उत्तर प्रदेश के श्री राज्यपाल द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद-200 में प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) (संशोधन) विधेयक-2012 पर अनुमति प्रदान कर दी गयी है। यह राज्य का अधिनियम बन गया है। इस अधिनियम के अनुसार इससे सम्बन्धित मूल अधिनियम 1994 की धारा-3 मंे मा0 सर्वोच्च न्यायालय की अपील संख्या-2679/2011 के अनुसार अधिकारिता (अल्ट्रा-वायरस) अभिनिर्धारित किया गया था, जिसमें यह व्यवस्था की गयी थी कि यदि अधिनियम के प्रारम्भ होने के दिनांक को पदोन्नति द्वारा भरे जाने वाले पदों पर नियुक्ति के लिए सरकारी आदेशों के अधीन आरक्षण लागू हो तो ऐसे सरकारी आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक उन्हें उपान्तरित या विखण्डित न किया जाये। इस व्यवस्था को मा0 सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को कार्यान्वित करने के उद्देश्य से यह विनिश्चय किया गया है कि उक्त अधिनियम की धारा-3 की उपधारा-7 को निकाल दिया जाये, अर्थात प्रोन्नति में आरक्षण व्यवस्था नहीं लागू होगी।
यह जानकारी विशेष सचिव विधायी उत्तर प्रदेश ने दी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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