नगर की यातायात व्यवस्था से आम जनता, ईमरजेंसी मरीज, छात्र, विकलांग व बच्चे बेहाल हो चुके है मगर पुलिस है कि सब कुछ देखकर भी अपने कर्तव्यो से मुंह मोडे है ।
हैरत है कि नगर मे प्रतिदिन लखनउहृ रोड पर गोलाघाट से ओवर ब्रिज तक घंटो जाम रहता है । हैरानी की बात है कि यही एक रोड है जो कि जिला अस्पताल को जाती है जहां प्रतिदिन आकस्मिक मरीज जिले के कोने कोने से प्राण बचाने को लाये जाते है और इसी रोड पर सब्जी मंडी, फल मंडी भी है । जिस पर ठेले वाले फल वाले कब्जा जमाये है उस पर भी केनरा बैंक, धर्मपाल काम्पलेक्स मे स्थित सहारा इंन्वेस्ट मेंट कम्पनी का आफिस है ।
इन दोनो बैंको मे दिन भर कई दर्जन दो पहिया वाहन सड़को पर खडे रहते है जिससे जाम लगा रहता है । वही पुलिस द्वारा संचालित ओवर ब्रिज का टैक्सी स्टैण्ड दिन भर सड़को पर डग्गामारी करता रहता है मगर यातायात उपनिरिक्षक न तो कोई प्रभावी कार्यवाही करते है न ही पुलिस के उच्चाधिकारी ही आज तक कोई कठोर कार्यवाही कर सके है वही दिखावा भी किया जा रहा है कारण साफ है कि सड़क पर दुकान व ठेला वालो से ५ से १० रु० की वसूली होती है वही अवैध टैक्सी स्टैण्ड से ५ से १० हजार रु० प्रतिमाह की बंधी बंधाई रकम इन को प्राप्त होती है जिसके चलते यह स्टैण्ड आज तक नही हटाया गया।
जिले का शायद ही कोई अखबार हो जिसने इस अवैध स्टैण्ड कर खबर न छापी हो मगर खबरो का संज्ञान ही नही लिया जाता, वही शासना देश के बावजूद बस स्टैण्ड के गेट के बगल सडक पटरी पर दर्जनो प्राईवेट बसो को यातायात पुलिस के सहयोग से प्रतिदिन भरा जाता है जिसे स्वयं जिलाधिकारी भी आये दिन देखते है वही आजाद पार्क पर स्थित यातायात पुलिस केबिन के बगल प्राईवेट गाडियों का दिन भर जमावडा लगा रहता है जिसे देखकर भी अनदेखी का क्या कारण है ।
वही नगर कोतवाली के पीछे व बगल मे भीड़ भरे गल्ला मंडी रोड पर दिन भर ट्रको, पिकप, और बिना नम्बर के सडको पर टैक्टर ट्रालियां खडी रहती है । आखिर यातायात पुलिस क्यो नही इन का चालान करती है क्यो शमन शुल्क और राजस्व का नुकसान करा रही है और जनता की जान भी जोखिम मे डाल रही है । पूरे नगर मे भीड भरी सड़को पर क्षमता से कही ज्यादा सामान लदी लोडर गाडियां बिना नम्बर के ट्राली से बाहर निकली सरिया व गाटर लादे ट्रालिया पीछे चलने वालो की जान लेने को आतुर है मगर यातायात उपनिरिक्षक व पुलिस उच्चाधिकारी न कुछ देखते है न कहते है न चलान करते है आखिर क्यो ।
अभी विगत माह यातायात पुलिस ने यातायात माह मे स्कूली नौनिहालो को यातायात की जानकारी देने मे और गोष्ठियो मे ही पूरा माह बिताया जबकि पूरे नगर मे बिना परिमटि, बिना लाईसेंस ४-४ युवा दो पहियो पर फरार्टा भर रहे थे ।
क्या ये सरकारी वाहन एम.वी.एक्ट. के उल्लंघन के दायरे मे नही आते वही फर्जी (प्रेस) लिखाकर दो पहिया वाहनो पर ३ सवारी बैठाकर चलने वालो का चालान क्यो नही करते टी.एस.आई., वही पुलिस का लाल नीला सिम्बल नम्बर प्लेटो पर लगाकर डग्गामारी कर रहे वाहनो को क्यो नही रोका जाता वही पुलिस के सरकारी वाहनो से बच्चो को स्कूल लाया ले जाया जाता है । क्या यह शासना देश का उल्लंघन नही है इन सब पर रोक लगनी चाहिए तब सही मायने मे दिखेगी टी.एस.आई. की यातायात टीम की ईमानदारी व मेहनत जब करेगी मीडिया व जनता प्रशंशा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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