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देश के अन्य राज्यों की तुलना में, उत्तर प्रदेश में हर प्रकार के अपराध में वृद्धि के कारण ध्वस्त हुयी कानून व संवैधानिक व्यवस्था के कारण उ.प्र. में राष्ट्रपति शासन लागू करने की बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी की माँग

Posted on 08 January 2013 by admin

  • उत्तर प्रदेश बी.एस.पी. के वरिष्ठ पदाधिकारियों, सांसदों एवं विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न
  • उत्तर प्रदेश सपा सरकार की जुल्म-ज्यादतियों व उत्पीड़न के खिलाफ डटकर मुकाबला करने के क्रम में, न्याय नहीं मिलने की स्थिति में, कोर्ट-कचहरी का भी सहारा लेने की सलाह
  • उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की ’’क्रीमी लेयर’’ सीमा को घटाकर दो लाख रूपये करने का सपा सरकार का फैसला ओ.बी.सी. वर्ग-विरोधी व गैर कल्याणकारी: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी

बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) एवं पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश माननीया बहन कुमारी मायावती जी ने आज यहाँ पत्रकारों से बात करते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश में यहाँ अब तक देश के अन्य राज्यों की तुलना में हर प्रकार के अपराध अर्थात् ‘‘चोरी, डकैती, लूटमार, फिरौती, अपहरण, हत्या, बलात्कार व साम्प्रदायिक दंगों‘‘ आदि की वारदातें बहुत तेजी से बढ़ी हैं और इस मामले में खासतौर से प्रदेश में आयेदिन मासूम बच्चियों व महिलाओं के साथ बलात्कार व अन्य हो रही जघन्य घटनाओं ने तो यहाँ की आमजनता का दिल-दहलाकर रख दिया है। अभी हाल ही में दिल्ली से सटे नोयडा की एक दलित वर्ग की लड़की के साथ हुई इस किस्म की वारदात व फिर उसकी की गई हत्या इस बात का भी ताजा-ताजा उदाहरण आप लोगों के सामने मौजूद हैं, जिसमें वहाँ की पुलिस ने इस घटना को दबाने के लिए, देर रात को ही इस मृतक लड़की का खुद दाह संस्कार करने की भी पूरी-पूरी कोशिश की है। लेकिन वहाँ की जनता व मीडिया के दखल की वजह से ही फिर यहाँ की पुलिस अपने इस घिनौने मकसद में कामयाब नहीं हो सकी है।
परन्तु इससे भी ज्यादा दुःख की बात यह है कि वर्तमान सपा सरकार इन सब अपराधों में लिप्त दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करवाने की बजाय ज्यादातर इन अपराधों व घटनाओं को दबाने में अपनी पूरी ताकत झोके हुये हैं। इतना ही नहीं बल्कि प्रदेश की इस किस्म की दयनीय व लचर कानून-व्यवस्था से यहाँ की जनता का ध्यान हटाने के लिए अब यह सरकार आयेदिन नई-नई थोथी व हवाई घोषणायें करती रहती है। जैसे उदाहरण के तौर पर अभी हाल ही में एक तरफ तो इस सरकार ने प्रदेश के ओ.बी.सी. वर्गों के छात्रों को कुछ और छात्रवृत्ति देने की बात कही है। तो वहीं दूसरी तरफ यहाँ इन ओ.बी.सी.  वर्गों की ‘‘क्रीमी लेयर‘‘ की सीमा को घटाकर अब मात्र 2 लाख रूपये कर दिया गया है, ताकि इन्हें इसका ज्यादा लाभ ना मिल सके, जिसके बारे में पूरी जानकारी इस प्रेस-नोट में नीचे वर्णित है।
इसलिए ऐसी स्थिति में अब मेरा मीडिया के माध्यम से उ.प्र. के महामहिम श्री राज्यपाल जी से यह कहना है कि वे इन सब मामलों का भारतीय संविधान के परिपेक्ष्य में गम्भीरता से खुद संज्ञान लेकर इसकी पूरी जानकारी देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदय के सामने रखते हुये, यहाँ राष्ट्रपति शासन लागू कराने की जरूर सिफारिश करें। और वैसे भी कल लखनऊ में माननीय राष्ट्रपति जी वर्तमान सपा सरकार के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में यहाँ शामिल हो रहे हैं। अर्थात् उनके सामने यह सब सही तथ्य महामहिम श्री राज्यपाल जी, को जरूर रखने चाहिये। हालांकि ये सभी तथ्य हमारी पार्टी के सांसद, विधायक व मैं खुद भी महामहिम राष्ट्रपति महोदय के सामने रख सकते हैं, लेकिन हमें फिर यहाँ सत्तापक्ष के लोग इसे राजनैतिक द्वेष की बात कहकर इस मामले को रफा-दफा करने की पूरी-पूरी कोशिश कर सकते हैं। इसीलिए हमारी पार्टी ने मीडिया के माध्यम से उ.प्र. के महामहिम श्री राज्यपाल जी से आज यह गुजारिश की है।
इसके साथ-साथ पिछले महीने हुई दिल्ली गैंगरेप की घटना के सम्बन्ध में भी मैं यह कहना चाहती हूँ कि इस दुःखदायक व अति चिन्ताजनक घटना की आड़ में पिछले कई दिनों से महिला उत्पीड़न रोकने को लेकर यहाँ विभिन्न संगठनों व कुछ राजनैतिक नेताओं द्वारा जो किस्म-किस्म की बेबुनियाद व तथ्यहीन बयानबाजी की जा रही है। उससे ऐसा लगता है कि इस घटना के दोषियों को सख्त सजा दिलवाने व महिलाओं पर आयेदिन हो रही जघन्य घटनाओं को रोकने के लिए जो देशभर में इस समय जबरदस्त मुहिम चल रही है। उसे रोकने की यह कोशिश की जा रही है। इसलिए इस मामले में देश की जनता को काफी ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
तदुपरान्त बहुजन समाज पार्टी के उत्तर प्रदेश के सभी छोटे-बड़े प्रमुख वरिष्ठ पदाधिकारियों, सांसदों व विधान सभा व विधान परिषद सदस्यों की आज यहाँ उ.प्र. स्टेट कार्यालय, 12 माल एवेन्यू, लखनऊ में एक अहम् बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता  बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) एवं पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश माननीया बहन कुमारी मायावती जी ने की।
इस बैठक में उत्तर प्रदेश में वर्तमान सपा सरकार के कार्यकाल में क़ानून-व्यवस्था व अपराध-नियन्त्रण की बिगड़ी स्थिति व दिन-प्रतिदिन और ज़्यादा ख़राब होती परिस्थति के साथ-साथ राजनीतिक द्वेष व दुर्भावना के तहत् ख़ासकर बी.एस.पी. के सर्वसमाज से जुड़े लोगों के खि़लाफ गाँव-गाँव व क़स्बों-क़स्बों में हो रही उत्पीड़न के खि़लाफ  एफ.आई.आर. तक नहीं लिखे जाने पर गहरी चिन्ता व आक्रोश व्यक्त किया गया और साथ ही संतोष व्यक्त किया गया कि बी.एस.पी. से जुड़े सर्वसमाज के लोग हर स्तर पर काफ़ी डटकर परिस्थिति का सामना कर रहे हैं।
साथ ही, ऐसी वर्तमान परिस्थिति में जब अधिकारी वर्ग स्वयं ही सपा के गुण्डों, माफियाओं व अन्य असामाजिक तत्वों के कोपभाजन का शिकार होकर त्रस्त हैं, तो उनसे आपेक्षित न्याय नहीं मिल पाने की स्थिति में ‘‘माननीय न्यायालय‘‘ के माध्यम से न्याय हासिल करने की सलाह दी गयी। किन्तु, हर हाल में सपा की जुल्म-ज़्यादती व उत्पीड़न के खि़लाफ कड़ा संघर्ष करते रहना है अर्थात् जुल्म-ज़्यादती सहन नहीं करना है, उसका क़ानूनी तौर से विरोध करना है ताकि ज़ालिम का मनोबल बढ़कर सर्वसमाज के लिये घातक नहीं साबित हो।
इसके साथ-साथ, पार्टी संगठन की तैयारियों के सम्बन्ध में गहन समीक्षा की गयी एवं सभी जिम्मेवार पदाधिकारियों को पार्टी का निर्धारित काम, गाइडलाइन्स के हिसाब से युद्ध-स्तर पर समय से पूरा करने का निर्देंश दिये गये।
इसके अलावा, जैसाकि सर्वविदित है कि भारत में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका बहन कुमारी मायावती जी का जन्म-दिन दिनांक 15 जनवरी को ‘‘जन-कल्याकारी दिवस‘‘ के रूप में देशभर में मनाया जाता है और उत्तर प्रदेश में तो यह विशेषतौर से काफी जोश व शानदार तरीक़े से मनाया जाता है, जिसकी तैयारी की भी समीक्षा की गयी। उत्तर प्रदेश में जि़ला स्तर पर बड़े पैमाने पर होने वाले इस जन्म-दिन कार्यक्रम में उस क्षेत्र में रहने वाले ग़रीब, असहाय, मज़लूम व विकलांगजनों को कि़स्म-कि़स्म की मदद की जाती है।
आज की बैठक में माननीय विधायकों को भी निर्देंशित किया गया कि वे अपने-अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के निदान की प्रति गम्भीर रहें और उनकी दुःख, तकलीफो को दूर करने का भरसक क़ानूनी प्रयास करें, क्योंकि यही बी.एस.पी. की वास्तविक पूँजी है।
इसी प्रकार, माननीय सांसदगणों को अगाह किया गया कि लोकसभा का आमचुनाव सन् 2014 के प्रारम्भ में निर्धारित समय से काफी पहले अर्थात् इसी वर्ष सन् 2013 में ही किसी समय संभव है, जिसके हिसाब से उन्हें भी तैयार रहना ज़रूरी है। साथ ही, संसद के अगले बजट सत्र में जो संभवतः यू.पी.ए. सरकार का अन्तिम सत्र साबित हो, पार्टी के सांसदों को जनहित के मुद्दों को लेकर पूरी तैयारी व मुस्तैदी के साथ कार्यवाही में भाग लेना है।
इससे पहल,े बहन कुमारी मायावती जी ने बैठक में उपस्थित सभी छोटे-बड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों, सांसदों व विधायकों को नव-वर्ष सन् 2013 की हार्दिक बधाई व शुभ-कामनायें दीं, जिसके जवाब में उन लोगांे ने बी.एस.पी. मूवमेन्ट को नई बुलन्दी पर ले जाने एवं चुनावों में भी अच्छा रिज़ल्ट दिखाने का दिनांक 9 अक्टूबर सन् 2012 को  ‘‘बी.एस.पी. संकल्प राष्ट्रीय महारैली‘‘ में लिये गये संकल्प को अमलीजामा पहनाने का आश्वासन बहन कुमारी मायावती जी को दिया।
उल्लेखनीय है कि बैठक के इस क्रम में ही अभी हाल ही में दिनांक 3 व 4 जनवरी सन् 2013 को लखनऊ में पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र व गुजरात एवं दक्षिणी राज्यों-कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, व केरल एवं पांडिचेरी की बैठक में पार्टी संगठन की तैयारियों की समीक्षा सुश्री मायावती जी ने की थी। इस बैठक के फलस्वरूप दक्षिणी राज्यों का      ‘‘बी.एस.पी. महाधिवेशन‘‘ दिनांक 10 फरवरी सन् 2013 को बेंगलुरू में तथा महाराष्ट्र राज्य का बी.एस.पी. महाधिवेशन अगले माह ही दिनांक 17 फरवरी को नागपुर में करने का फैसला लिया गया।
और जहाँ तक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.-OBC) में यादव समाज को छोड़कर अन्य सभी अन्य पिछड़े वर्ग की विभिन्न जातियों के प्रति वर्तमान सपा सरकार का रवैये का मामला है तो यह हर स्तर पर काफी ज्यादा ’’उपेक्षा व पक्षपातपूर्ण’’ नजर आता है। इस सम्बन्ध में बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी का कहना है कि वह कोई यादव समाज के खिलाफ कतई नही हैं बल्कि उनका यह कहना है कि आरक्षण आदि अन्य सभी सुविधाओं का लाभ ओ.बी.सी. में केवल एक जाति विशेष खासकर यादव समाज के लोगों को मिलने के बजाय अर्थात यादव समाज के साथ-साथ ओ.बी.सी. की अन्य जातियों को भी समुचित तौर पर मिलना चाहिये ताकि वे भी समाज की मुख्य धारा में आ सके।
जबकि उत्तर प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार अपनी इसी सोच व नीति पर अमल करते हुये अभी हाल ही में अन्य पिछड़ा वर्ग (अल्पसंख्यक पिछड़े वर्ग को छोड़कर) छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति के सम्बन्ध में दिनांक 05 जनवरी, सन् 2013 को मंत्रिमण्डल के माध्यम से जो फैसला लिया गया है, वह वास्तव में भ्रामक व पिछड़ा वर्ग विरोधी फैसला है, क्योंकि इसका लाभ प्राप्त करने वाले अभिभावकों की आय सीमा दो लाख प्रति वर्ष करके लाभार्थियों की संख्या काफी कम कर दी गयी है, जबकि बी.एस.पी. सरकार ने ’क्रीमी लेयर’’ की यह सीमा तीन लाख से बढ़ाकर पाँच लाख रूपये करके ओ.बी.सी. वर्ग के ज्यादा से ज्यादा परिवारों को इसका लाभ पहुँचाने का काम किया था और साथ ही अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों के लिये क्रीमी लेयर की वार्षिक आय सीमा बढ़ाकर पाँच लाख रूपये करने की केन्द्र सरकार से भी जोरदार माँग की थी।
इस प्रकार, बी.एस.पी. सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में पहली बार वर्ष 2007-2008 अर्थात पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के फौरन बाद ही पिछड़े वर्ग के दशमोत्तर कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्र-छत्राओं को प्रवेश शुल्क प्रतिपूर्ति योजना लागू करके लगभग 30 करोड़ रूपये तथा वर्ष 2008-2009 में 218 करोड़ से ज्यादा धनराशि आवंटित करके लगभग 15 लाख ओ.बी.सी. वर्ग के छात्र-छत्राओं को लाभाविन्त किया था। इतना ही नही, बल्कि अगले वर्ष ही वर्ष 2009-2010 में यह राशि बढ़ाकर 233.41 करोड़ रूपये करके करीब 20 लाख    ओ.बी.सी. छात्र-छत्राओं की आगे की शिक्षा के लिये सहायता प्रदान की गयी थी।
परन्तु, वर्तमान सपा सरकार में अभिभावकों की आय सीमा घटाकर दो लाख रूपये कर देने से ओ.बी.सी. वर्ग के लाभ प्राप्त करने वाले छात्र-छत्राओं की संख्या काफी कम हो जायेगी। इस प्रकार, सपा सरकार यह फैसला अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी ही कहलायेगा।
इसके साथ-साथ, वर्ष 1995 में ही अर्थात आज से लगभग 17 वर्ष पूर्व ही बी.एस.पी. की पहली सरकार बनने पर ही दिनांक 12 अगस्त सन् 1995 को, देश में पहली बार, समाज कल्याण विभाग से अलग करके, अलग से ’’उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग’’ की स्थापना, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन, सरकारी छात्रावासों में अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों हेतु 27 प्रतिशत आरक्षण सुविधा, ओ.बी.सी. आरक्षण अधिनियम में    21 मूल जातियों में 37 उप-जाति/उपनाम को शामिल करना एवं दूसरे शासनकाल के दौरान सन् 1997 में कक्षा 3 से कक्षा 9 तक के छात्रों के बीच करीब 12 लाख करोड़ की छात्रवृत्ति से करीब तीन लाख छात्रों को लाभ पहुँचाना आदि तथा सन् 2002-2003 में    बी.एस.पी. के तीसरे शासनकाल में ही अन्य पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों की ’’क्रीमी लेयर’’ की आय सीमा एक लाख से बढ़ाकर तीन लाख वार्षिक करना और फिर चैथे शासनकाल में यह आय सीमा को बढ़ाकर पाँच लाख का निर्धारण आदि ऐसे अनेकों काम हैं, जिनसे     ओ.बी.सी. वर्ग के लाखों परिवारों का मूल रूप से वास्तविक भला हुआ है, जिसका सीधा श्रेय बी.एस.पी. के सर है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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