निःशुल्क ज्योतिष परामर्श शिविर आयोजित
संस्कृत संस्कारों की जननी है, यदि संस्कृति को बचाना है तो पहले देववाणी संस्कृत को बचाना होगा। संस्कृत एक ऐसी भाषा है जो हमारे संस्कारों की आधारशिला है।
संस्कृत के सुप्रसिद्ध वयोवृद्ध विद्वान और उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व निदेशक डाॅ0 रमेश चन्द्र दुबे ने यह विचार आज संस्कृत भवन में आयोजित उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के 36वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर व्यक्त किये। उन्हांेने कहा कि यह तो देववाणी है यह अमर है।
कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर संस्थान में कार्यरत रहे सभी पूर्व निदेशकांे को आमंत्रित किया गया था। पूर्व निदेशक रहे डाॅ0 रमेश चन्द्र दुबे, डाॅ0 सच्चिदानन्द पाठक, श्री प्रयागदत्त चतुर्वेदी, श्री विनोद चन्द्र पाण्डेय, श्री मधुकर द्विवेदी, श्री सत्येन्द्र सिंह तथा संस्थान की पूर्व अध्यक्ष डाॅ0 रेखा बाजपेयी उपस्थित थे।
इस अवसर पर संस्कृत कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें प्रो0 ओेम प्रकाश पाण्डेय, डाॅ0 रेखा शुक्ला, डाॅ0 महानन्द झा, डाॅ0 राम सुमेर यादव, डाॅ0 विजयकर्ण तथा डाॅ0 नवलता वर्मा ने काव्य पाठ किया। पूर्व निदेशक एवं संस्कृत के विद्वान डाॅ0 ओम प्रकाश पाण्डेय ने बेटी पर अपनी मर्मस्पर्शी रचना ‘जीवन रेखा समागृहे मे, संचारिणी शिखा’ का पाठ किया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में संस्थान द्वारा निःशुल्क ज्योतिष परामर्श शिविर का आयोजन भी किया गया, जिसमें सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डाॅ0 अनिल कुमार पोरवाल, श्री प्रताप शुक्ल, श्री लक्ष्मीकान्त अग्निहोत्री, डाॅ0 अमित कुमार शुक्ल एवं श्री उमेश कुमार पाण्डेय ने उपस्थित श्रोताआंे की कुण्डली देखकर उन्हें ज्योतिष परामर्श प्रदान किया।
इस मौके पर संस्थान में पूर्व में आयोजित ज्यातिष प्रशिक्षण शिविर के प्रशिक्षणार्थियों को प्रमात्रपत्र भी वितरित किये गये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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