राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना उत्तर प्रदेश के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सी0ई0ओ0) एवं सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक कुमार ने बताया कि विगत 08 माह में योजना को प्रभावी रूप से लागू कराने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों, बीमा एजेन्सियों एवं लाभार्थियों की शिकायतों/समस्याओं के समाधान के लिए समस्या निवारण समितियों का गठन किया गया है। स्टेट एजेन्सी फाॅर काॅम्प्रीहेन्सिव हेल्थ इंश्योरेंस (साची) के तत्वावधान में योजना संचालित की जा रही है। योजना के क्रियान्वयन के लिए संस्था स्तर पर बेहतर कार्य सम्पादन के लिए अवस्थापना सुविधाओं में वृद्धि के अतिरिक्त प्रत्येक स्तर पर मानव संसाधन उपलब्ध कराने के प्रयास किए गए हैं।
श्री आलोक कुमार आज यहां एनेक्सी स्थित मीडिया सेन्टर में पत्रकारों को योजना के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सही लाभार्थियों को योजना से आच्छादित कराने के लिए निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है। समस्याओं/शिकायतों के निवारण के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी के स्तर पर जिला शिकायत निवारण समिति (डी.जी.आर.सी.) कार्यपालक अधिकारी की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर शिकायत निवारण समिति (एस.जी.आर.सी.) तथा उप महानिदेशक की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय शिकायत निवारण समिति (एन.जी.आर.सी.) का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि इन समितियों को निश्चित अवधि में समस्याओं के निवारण के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि योजना का दुरुपयोग रोकने तथा अपात्रों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए हर स्तर पर सतर्कता बरती जा रही है।
श्री कुमार ने बताया कि योजना के तहत लाभार्थियों को चिन्हित कर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर चिकित्सा विभाग के सहयोग से शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें अन्य बीमारियों के इलाज के अलावा योजना से आच्छादित लाभार्थियों को विशेष इलाज उपलब्ध कराने की पहल की गई है। अब तक 14 शिविरों के माध्यम से 116 रोगियों की पहचान कर उनका इलाज कराया गया है। उन्होंने कहा कि योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं लाभार्थियों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
सी.ई.ओ. ने बताया कि इस योजना के तहत लाभार्थियों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जनपदों को तीन श्रेणियों में विभाजित कर निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है। योजना के प्रभावी अनुश्रवण के लिए प्रारूप तैयार कर प्रत्येक स्तर पर समीक्षा की जा रही है। उन्होंने बताया कि गरीबी रेखा के नीचे (बी0पी0एल0) कार्डधारक लाभार्थियों परिवारों के बायोमेट्रिक्स तकनीक के माध्यम से स्मार्ट कार्ड बनाए जा रहे हैं। योजना के तहत लाभार्थी रोगी को सूचीबद्ध अस्पताल द्वारा निर्धारित बीमारियों के इलाज/आॅपरेशन के लिए 30 हजार रुपए तक की धनराशि की प्रतिपूर्ति सीधे अस्पताल को की जाती है। उन्होंने कहा कि राज्य में 04 बीमा कम्पनियों क्रमशः राॅयल सुन्दरम, युनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, आई.सी.आई.सी.आई. लाॅम्बार्ड तथा ओरिएण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को जनपदवार जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सी.ई.ओ. ने बताया कि इस वर्ष गत वर्ष की अपेक्षा 25 फीसदी अतिरिक्त स्मार्ट कार्ड बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 24 जनपदों में स्मार्ट कार्ड बनाने का कार्य पूर्ण हो चुका है। शेष अन्य जनपदों में यह कार्य प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि जनपद वाराणसी में पिछले वर्ष इस योजना के तहत 35 हजार लोगों द्वारा इलाज कराने के दावे प्राप्त हुए। इसे गम्भीरता से लेते हुए भारत सरकार से जांच कराने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने बताया कि साची द्वारा भी अपने स्तर से अन्य जनपदों में जहां अत्यधिक दावे पाए गए हैं, विशेष आॅडिट कराने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा वाराणसी में पहले सूचीबद्ध 155 अस्पतालों की समीक्षा कर अब इसकी संख्या 52 कर दी गई है। उन्होंने बताया कि राजकीय अस्पतालों को भी योजना में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस योजना को राज्य में प्रभावी ढंग से लागू कराया जाएगा, जिससे कि गरीबों को गुणवत्तायुक्त इलाज की सुविधा मिल सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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