार प्रतिशत पर किया गया। लेकिन चावल आपूर्ति प्रति लाट 5600 रूप्ये कटौती प्रारम्भ कर दी।1 लाख में 270 कुन्तल चावल माना जाता हैं। 20 रूपये प्रति कुन्तल डैमेज मानक पर मिलर्स ने लेने से इनकार कर दिया। इस प्रकार धान खरीद लक्ष्य के पहले ही अटक गई। जबकि समर्थन मूल्य 1250 रूपये प्रति कुन्तल घोषित है। राइस मिलर्स एशोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली तक दौड़ लगाकर बातचीत का रास्ता अपनाकर प्रयासरत है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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