जनपद सुलतानपुर उ०प्र० का अनोखा जिला है यहां न शासनादेश चलता है न न्यायालयादेश बल्की इनको न करने वाले समझे जाते है माननीय और मिलता है सम्मान और प्रोटोकाल ।
गौरतलब हो कि सुलतानपुर मे काली फिल्म लगे शीशे वाली गाडियों को जिले के संभागीय परिवहन अधिकारी और जिले के यातायात प्रभारी व उपनिरिक्षक के द्वारा बेहद सम्मान दिया जाता है और तो और जनपद के सिपाही व दरोगा ऐसी गाडियों मे सवार लोगो को सैल्यूट तक बजाते है अगर गाडी कही रुकी भी है तो उन्हे बाकायदा चाय सम्मान भी दिया जाता है ।
यही नही शादी विवाह, तीज त्योहारो पर यातायात भी ऐसी गाडियों के लिए सुगम बनाया जाता है और तो और कई कई गाडियों के काफिले मे चल रही सभी लग्जरी गाडियों को और उसमें बैठे अवैध असलहे धारियों को पुलिस के उच्चाधिकारी देख कर भी अनदेखा करते है । बीते दिनो चाहे विकास की बैठक हो या प्रभारी मंत्री का कार्यव्रहृम हो या किसी सत्त्ताधारी के आवास पर विवाह समारोह हो उसमे काली फिल्म लगी लग्जरी गाडियों की भरमार रही जहां जिले के उच्चाधिकारी भी उपस्थित रहे मगर किसी की क्या मजाल जो इन वी०वी०आई०पी० नम्बर धारियों और काली फिल्म लगी गाडियों से शासनादेश और कोर्ट के आदेश का पालन करवा पाये । उल्टे उन्हे प्रणाम कर आर्शीवाद लेना ही जनपद का कानून बन चुका है ।
होमगार्ड से लेकर अधिकारी तक जानते है कि इन गाडियों मे जायज नाजायज बैध अवैध न जाने कितने असलहे मौजूद है और न जाने कितने अपराधी तत्व गैर प्रदेशो के भी मौजूद है मगर इन्हे छूना, टोकना सख्त मना है । चाहे ये कही भी सभा करे या अपराध मगर है तो वी०वी०आई०पी० इन्हे रोकने टोकने की मनाही है । ज्यादा व्रहृोध और रौब चुकरे तो किसी रिक्से वाले, तांगे वाले को भरे बाजार पीट दो और खुन्नस निकाल लो ये ऐसी गरीबो की आबादी है जिसकी पीडित आवाज न उच्चाधिकारी सुनेगें न सरकार, है न कमाल का जनपद जहां नियम कानून, शासनादेश वगैरह सब कागजी बाते है ।
यही हाल आर०टी०ओ० दफ्तर का है जहां वी०आई०पी० नम्बर केवल धनाड््यों और ऐेसे कानून तोडक लोगो की लग्जरी के लिए आर०टी०ओ० की जेब मे रखा रहता है उसे किसी आम जनता को नही दिया जा सकता यहां तक कि पत्रकारो को भी नही ।
सोचिये अगर यह हाल है तो अकेले भारत भर की न्यायपालिका व सरकारे आदेश पर आदेश देती रहे राजधानी से चलने वाला यह आदेश मात्र १४० किमी० दूर सुलतानपुर आते आते महज पतंगी कागज बन कर उड जाता है और वही होता है जो पुलिस के उच्चाधिकारी व माननीय चाहते है अगर पालन जरुरी भी हुआ तो उसे दो पहिया व आटो वालो पर सख्ती से लागू कर दिया जाता है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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