काम वाला हो या बेरोजगार आदमी आज घर घर नशे का शिकार आदमी

Posted on 14 January 2013 by admin

‘काम वाला हो या बेरोजगार आदमी आज घर घर नशे का शिकार आदमी’  आज शायद कोई भी इस बात से इंकार नही कर सकता कि हमारे जिले मे गिनती मे गिने जा सकने योग्य लोग बचे होगे।
घर कोई नही बचा होगा जो किसी ना किसी प्रकार के नशे की गिरफत् मे ना आ गया हो । वो नशा चाहे पान का हो, पान मसाले का, शराब का या भांग और गांजे का हो अथवा सिगरेट का। सबसे ज्यादा किशोरावस्था और युवा वर्ग के लोग नशे का शिकार है या हो रहे है तम्बाकू या तम्बाकू उत्पादो का प्रयोग बहुतायत से देखने को मिलता है।
गांव से लेकर शहर तक जिधर भी नजर दौडाइये नशा करने वाले दिखते है क्या नौकरी वाले क्या बेरोजगार सब इसके आदी है सबके पास अपने अपने कारण है कोई पढते समय नींद दूर करने के लिए खैनी का प्रयोग करता है।
किसी के लिए पान मसाला चबाना टाइम पास है शराब पीकर लोग तनाव दूर करते है और सिगरेट पीकर ज्यादा आधुनिक दिखाई देते है। हमारे नैतिक मूल्यो मे लगातार आ रही गिरावट का ही नतीजा है कि लोग अपने अबोध बच्चो तक से पान मसाला या सिगरेट दुकानो से मंगाने लगे है।
जरा सोचिये कि आपके लिए ये जरा सी लगने वाली आम बात आपके बच्चे और समाज के लिए कितनी घातक साबित हो सकती है ऐसे गलत कार्यो से बच्चे के अन्दर नकारात्मक चरित्र का विकास होता है ऐसे बच्चो के लिए क्या गलत काम क्या सही काम आप खुद तो बरबाद है ही भावी पीढी को भी बरबाद करने मे लग गये है।
आज शराब का सेवन करने वाला एक वर्ग ऐसा भी है जो यह कहता है कि हमारी जॉब प्रोफाइल ऐसी है कि हमे शराब पीना पडता है मेरी जानकारी मे आज तक कोई ऐसी जांब नही बनाई गई है सरकारी स्तर पर या गैर सरकारी स्तर पर जिसकी उम्मीदवारी के लिए कहीं लिखा हो कि अभ्यर्थी को शराब पीना जरुरी होगा ।
ना जाने क्यो लोग ऐसी बेसिर पैर की बात करते है उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे किशोर वर्ग और युर्वा वर्ग सिगरेट पीना स्टेटस सिंबल मानते है जनाब जीते जी मुंह मे आग लगाना कहॉ का और कैसा स्टेटस सिंबल है ।
अगर अबोध बच्चो को छोड दे तो हर उम्र्र के लोग किसी ना किसी प्रकार के नशे का सेवन करने के आदी हो चुके है जिले के चिकित्सक डा० अनिल की माने तो ऐसा कोई भी नशा नही है जिसका दुष्प्रभाव शरीर पर ना पडता हो उन्होने संक्षेप मे बताया कि खैनी से आंखो की रोशनी पर, गुटके से दांत, मुंह और गले पर, शराब से लीवर पर बहुत बुरा प्रभाव पडता है ।
बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होने कहा कि जहॉ सिगरेट, बीडी का दुष्प्रभाव फेफडे पर होता है वही गांजा, भांग और नीद की गोलियों का सेवन करने से दिमागी असुंतुलन की संभावना बढ़ती है । आज शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जहॉ महिला अपने पति के नशे की आदत का विरोध आये दिन झगडा करके न करती हो ।
क्या फायदा ऐसे  नशे का जिससे परिवार मे कलह हो, स्वास्थ्य खराब हो सम्मान का हृास हो और चारित्रिक पतन हो वेद शास्त्रोे की बात अगर की जाय तो नशा करना असुरो यानी राक्षसो का काम बताया गया है हम इंसानो को इसका क्या काम ।
सब जानते है नशा करना गलत है लेकिन दिल से मानता कौन है दिलो दिमाग से सच्चाई को स्वीकार कर लिया जाय तो समस्या ही क्या नशा वो चाहे जिस प्रकार का हो और चाहे जिस रुप मे इसका सेवन किया जाय हमारे स्वास्थ्य और चरित्र के लिए ठीक वैसे है जैसे आप साफ कपडा पहन कर निकले और थोडी थोडी देर बाद उस पर सडक से मिटटी उठाकर मलते हुए चले ।
बडी विचित्र कल्पना है लेकिन दुर्भाग्यवश हमारी जीवन शैली आज ऐसी ही हो गई है आज जरुरत है इसे नशे की गंभीर समस्या के निराकरण की क्योकि अगर सब कुछ इसी रफतार से चलता रहा तो वो दिन दूर नही जब नशा ना करने वाले इंसान का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड मे लिखा जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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