समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि राजनीतिक मर्यादा और अनुशासन का तकाजा तो यह था कि जब जनता ने बसपा को उसके काले कारनामों की वजह से सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया तो जनादेश के आगे सिर झुकाकर पूर्व मुख्यमंत्री विपक्ष की भूमिका में बैठ जाती और जनता की बहुमत से चुनी सरकार को रचनात्मक सहयोग प्रदान करती। लेकिन बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री का व्यवहार तो लोक मर्यादा को तिलांजलि देनेवाला है। ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के विकास एजेन्डा से उन्हें चिढ़ है। अपनी कुन्ठित मानसिकता के कारण पहले दिन से ही वह उनके खिलाफ विषवमन कर रही है। यही उनकी ओछी राजनीति का चरित्र है।
नववर्ष पर उनकी प्रेस कांफ्रेन्स बासी कढ़ी में उबाल जैसी रही। वे प्रदेष सरकार पर अनर्गल और निराधार आरोप लगाने के सभी रिकार्ड तोड़ चुकी हैं। प्रदेष में कानून व्यवस्था की स्थिति पर अब उन्हें चिन्ता हो रही है जबकि अपने जमाने के रिकार्ड देख लें तो अंदाज हो जाएगा कि जनता ने उन्हें किस जुर्म की सजा दी है। उन्होने अपने समय में समाजवादी पार्टी नेताओं और विधायकों के खिलाफ झूठे मुकदमें दर्ज कराए। उन्हीं आरोपों को वे दुहराती रहती हैं जबकि हकीकत यह है कि खुद उनके शासनकाल में हत्या, बलात्कार और अपहरण के मामलों में आधा दर्जन मंत्री-विधायक जेल की हवा खा रहे हैं। तमाम माफिया और गुण्डे बसपा राज में लूट मचाए रहे।
आज कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। मुख्यमंत्री जी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अपराधियों की जगह जेल में होगी। जहां कहीं किसी ने शांति भंग की कोशिश की तत्काल उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही हुई। मायाराज में महिलाएं और बच्चियां सबसे ज्यादा यौन हिंसा की शिकार हुई थी। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में वूमेन पावर लाइन 1090 से छेड़छाड़ की घटनाओं का नियंत्रण हुआ है और महिलाओं में सुरक्षा का भाव बढ़ा है।
बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री को अब सर्वसमाज और मुस्लिमों की बहुत याद आ रही है। अपने कार्यकाल में उन्हें इनकी फ्रिक नहीं हुई थी बल्कि उनका हर तरह से उत्पीड़न किया गया। उनके शासनकाल में मुस्लिमों ने घोर अपमान सहा। उन्होने कन्या विद्याधन, बेरोजगारी भत्ता, लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की पेंशन पर रोक लगा दी थी। स्मारकों और अपनी प्रतिमाओं पर धन लुटाया गया था। श्री अखिलेश यादव ने विकास का एजेन्डा अपनाया, प्रोन्नति में आरक्षण जैसे एकांगी प्राविधान पर रोक लगाई तो बसपा नेत्री सरकार के कामकाज पर ही तोहमत लगाने लगी है।
सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री को समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्र के वायदों की बहुत चिन्ता है। उनकी पार्टी में तो नाम के पदाधिकारी होते हैं और चुनाव घोषणा पत्र बनता ही नहीं हैं इसलिए उन्हें तो इस पर बोलने का कोई अधिकार नहीं। परन्तु उनकी जानकारी के लिए यह बताना जरूरी है कि समाजवादी पार्टी सरकार ने 50 प्रतिशत से ज्यादा वायदे पूरे कर दिए हैं। ये वायदे पूरे पांच साल के लिए थे जिन्हें 19 माह में पूरा कर दिया गया है। समाजवादी पार्टी सरकार तो नई भर्तियां खोल रही है जबकि बसपा शासन में तो 1800 पुलिस कर्मियों को ही बर्खास्त कर दिया गया था। उनके समय तो भ्रष्टाचार चरम पर था और बिना लिए दिए कोई काम ही नहीं हुआ।
बसपा मुख्यमंत्री अब चाहे जितने पोथी के पन्ने पढ़ लें, जागरूक जनता उनके धोखे में आनेवाली नहीं है। रोज-रोज क्राईम प्रदेश बताकर वह उत्तर प्रदेश की बदनामी कर रही है और 20 करोड़ जनता का अपमान कर रही हैं। उनकी राजजीति पूर्वाग्रह और झूठ की पुलिंदा है। उनकी सरकार के कारनामों की जांच हो रही है जिससे डरकर ही वे समाजवादी पार्टी सरकार पर आरोप लगाकर महज अपना दुस्साहस ही प्रदर्शित कर रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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