इलाहाबाद में आयोजित कुम्भ मेले के दौरान सुदृढ़ पुलिस व्यवस्था हेतु प्रदेश सरकार द्वारा उल्लेखनीय प्रयास किये गये है। गृह विभाग द्वारा इस सिलसिले मे 25 करोड़ रुपये की धनराशि का बजट प्राविधान किया। कुम्भ मेला क्षेत्र में सुदृढ़ पुलिस की व्यवस्था के लिए सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में एक कोतवाली और 29 रिपोर्टिंग पुलिस चैकी के सृजन का निर्णय लिया गया है। कुक/कहार के चतुर्थ श्रेणी के 538 अतिरिक्त पदों का सृजन कर संविदा के आधार पर भरे जाने का निर्णय लिया गया है।
कुम्भ मेले में आवागमन की सुगमता हेतु ’’एकीकृत कंट्रोल रुम’’ (कम्पोजित कन्ट्रोल रुम) की स्थापना तथा मेले पर निगरानी रखने हेतु वाच टावर भी बनाये जा रहे है। कुम्भ मेला स्थल तक पहुंचने के लिए विभिन्न मार्गो पर ’’वेरियेबिल यातायात संकेतक’’ भी लगाये जा रहे है ताकि तीर्थयात्रियों को मेलास्थल तक पहुंचने में किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। दूसरे स्थानों से आने वाले पुलिसकर्मियों व सुरक्षा बलों के ठहरने आदि की समुचित व्यवस्था हेतु पुलिस लाइन इलाहाबाद में 4 मंजिला बैरक के निर्माण को मंजूरी प्रदान की गयी है। कुम्भ मेले में स्नान करने वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा हेतु जल पुलिस की समुचित व्यवस्था की गयी है। विभिन्न प्रकार के मोटर बोट की व्यवस्था तथा फ्लोटिंग प्लेटफार्म भी उपलब्ध होगा। आकस्मिक परिस्थितियो से निपटने हेतु जीवन रक्षक जैकेट आदि की भी समुचित व्यवस्था रहेगी।
प्रदेश में घटित होने वाले जघन्य अपराधों में पुलिस द्वारा तत्परतापूर्ण कार्यवाही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जघन्य अपराध मानीटरिंग सिस्टम (Heinous Crime Monitoring System) नामक एक साफ्टवेयर तैयार कर लागू किया गया है। इसके अन्तर्गत विशेष अपराध की श्रेणी में आने वाले जघन्य अपराधों का ब्यौरा तथा उसमें हुई विवेचना की प्रगति का ब्यौरा भी जिला पुलिस के अधिकारियों द्वारा कम्प्यूटर पर दर्ज किया जा रहा है। किसी भी थाने में हुये जघन्य अपराध की घटना एवं उसमे हुई पुलिस की कार्यवाही की आॅन लाइन समीक्षा जिले, रेंज, जोन व पुलिस महानिदेशक के मुख्यालय के अधिकारियों द्वारा तत्परता से करने मे इस नई व्यवस्था से मदद मिली है। इन अपराधों में प्रभावी कार्यवाही हेतु स्थानीय पुलिस को वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन मिलने से इस कार्य में अभूतपूर्व तेजी आयी है जिसका असर अपराध नियत्रंण पर पड़ना शुरु हो गया है।
व्यक्तिगत सुरक्षा हेतु दिये गये शस्त्रों के दुरुपयोग को शासन द्वारा अत्यंत गम्भीरता से लेते हुए लाइसेंसी असलहों को व्यक्तिगत सुरक्षा के अलावा शादी-विवाह, विजयी जुलुसो, सार्वजनिक प्रदर्शनों आदि में खुशी जाहिर करने के दौरान प्रदर्शित करने एवं फायरिंग करने की प्रवृत्ति पर कड़ाई से रोक लगाने के निर्देश दिये गये है। साथ ही ऐसे मामलो में आयोजकों के विरुद्ध भी यथोचित विधिक कार्यवाही के भी निर्देश दिये गये है। जनपदों में जारी शस्त्र लाइसेंसो का कम्प्यूटरीकरण व डाटावेस एनआईसी के सहयोग से तैयार किया जा रहा है तथा उक्त कार्य के अन्तर्गत 11.5 लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंसो का विवरण अपलोड किया जा चुका है।
पुलिस कार्यवाही अथवा मुठभेड़ के प्रकरणों में होने वाली जांच में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये जिनमें कहा गया कि जांच के दौरान संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस कार्यवाही के बारे में केवल पुलिस द्वारा बताई गयी स्थितियों के अनुरुप ही जंाच के बजाय आवश्यक पुष्टिकारक साक्ष्यों को भी अवश्य संज्ञान में लिया जाय। यह भी निर्दश दिये गये है कि शिकायतकर्ता जो कि पीडित पक्ष का कोई निकटस्थ परिजन भी हो सकता है, से मौखिक अथवा लिखित साक्ष्य लेने का प्रयास किया जाय ताकि उस साक्ष्य के प्रति परीक्षण से जांच के सही निष्कर्ष सामने आ सके।
अपराधों में हो रही विवेचना को प्रभावी बनाये जाने हेतु वैज्ञानिक विधियों के उपयोग पर वर्तमान सरकार द्वारा विशेष बल दिया जा रहा है। इसके अन्तर्गत लैंगिक उत्पीड़न, शिशु हत्या व अन्य मामलों में प्रयुक्त किये जाने वाले निर्धारित चिकित्सा विधिक परीक्षण प्रोफार्मा, घटनास्थल निरीक्षण फार्म, डीएनए सैम्पुल कलेक्शन फार्म के प्रारुप को पुनरीक्षित कर इसे और अधिक व्यवहारिक बनाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए अभी तक जो प्रारुप प्रचलित था वह अत्यन्त पुराना था और उसमें फोरंेसिक साइंस के संबंध में जो नई तकनीक थी उसे उल्लखित करने का स्थान नही था। नये प्रारुप में घटनास्थल की फोटोग्राफ, स्क्रैच मय स्केल, वीडियोग्राफी आदि के संबंध में भी पूरी जानकारी देने का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु जैसे डीएनए सैम्पुल टेस्ट आदि के लिए भी पुराने फार्म में स्थान नही था।
इस कार्य के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ के वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों द्वारा पोस्टमार्टम फार्म, मेडिको लीगल फार्म, इंजरी रिपोर्ट फार्म, घटनास्थल निरीक्षण फार्म एवं डी0एन0ए0 निरीक्षण फार्म का नया प्रारुप तैयार किया गया है। घटनास्थल प्रबन्धन एवं अपराध अन्वेषण नामक दो पुस्तके विधि विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों की मदद से तैयार कर पीटीसी मुरादाबाद के सहयोग से प्रकाशित करायी गयी है। इन पुस्तकों का क्षेत्राधिकारी स्तर पर प्रथम चरण में वितरण शुरु कर दिया गया है। साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस एवं गृह विभाग की बेवसाइड पर भी फार्म एवं तकनीकी जानकारी अपलोड कर दी गयी है, जो पुलिस के उच्चाधिकारियों, विवेचनाधिकारियों, चिकित्सकों, अभियोजन अधिकारियों आदि के लिए बहुत उपयोगी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फोरेंसिक साइंस की नई तकनीकों को सम्मिलित करने के साथ ही प्रदेश के हर जिले में आधुनिकतम सुविधायुक्त पोस्टमार्टम हाउस बनाने का निर्णय लिया गया। जिन जिलो मे पोस्टमार्टम हाउस जर्जर हालत मे हैं वहां शीघ्र ही उनको दुरूस्त किया जायेगा तथा जहां अभी नही बने हैं वहां नये निर्मित कराये जायेंगे।
फिरौती के लिए अपहरण के 6 मामलों में एसटीएफ ने 24 अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जिनमें गेल के अपहृत इंजीनियर शान्ती स्वरुप तथा नोएडा से अपहृत इंजीनियर एस0एन0 सिंह की सकुशल रिहाई महत्वपूर्ण उपलब्धि रही। लखनऊ के अलीगंज थानाक्षेत्र से ढाई महीनों से लापता अमृताशुं त्रिपाठी को सकुशल बरामद किया गया। बाराबंकी से अपहृत वैभव गुप्ता के अपहरण की घटना का अनावरण कर 3 अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। गाजियाबाद से श्री पुनीत अग्रवाल के अपहरण की घटना का अनावरण कर 6 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया तथा अन्य सामान्य के अलावा फिरौती की रकम में से 5 लाख 40 हजार रुपये की भी बरामदगी की गयी है।
अपराध नियंत्रण के लिए पकड़ंे गये अपराधियों को उनके अपराध की सजा दिलाने पर वर्तमान सरकार द्वारा विशेष रुप से बल दिया जा रहा है। अपराधियों के मुकदमों की प्रभावी पैरवी एवं उसकी गहन समीक्षा की व्यवस्था लागू की गयी है। चिन्हित दुर्दान्त अपराधियों को सजा दिलाने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक तथा अपर पुलिस अधीक्षक को एक-एक एवं पुलिस क्षेत्राधिकारियों को 2-2 अपराधियों के मामले सौपे गये है ताकि वह इन चिन्हित अपराधियों के सभी मुकदमों की प्रभावी ढंग से पैरवी कर सके। ऐसे पूरे प्रदेश भर में 6577 बड़े अपराधियों के 9136 मुकदमें छाटे गयें है। उनकी प्रभावी पैरवी हेतु उठाये गये इन कदमों से अभी तक निर्णित वादों में 50 प्रतिशत से अधिक मुकदमों में अपराधियों को सजा दिलायी गयी है।
अभियोजन निदेशालय द्वारा चिन्हित किये गये कुख्यात अपराधियों के अभियोगों के शीघ्र निस्तारण हेतु प्रयास किये जा रहे है जिसकी समीक्षा नियमित रुप से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है। अभियोजन विभाग नें प्रत्येक सोमवार को 22 जनपदों की वीडियो कांफे्रसिंग के माध्यम से तथा माह के प्रथम सप्ताह के सोमवार को 72 जनपदों की वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से शीघ्र अभियोजन के लिए चिन्हित महत्वपूर्णवादों/साक्षीगणों की समीक्षा का सिलसिला शुरु किया है। साथ ही अन्य जनपदों के परिक्षेत्रवार संबंधित अभियोजन विभाग के अपर निदेशकों एवं संयुक्त निदेशकों द्वारा संबंधित जनपदों की वीडियांे कांफ्रेसिंग द्वारा समीक्षा की जा रही है।
अभियोजन विभाग के अधिकारियों के कार्यो में गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु प्रत्येक माह अभियोजन संवर्ग के अधिकारियों को विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों यथा डा0 भीमराव अ0पु0 अकादमी मुरादाबाद, डा0 राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय लखनऊ, न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंघान संस्थान लखनऊ, विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ एवं भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ में प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। अब तक लगभग 500 अभियोजकों को उक्त विभिन्न संस्थानों में प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है।
यातायात प्रबंधन के सम्बन्ध में अधिकारियों को रूचि लेकर कार्य करने की निर्देश दिये गये है। साथ ही यातायात प्रबन्धन निधि से प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्पीड राडार विद बिल्ट इन कैमरा एण्ड वीडियो प्रिंटर, बे्रेथ इनालईजर विद प्रिंटर, स्मोक मीटर, गैस एनालाइजर, लाउड हेलर, फ्लोरोसेंट सेफ्टी जैकेट, फ्लोरिसेंट सेफ्टी ग्लब्स, फ्लोरोसेंट सेफ्टी बेल्ट, मल्टी परपज सेफ्टी वार टार्च, डेलीनेटर, बोलार्ड/ट्रैफिक कोन, मोबाइल, वैरियर एवं फोल्डिंग मोबाइल पैरियर आदि यातायात उपकरण क्रय किये जाने के निर्देश दिये गये है। इन उपकरणों से यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।
प्रदेश के प्रमुख नगरों में सुदृढ़ यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में विशेष प्रयास शुरु किये गये है। प्रदेश के पाॅच प्रमुख महानगरों कानपुर नगर, लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ में कम्प्यूटरीकृत यातायात संकेतकों की स्थापना कराये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके प्रथम चरण में लखनऊ को पायलट पे्राजेक्ट के रूप में लिया गया है। शहर के चिन्हित 70 चैराहों पर सी0सी0टी0वी0 कैमरा अधिस्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इलाहाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, आगरा व कानपुर में भी प्रमुख चैराहों पर सी0सी0टी0वी0 लगाये जायेगें। सड़क दुर्घटनाओं आदि की सूचना देने हेतु स्थापित टोल फ्री ट्रैफिक हेल्पलाइन 1073 को चालू करा कर मोबाइल सेवा से भी जोड़ा जा रहा है।
अग्निशमन विभाग को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाये गये है। इसके अन्तर्गत पहली बार वाहन एवं उपकरण खरीदनें की बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गयी है, ताकि किसी भी जिले में अग्निशमन कार्यो हेतु वाहनों एवं उपकरणों की कमी न रहे। इसके लिए लगभग 60 करोड़ रुपये की धनराशि दी गयी है। लखनऊ के गोमतीनगर में फायर स्टेशन के निर्माण हेतु 1 करोड़ 17 लाख रुपये से अधिक की धनराशि प्रदान की गयी है। 36 नये अग्निशमन केन्द्रांे को विभिन्न तहसीलों, कस्बों व स्थानोें पर चिन्हित किया गया है। जहाॅ पर नये अग्निशमन केन्द्रों की स्थापना पर शासन द्वारा विचार किया जा रहा है। साइबर अपराध प्रदेश में साइबर अपराधों के अनावरण एवं संलिप्त अभियुक्तों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए दो साइबर इकाईयों की स्थापना आगरा एवं लखनऊ में की गयी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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