प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आज़म खाॅ ने आज यहाॅ जारी अपनी एक प्रेस वक्तव्य में कहा कि अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं हेतु दशमोत्तर छात्रवृत्ति/ शुल्क प्रतिपूर्ति से संबंधित महत्वकांक्षी योजना की नियमावली को आज प्रदेश कैबिनेट की बैठक में अनुमोदित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह नियमावली शैक्षिक सत्र 2012-13 के माह जुलाई से प्रभावी होगी। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक दशमोत्तर छात्रवृत्ति वितरण/शुल्क प्रतिपूर्ति नियमावली, 2012 के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये श्री खाॅ ने कहा कि यह छात्रवृत्ति अल्पसंख्यक समुदाय के लिये उम्मीद की ऐसी किरण बनेगी जो अशिक्षा के अंधेरे में डूबे इस समुदाय के लिये नया सबेरा लेकर आयेगी। उन्होंने कहा कि इस छात्रवृत्ति में ऐसे अनेक बिन्दुओं पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से इस प्रकार विचार किया गया है कि इससे लाभार्थियों को अधिकतम लाभ मिल सकेगा और गरीबी के कारण अल्पसंख्यक समुदाय का शैक्षिक भविष्य बाधित न होगा।
श्री आज़म खाॅ ने अपने वक्तव्य में कहा कि दशमोत्तर कक्षाओं में अध्ययन करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन) के ऐसे अभिभावक जिनकी आय 01.00 लाख तक वार्षिक है, उनके आश्रित बच्चों को राज्य सरकार द्वारा संचालित दशमोत्तर छात्रवृत्ति तथा शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ पूर्व में मिल रहा था। उन्होंने कहा कि यह अनुभव किया गया कि इस योजना के अंतर्गत सुस्पष्ट मार्गनिर्देशी सिद्धांतों की आवश्यकता है ताकि योजना को अधिक पारदर्शी एवं सरल बनाया जा सके। इसी के मद्देनज़र ’’उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक दशमोत्तर छात्रवृत्ति वितरण/शुल्क प्रतिपूर्ति नियमावली-2012’’ को प्रख्यापित किये जाने का निर्णय राज्यमंत्रि-परिषद द्वारा लिया गया है। उन्होंने कहा कि अब इस योजना के अंतर्गत ऐसे अभ्यर्थियों को छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति प्रदान की जायेगी, जिनके अभिभावकों की वार्षिक आय 02.00 लाख रूपये तक है। छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि संबंधित छात्र/छात्रा के बैंक खाते में अन्तरित की जायेगी।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत ऐसे अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं को लाभान्वित किया जायेगा, जो उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं अथवा आवेदन करने की तिथि से कम से कम 10 वर्ष से वे स्वयं अथवा उसके माता-पिता उत्तर प्रदेश में सामान्य रूप से निवास कर रहे हैं तथा केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किसी शिक्षण संस्था एवं मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम में संस्थागत विद्यार्थी के रूप में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के विकास एवं हित को देखते हुये इस योजनान्तर्गत पात्रता में आने वाले परिवार के सभी बच्चों को लाभान्वित किये जाने की व्यवस्था की गयी है। पूर्व में इस योजना से अल्पसंख्यक परिवार के केवल दो बालक व सभी बालिकायें लाभान्वित की जा रही थीं।
श्री आज़म खाॅ ने कहा कि छात्र/छात्राओं के माता-पिता अथवा अभिभावक की आय के निर्धारण के संबंध में जो व्यवस्था पूर्व में चल रही थी उसमें ऐसे छात्र/छात्राएं जिनके माता-पिता जीवित नहीं है और जिन्हें किसी संस्था या संभ्रान्त व्यक्ति द्वारा अपनी संरक्षता में शिक्षा प्रदान करने हेतु एडाप्ट कर लिया गया है, उनके लिये पूर्व में विभिन्न प्रकार की समस्यायें उत्पन्न हो रही थीं, उनके निराकरण के लिये इस प्रकार के छात्र/छात्राओं को भी योजना के तहत लिया गया है तथा ऐसे बच्चों को आय संबंधी प्रमाण पत्र में छूट प्रदान की गयी है। उन्होंने कहा कि इस नियमावली में शुल्क प्रतिपूर्ति राज्य द्वारा निर्धारित दरों पर किये जाने की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं को प्राप्त करने हेतु शिक्षण संस्थाओं का वरीयता क्रम भी निर्धारित किया गया है, जिसके अनुसार केन्द्र अथवा राज्य सरकार के विभागों/निकायों द्वारा संचालित राजकीय शिक्षण संस्थाओं व राजकीय सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं को प्रथम वरीयता दी जायेगी।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र के ऐसी संस्थायें जिनकी शुल्क संरचना केन्द्र अथवा राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित नहीं है किन्तु वे अपनी संस्थाओं में संचालित पाठ्यक्रम की शुल्क संरचना स्वयं निर्धारित किये जाने हेतु अधिकृत है तथा एन0आई0सी0 डाटा बेस में पंजीकृत है, तो ऐसी संस्थाओं में अध्ययनरत अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं की संख्या की सूची उनके प्रतिशत के आधार पर अवरोही क्रम में तैयार कराई जायेगी और ऐसी संस्था जिसमें अध्ययनरत अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं की संख्या का प्रतिशत अधिक है, वहाॅ पहले छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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