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योग की उच्चतम प्रविधि क्रिया योग है

Posted on 01 January 2013 by admin

योग एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसका उद्देश्य व्यक्ति को शारीरिक रोग, मानसिक अशांति तथा आध्यात्मिक अज्ञान से मुक्त कराना है। इसके लिए परमहंस योगानन्द जी ने योग की वैज्ञानिक प्रविधियां दी हैं जैसे शक्ति संचार व्यायाम, एकाग्रता तथा ध्यान की विधियां हैं। इस तरह योग हमें ईश्वर के प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुभव तथा अपनी ही वृहत आत्मा के रूप में मानव जाति की सेवा की ओर ले जाती है।

yogFrom left to right Mrs. Surabhi Ranjan, Sanyashi, and Swaami Smarna Nand Param Hansh (Extreme Right) speaking to the press at Yogoda Satsang Society Meditation Center in Gomti Nagar Lucknow.

यह जानकारी आज यहां लखनऊ के गोमती नगर स्थित योगदा सत्संग सोसाइटी के ध्यान केन्द्र में आयोजित प्रेस वार्ता में सोसायटी के राष्ट्रीय सचिव स्वामी स्मरणानन्द गिरि परमहंस ने देते हुए बताया कि योग की उच्चतम प्रविधि क्रिया योग है जिसका ज्ञान परमहंस योगानन्द ने पूरे विश्व को कराया। उन्हें यह ज्ञान अपनी गुरू परम्परा में प्राप्त हुआ जिसके स्रोत श्यामाचरण लाहिणी महाशय थे। उन्होंने बताया कि क्रिया योग के द्वारा व्यक्ति जागृति के उच्च स्तरों की ओर चल कर अपनी चेतना का प्रत्याहार करता है तथा धीरे-धीरे अन्तरबोध प्राप्त कर लेता है।
स्वामी जी ने बताया कि इन्हें सीखने के लिये विशेष कक्षाओं में जाने की या प्रशिक्षकों की आवश्यकता नहीं है। परमहंस योगानन्दजी के मार्गदर्शन में तैयार सत्संग पाठों के माध्यम से सच्चे साधक इन्हें अपने घर पर रहकर ही सीख सकते हैं, तथा अपनी सुविधानुसार इनका अभ्यास कर सकते हैं।
योगदा सत्संग सोसाइटी आॅफ इण्डिया के राॅची, कोलकाता, द्वाराहाट (उत्तराखण्ड में रानीखेत के निकट) तथा नोएडा में चार आश्रमों के अतिरिक्त भारत भर में 200 से अधिक शहरों में ध्यान-केन्द्र हैं। योगदा सत्संग सोसाइटी आॅफ इण्डिया कई स्कूलो, कालेजों, अस्पतालों, औषधालयों, निःशुल्क चिकित्सा शिविरों को चलाने के साथ ही अनेक छात्रवृत्तियां तथाा आपदा राहत कार्यों में सहायता भी प्रदान करती है।
योगदा सत्संग सोसाइटी आॅफ इण्डिया की स्थापना 1917 में आध्यात्मिक गौरवग्रन्थ ‘‘योगी कथामृत’’ के लेखक श्री श्री परमहंस योगानन्दी जी द्वारा की गयी। इस ग्रन्थ का अब तक 12 भारतीय भाषाओं सहित 32 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
यह एक आध्यात्मिक एवं धर्मार्थ संस्था है, जो सभी जातियों, धर्मों, संस्कृतियों और सम्प्रदायों के सभी सच्चे ईश्वरान्वेषियों को परहंस जी की शिक्षायें उपलबध करवा रही है। सभी सच्चे धर्मों में पूर्ण सामंजस्य, मूलभूत एकता तथा समान मूल सिद्धरान्तों को उजागर करना इस संस्था का एक प्रमुख उद्देश्य है।
स्वामी स्मरणा नन्द आई0आई0टी0 खड़गपुर से इलेकट्रानिक्स एण्ड कम्यूनीकेशन इंजीनियरिंग में पी0एच0डी0 डिग्री धारक हैं। वह कनाड़ा स्थित मान्ट्रियल में कान्कार्डिया विश्विविद्यालय में पोस्ट डाक्टोरल फेलो रहें हैं। उन्होंने 1985 में सन्यास लेकर योगदा सत्संग आश्रम में प्रवेश किया था।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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