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शिकायत के बाद भी नहीं जाग रहा बिजली विभाग, कभी भी गिर सकता है विद्युत पोल

Posted on 31 December 2012 by admin

अमीनाबाद विद्युत केन्द्र के अन्तर्गत नाला फतेहगंज में जर्जर अवस्था में पहंुच चुके विद्युत पोल को बदले जाने की शिकायत किये जाने के बावजूद एक माह बाद भी विभाग की नींद नहीं टूटी है, और ऊपर से विभाग के अधिकारियों का तुर्रा यह कि हमें कोई शिकायत पत्र नहीं मिला, डाक प्राप्ति क्लर्क से पता करिये, जी हां ऐसा ही कुछ अमीनाबाद विद्युत केन्द्र में चल रहा है, यानी कि आये दिन शहर में विद्युत पोल के गिरने के आ रही खबरों के बावजूद कोई जू तक नहीं रेंग रही है। उल्लेखनीय है कि अमीनाबाद विद्युत केन्द्र के अन्तर्गत उमा जनरल स्टोर 68, नाला फतेहगंज के बाहर लगे विद्युत पोल संख्या एल/ 300971389 /एएमबी/ एचटीके/डीटी 7/सी-1/3/5 जो कि न सिर्फ काफी अर्से से जर्जर अवस्था में पड़ा हुआ है बल्कि काफी झुक भी गया है, को बदले जाने की मांग को लेकर लक्ष्य जागरूकता समिति एवं क्षेत्रीय नागरिकों के हस्ताक्षरयुक्त एक शिकायत पत्र विगत एक दिसम्बर को अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड, अमीनाबाद पावर हाउस को दिया गया था। जर्जर एवं झुक चुके इस विद्युत पोल के बदले जाने संबंधी शिकायत पत्र पर अब तक हुयी काररवाई के बारे में जब पता करने की कोशिश की गयी तो वहां के एक अधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि इस तरह कोई पत्र अभी तक प्राप्त नहीं हुआ जिसे शिकायत पत्र दिया है उससे पता करें कि शिकायत करें। अर्थात शहर के अन्दर आये दिन विद्युत पोल के गिरने की घटनाओं से बिजली विभाग कितना सक्रिय है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। मजे की बात तो यह है कि इस पोल को बदले जाने की शिकायती पत्र दिये जाने से पहले बिजली विभाग की ओर से हर विद्युत पोल पर विभिन्न भवनों को जाने वाले कनेक्शन वायरों के लिये लगाये जा रहे बाॅक्स को भी जर्जर एवं झुके होने के कारण इस विद्युत पोल पर बाॅक्स नहीं लगाया गया , यानि के बिजली विभाग के कर्मचारी भी समझ चुके है कि इस विद्युत पोल को छेड़ना यानी उसका गिरना है। लक्ष्य जागरूकता समिति के महासचिव पंकज कुमार तिवारी ने कहा है कि यदि समय रहते विद्युत विभाग की ओर इस विद्युत पोल को बदले जाने की कोई काररवाई न की गयी तो किसी भी वक्त इस पोल के गिरने से घनी आबादी वाले इस मोहल्ले में कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।

चिदम्बरम इस्तीफा दे, कांग्रेस देश को जवाब दें।
लखनऊ। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा

क्यों गृह मंत्रालय (श्री चिदम्बरम,गृह मंत्री) ने बलात्कार के बाद हत्या के आरोपियों को मा0 न्यायालय द्वारा दी गई मौत की सजा को आजीवन करावास में बदलने की राष्ट्रपति महोदया को संस्तुति की।

क्यों श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने स्वीकार किया वह महिला भी थी ? क्या राष्ट्रपति को सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करने का अधिकार नहीं है ? राष्ट्रपति इसे पुनर्विचार के लिए भेज सकती थीं

क्या कांगे्रस पार्टी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के पास इसका कोई जवाब है?
आज श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने मीडिया में क्षमा मांगी है, और कहा है कि केन्द्र सरकार की सिफारिश पर ही उन्होंने सजा में परिवर्तन किया। क्या इससे उन बच्चियों का जीवन वापस आ जायेगा, और उनके परिवार के साथ वास्तविक न्याय हुआ है ?

क्या राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी, तत्कालीन गृहमंत्री श्री चिदम्बरम को मंत्री परिषद से बर्खास्त करेगें?
तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर निम्नांकित प्रकरणों में फांसी की सजा को उम्र कैद में बदला था।
1.    अपराधी बन्टू ने 5 साल की लड़की के साथ दुराचार करके हत्या कर दी थी।
2.    अपराधी सतीश ने 6 साल की बच्ची के साथ दुराचार कर हत्या कर दी थी।
3.    मोलायी राम और सतीश यादव ने 10 साल की बच्ची के साथ दुराचार कर हत्या कर दी थी।
4.    अपराधी धर्मेन्द्र सिंह और नरेन्द्र सिंह यादव ने बलात्कार के प्रयास में असफल रहने पर लड़की के परिवार के पांच सदस्यों की हत्या की थी।
उपरोक्त सभी प्रकरणों में मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी फांसी की सजा को बहाल रखा था। लेकिन केन्द्र सरकार ने उक्त सभी जघन्य मामलों में सजा कम करने की सिफारिश की।
भा.ज.पा. की केन्द्र सरकार से मांग:-
1.    बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर फौरन बहस के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाये।
2.    बलात्कार के आरोपी को फांसी की सजा का प्राविधान किया जाय तथा महिलाओं से संबंधित अन्य अपराधों में भी कड़ी सजा का भी प्राविधान किया जाय।
3.    फास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था होनी चाहिए तथा तीन माह में निर्णय करने की समय सीमा होनी चाहिए और सम्भव हो तो महिला जज के द्वारा सुनवाई होनी चाहिए।
4.    मा0 उच्च न्यायालय/मा0 सर्वोच्च न्यायालय में भी अपील की सीमा तीन माह से अधिक की नहीं होनी चाहिए।
5.    प्रस्तावित दण्ड एक वर्ष की भीतर अपराधी को देकर उसको प्रचारित करना चाहिए।
6.    निचली अदालत से बलात्कार के दोष सिद्ध अपराधियों को किसी भी चुनाव का लड़ना प्रतिबंधित करना चाहिए जिससे विधायिका तो शुद्ध हो जाय।
नोट:- एन.डी.ए. की सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था की थी तथा उसके लिए 500 करोड़ रूपये की बजट व्यवस्था की थी। यू0पी0ए0 की सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था समाप्त की । मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने 31 मार्च, 2013 तक फास्ट ट्रैक कोर्ट को बनाये रखने की न्यायिक आदेश दिया और यदि यह आदेश नहीं दिया होता तो फास्ट ट्रैक कोर्ट समाप्त हो गये होते। चूंकि मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने 31 मार्च, 2013 तक ही फास्टट्रैक कोर्ट बनाये रखने के आदेश दिये है अतः मांग है कि केन्द्र सरकार इस व्यवस्था को स्थायी करे।
उत्तर प्रदेश में सपा व बसपा से प्रश्न ………….
सपा-
ऽ    उ0प्र0 में समाजवादी के तीन विधायक बलात्कार के आरोपी हैं।
1-श्री भगवान शर्मा ’गुड्डू शर्मा’ (बुलन्दशहर)
2- श्री अनूप सांडा (सुल्तानपुर)
3- श्री मनोज पारस, नगीना, बिजनौर, जो प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री हैं
4- श्री मदन गौतम, सपा विधायक औरैया पर 19 साल की लड़की के साथ बलात्कार का आरोप, किन्तु अभी तक प्रभावी कार्यवाही नहीं।
इसीलिए मजबूर होकर बांदा जिले की शीलू निषाद ने समाजवादी पार्टी के मुखिया को झूठा वायदा करने का दोषी बताया। विधान सभा के चुनाव में बलात्कार पीडि़त महिलाओं को न्याय दिलाने वाली समाजवादी पार्टी न्याय तो दिला नहीं पायी, लेकिन प्रचंड बहुमत से आने के बाद महिलाओं के साथ अपराध एवं बलात्कार की घटनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि ने इस सरकार के नियत को चुनौती दी है। गौरतलब है कि शीलू निषाद बसपा विधायक से पीडि़त थी और सपा ने उसे विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाया था।
बसपा:-
बसपा की पूर्ववर्ती सरकार तो ऐसी घटनाओं को लेकर पूरे देश व प्रदेश में कुख्यात रही है। बसपा को अपने कई मंत्रियों को सरकार से हटाने पर मजबूर भी होना पड़ा था। बसपा के कई विधायक, पूर्व विधायक आज भी महिलाओं के प्रति अपराधों से लिप्त हैं। ऐसे में उनकी मुखिया द्वारा कुछ भी कहना घडि़याली आँसू बहाने के सिवा कुछ भी नहीं है।

उ0प्र0 की सरकार से मांग:
1.    न्यायालय में एक स्तर पर बलात्कार के आरोपी मंत्री को मंत्रिपरिषद से बाहर करना चाहिए।
2.    डी0पी0 यादव के प्रकरण में कथित नैतिकता दिखाने वाले मुख्यमंत्री जी को बलात्कार केे आरोपी विधायकों से सदन की सदस्यता से इस्तीफा लेना चाहिए।
3.    दिल्ली रेप कांड की पीडि़ता को मुआवजे की घोषणा करने वाली सपा सरकार क्या प्रदेश में अपने कार्यकाल में बलात्कार की पीडि़त महिलाओं और बच्चियों को भी विशेष तौर पर दिल्ली रेप कांड की घटनाओं के बाद की घटनाओं पर वही आर्थिक सहायता देगी ?
हमारी सभी दलों से मांग है कि ऐसे महिलाओं के प्रति अपराधों में लिप्त किसी भी व्यक्ति को किसी भी निर्वाचन में अपने दल से प्रत्याशी न बनायें, जिससे कम से कम विधायिका को इस प्रदूषण से मुक्त रखा जा सके।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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