भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने सपा सरकार द्वारा विधानसभा की 125वीं वर्षगांठ मनाये जाने के कार्यक्रम को सरकारी खर्चे पर सपाई महोत्सव बताया है। श्री बाजपेयी ने कहा कि भारतीय परिषद अधिनियम 1861 के अन्तर्गत गठित यह संस्था सन् 1887 में गवर्नर द्वारा मनोनीत परामर्शदात्री समिति जैसी थी। यह न तो विधानसभा थी और न ही संवैधानिक विधान परिषद। इसके पूरे 9 सदस्य अंग्रेज गवर्नर द्वारा नामित थे। यह न संवैधानिक सदन था और न ही इसमें संसदीय परिपाटी का ही पालन किया जाता था। सरकार ने इसी की उत्तरशती रजत जयंती समारोह पर यह सपाई आयोजन किया है। डाॅ0 बाजपेयी ने पत्रकारों को उक्त समारोह में बांटी गई 16वीं विधानसभा शीर्षक की पुस्तिका दिखाते हुए कहा कि यदि यह 16वीं विधानसभा है तो 125वीं वर्षगांठ कैसे?
प्रदेश अध्यक्ष ने सवाल उठाया कि यदि आज यह उत्तरशती समारोह उचित है तो तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्री केशरीनाथ त्रिपाठी के संयोजन में 8 जनवरी 2003 को इलाहाबाद में 116वीं जयंती का आयोजन क्यों गलत था? लेफ्टिनंेट गवर्नर की नेतृत्व वाली इस संस्था की पहली बैठक थार्न हिल मेन मेमोरियल हाल इलाहाबाद में हुई थी। विधानसभा अध्यक्ष श्री त्रिपाठी के संयोजन में हुए इस आयोजन का विरोध करते हुए तब समाजवादी पार्टी ने इसका बहिष्कार किया था। सपाई बहिष्कार का यह समाचार 4 जनवरी 2003 के समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपा था।
डाॅ0 बाजपेयी ने कहा कि भाजपा ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार इसलिए नहीं किया कि हमारी पार्टी संसदीय परम्पराओं का आदर करती हैं लेकिन खेद है कि इस समारोह में विधानसभा के दो पूर्व अध्यक्षों श्री केशरीनाथ त्रिपाठी व सुखदेव राजभर तथा विधान परिषद के तीन पूर्व सभापतियों ओम प्रकाश शर्मा, मानवेन्द्र सिंह व सुखराम चैधरी की उपेक्षा की गई। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री श्री राजनाथ सिंह, श्री कल्याण सिंह, सुश्री मायावती व पूर्व मुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यपाल श्री राम नरेश यादव जी को भी यह सरकार भूल गई। विधायी संस्थाओं से जुड़े सभी समारोहों में सदन के अध्यक्ष ही प्रमुख आयोजक होते हैं। संसदीय परिपाटी में अध्यक्ष/पीठासीन सदन का सर्वोपरि संरक्षक होता है। लेकिन इस कार्यक्रम को सरकार ने आयोजित किया और संयोजक राजस्व मंत्री बनाये गये। पूर्व विधायकों के सम्मेलन में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मुख्य अतिथि बनाया गया है। पूर्व विधायक सभी दलो के हैं। विधानसभा अध्यक्ष इस कार्यक्रम के अध्यक्ष होते तो उचित था। यह कार्यक्रम पूरी तरह से राजनैतिक महोत्सव हो गया है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ध्वस्त कानून व्यवस्था, ध्वस्त बिजली व्यवस्था और ठंड से हो रही मौतों जैसे बुनियादी सवालों से आम जनता का ध्यान हटाने के लिये समाजवादी पार्टी ने यह आयोजन किया है। आवश्यकता यह थी कि सरकार अपनी प्राथमिकता में कानून को ठीक करने के कड़े उपाय करती। ठंड से मर रहे गरीबों को सहायता पहुंचाती। किसानों के लिये धान खरीद केन्द्रों की व्यवस्था करती लेकिन पूरी सरकार अपनी नौकरशाही सहित इस आयोजन में लगी हुई है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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