समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि प्रदेश की राजनीति में भले ही भाजपा और बसपा अलग अलग दल हों लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार के खिलाफ वे जैसे एक सुर-एकताल में बोल रहे है उससे जातीय और सांप्रदायिक ताकतों के गठजोड़ का इशारा साफ हो जाता है। बसपा अभी तक सत्ता से बाहर होने का सदमा लिए बौखलाई हुई है जबकि भाजपा को दूर-दूर तक सत्ता सिंहासन का ख्वाब भी नहीं आ रहा है। दोनों जनता से ठुकराए हुए हैं और समाजवादी पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार में एका बनाए हुए हैं।
बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती को समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के पहले दिन से ही प्रदेश में कानून व्यवस्था का अंधेरा पक्ष दिखाई देने लगा है। उन्हें अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान बलात्कार, हत्या और लूट की घटनाओं के आंकड़े याद नहीं आ रहे हैं। उन्हें यह भी याद नहीं आ रहा है कि खुद उन्होने कहा था कि उनकी पार्टी में 500 अपराधिक चरित्र के लोग हैं। बसपा नेत्री पता नहीं कैसे यह भूल गई है कि उनके शासनकाल में ही आधा दर्जन मंत्री/विधायक बलात्कार, अपहरण और हत्या में आरोपित होकर जेल पहुॅच गए थे। उनके जमाने में थाने तक में किशोरियों की इज्जत नहीं बच पाई थी।
लगता है कि भाजपा बसपा के प्रति अपने पुराने प्रेम की वजह से उनकी हां में हां मिलाते हुए समाजवादी पार्टी की खिलाफत में जुटी हुई है। बसपा पहले भी भाजपा के समर्थन और सहयोग की बदौलत सरकारें बना चुकी है। भाजपा को बसपा पर आगे भी उनका साथ देने का भरेासा है। भाजपा और बसपा दोनों भली भांति जानती है कि समाजवादी पार्टी समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के प्रति समर्पित है। वह जाति और सांपद्रायिकता की राजनीति से कोसों दूर है।
दलित महिला मुख्यमंत्री होते हुए भी कभी किसी दलित के दुःखदर्द में शरीक न होनेवाली सुश्री मायावती अगर प्रदेश के अपराध रिकार्ड ही एक बार देख लें तो उन्हें यह समझ आजाएगी कि बसपाराज से दलित उत्पीड़न के मामले कम हुए हैं। बसपाराज में जहां 2010-11 में हत्या के 11, बलात्कार के 16 मामले और 2011-12 में क्रमशः 18 और 48 मामले दर्ज हुए थे वही 2012-13 में हत्या के 7 और बलात्कार के कुल 11 मामले ही दर्ज किए गए हैं।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने शपथ ग्रहण के साथ ही यह स्पष्ट कर दिया था कि अब अपराधियों की जगह जेल होगी। भूमाफिया और अन्य दबंगों पर कानून सख्ती करेगा। इसके नतीजे में अपराधों पर काबू पाया जा सका है और आम जनता को राहत मिली है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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