सिटी मोन्टेसरी स्कूल के हजारों छात्रों ने आज हजरतगंज स्थित जी.पी.ओ. पार्क पर महात्मा गाँधी की प्रतिमा के समक्ष दिल्ली मेें सामूहिक दुष्कर्म की शिकार युवती की असामायिक मृत्यु पर हार्दिक संवेदना एवं आक्रोश व्यक्त करते हुए माँग की कि कानून में संशोधन करके सभी छः बलात्कारियों को अविलम्ब फाँसी की सजा दी जाए। इस अवसर पर छात्रों की बात का समर्थन करते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने भी सरकार से माँग की कि संसद का आपातकालीन सत्र बुलायें एवं कानूनविदों से राय लेकर बलात्कारियों को सार्वजनिक रूप से फाँसी देने का कानून बनाएं। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ ऐसी सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए जिससे इस प्रकार की गलत मानसिकता वाले लोगों में समाज व कानून का डर व्याप्त हो क्योंकि इन्सान के अच्छे-बुरे विचार ही उसके कर्म को प्रेरित करते हैं।
इसी संदर्भ में होटल क्लार्क अवध में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में सी.एम.एस. के 45000 छात्रों को प्रतिनिधित्व करते हुए सी.एम.एस. महानगर द्वितीय कैम्पस के पाँच छात्रों ने रोहन, ओशो अज्ञेय, वंशिका श्रीवास्तव, श्रेया रघुवंशी एवं अभिषेक कक्कड़ ने पुरजोर आवाज में अपना आक्रोश व्यक्त किया एवं दोषियों के खिलाफ ऐसी सख्त कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि सबसे पहले इन छः बलात्कारियों को फाँसी की सजा दी जानी चाहिए। इस अवसर पर सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी, डा. (श्रीमती) भारती गाँधी एवं महानगर द्वितीय कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती वीरा हजेला ने भी अपने विचार रखे।
प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि सम्पूर्ण सी.एम.एस. परिवार इस विचलित कर देने वाली इस दुर्घटना से अत्यन्त आहत है एवं दुष्कर्म की शिकार युवती के असामयिक निधन पर शोक संतप्त है। डा. गाँधी ने देशवासियों से भी अपील की कि वे शान्ति बनाये रखते हुए इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए व्यक्तिगत तौर पर संकल्पित हों एवं अपने पारिवारिक सदस्यों, मिलने-जुलने वाले मित्रगणों व समाज के अन्य तबकों में अच्छे विचारों को प्रेषित करें।
डा. गाँधी ने जोर देते हुए कहा कि चारित्रिक नैतिकता व जीवन मूल्यों की शिक्षा के अभाव में युवा पीढ़ी आज राह भटक रही है, यही कारण है कि समाज में आये दिन ऐसी घटनाएं पढ़ने-सुनने को मिल रही है। डा. गाँधी ने देश के सभी शिक्षकों, अभिभावकों व माता-पिता का पुरजोर आहवान किया कि वे भावी पीढ़ी में जीवन मूल्यों, चारित्रिक उत्कृष्टता व नैतिक विचारों का समावेश करें। विडम्बना यही है कि आज हम होनहार मेधावी छात्रों को पढ़ा-लिखा कर किताबी ज्ञान तो भरपूर दे रहे हैं परन्तु मानवीय मूल्यों की उपेक्षा कर रहे हैं। अतः परिणाम सबके सामने है, ऐसे में बुरे विचारों की रोकथाम अच्छे विचारों को प्रचार-प्रसार से ही हो सकती है।
डा. गाँधी ने आगे कहा कि मनुष्य एक भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक प्राणी है। जब से परमात्मा ने यह सृष्टि और मानव प्राणी बनाये तब से परमात्मा ने उसे उसकी तीन वास्तविकताओं भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक के साथ उसे एक संतुलित प्राणी के रूप में निर्मित किया है। इस प्रकार परमात्मा ने मनुष्य को भौतिक प्राणी बनाने के साथ ही साथ उसे सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्राणी भी बनाया है। अतः विद्यालयों द्वारा बालकों को भौतिक, मानवीय एवं आध्यात्मिक तीनों प्रकार की शिक्षाओं का संतुलित ज्ञान कराना चाहिए किन्तु यदि विद्यालय बालक को तीनों प्रकार की संतुलित शिक्षा देने के बजाय केवल भौतिक शिक्षा देने तक ही अपने को सीमित कर ले और उसे मानवीय और आध्यात्मिक ज्ञान न दे तब बालक का केवल एकांगी विकास ही हो पाएगा और संतुलित ज्ञान के अभाव में बालक यदि निपट भौतिक और असंतुलित प्राणी बन जाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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