उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के गौरवमयी 125 वर्ष पूर्ण होने पर ’’उत्तरशती रजत जयन्ती समारोह’’ से सम्बन्धित पूर्ण एक पृष्ठ के सरकारी विज्ञापन में विधान सभा अध्यक्ष एवं सभापति, विधान परिषद की उपेक्षा व अनदेखी करने पर बी.एस.पी. ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहाकि लोकतांत्रिक मर्यादाओं व परम्पराओं के साथ सपा सरकार का इस प्रकार से खिलवाड़ करना उसकी द्वेष व दूषित मानसिकता को उजागर करने वाला एक और कृत्य है।
उल्लेखनीय है कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में विधान सभा अध्यक्ष एवं विधान परिषद के सभापति की संवैधानिक संस्था का विशेष महत्व हैं और इसी कारण प्रोटोकाल में भी उन दोनों को उच्च स्थान प्रदान किया गया है।
उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के 125 वर्ष पूरे होने पर ’’उत्तरशती रजत जयन्ती समारोह’’ मनाया जाना कोई गलत बात नही है, परन्तु इस कार्यक्रम के लिये सपा सरकार द्वारा जारी पूरे पृष्ठ के विज्ञापन में विधान सभा अध्यक्ष एवं विधान परिषद के सभापति की पूरी तरह से अनदेखी करना सर्वथा गलत है, क्योंकि वास्तव में यह समारोह तो उन्ही संस्थाओं का है, ना कि राज्य सरकार के किसी विभाग का है। अर्थात जो संस्था अपना गौरवमयी 125 वर्ष मनाने के लिये समारोह आयोजन की मेज़बानी कर रही है, उसी लोकतांत्रिक संस्था के प्रमुखों की पूर्ण रूप से अनदेखी व उपेक्षा करते हुये, केवल सरकार से जुड़े लोगों की ही तस्वीर प्रदर्शित करना एक ऐसा अलोकतांत्रिक व अमर्यादित कार्य है, जिसकी जितनी भी निन्दा की जाये, वह कम है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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