विधान मण्डल की स्थापना इण्डियन कौंसिल एक्ट, 1861 के अन्तर्गत की गयी थी। दिनांक 08 जनवरी, 2013 को उक्त स्थापना के 125 वर्ष पूरे हो रहे हैं, अतः विधान मण्डल की स्थापना के 125 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर माह जनवरी, 2013 में लखनऊ में तीन दिवसीय (6 जनवरी से 8 जनवरी) उत्तरशती रजत जयन्ती वर्ष समारोह मनाए जाने के लिये मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति के संयोजक श्री अम्बिका चैधरी, राजस्व मंत्री बनाये गये हैं। इसके तैयारी के सम्बन्ध में अनेक बैठकें हो चुकी हैं तथा तैयारी अन्तिम चरण में उक्त समारोह के अन्तर्गत विधान मण्डल की एक विशेष बैठक विधान सभा मण्डप में, विधान भवन, लखनऊ में आहूत करने का भी निश्चय किया गया है, इस समिति में सभापति विधान परिषद, अध्यक्ष विधान सभा, ससदीय कार्य मंत्री, लोक निर्माण मंत्री, नेता प्रतिपक्ष, विधान सभा, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव विधान सभा व प्रमुख सचिव, न्याय/संसदीय कार्य बनाये गये हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा की स्थापना इण्डियन कौंसिल एक्ट 1861 के तहत हुई थी। इसकी प्रथम बैठक थार्नहिल-मेन मेमोरियल भवन, इलाहाबाद में 8 जनवरी को 1987 को हुयी थी। इसी भवन में 1891, 1892, 1893, 1895, 1897, 1903, 1906, 1910, 1911, 1912, 1913, 1914, 1915, 1916 एवं 1917 में हुयी थी तथा इलाहाबाद में ही 1901 में ही म्योर सेण्ट्रल काॅलेज इलाहाबाद में तथा गवर्नमेण्ट हाउस, इलाहाबाद, हुयी थी। उक्त बैठकें सामान्यतः सदस्यों के अनुरोध एवं बहुमत के निर्णय के आधार पर होती थी।
यह भी उल्लेखित करना है कि 27 जनवरी, 1920 को गवर्नमेण्ट हाउस लखनऊ में भी बैठक हुयी थी। इस बैठक में कुल 19 सदस्यों ने भाग लिया था, जिसमंे से 17 सदस्यों ने लखनऊ में विधान भवन बनाने तथा 2 सदस्यों ने इलाहाबाद में विधान भवन बनाने के पक्ष में मतदान किया था। उसी मतदान के आधार पर 1922 में 21 दिसम्बर को वर्तमान विधान भवन का तत्कालीन राज्यपाल श्री हरकोर्ट बटलर द्वारा शिलान्यास किया गया था। यह तारीख विधान भवन के गेट नं0 1 के पास लगे पत्थर पर देखी जा सकती हैै। गवर्नमेण्ट आॅफ इडिया एक्ट 1935 की व्यवस्था के अनुसार विधान मण्डल का स्वरूप है। नवम्बर 1937 में यह भवन तैयार हुआ था तथा सदन की बैठक लेजिस्लेटिव कौंसिल (वर्तमान विधान परिषद में बैठक हुयी थी)। उल्लेखनीय है कि पूर्व में विधान मण्डल की बैठक छतर मंजिल के पाश्र्व में स्थित लाल बारादारी में होती रही।
गवर्नमेण्ट हाउस लखनऊ में बैठक 1894, 1908, 1909, 1911, 1912, 1913 से लेकर 1920 तक होती रहीं तथा छतर मंजिल लखनऊ में भी बैठक 1892 से लेकर 1902 तक आवश्यकतानुसार लगभग 19 बैठकें हुयीं। इसी प्रकार टाउन हाल बरेली में 1892 में एक बैठक तथा गवर्नेमण्ट हाउस नैनीताल में 11 बैठक तथा सचिवालय नैनीताल में 1 बैठक, कौंसिल चैम्बर, लखनऊ में 10 बैठक तथा कैनिंग काॅलेज, लखनऊ में 2 बैठकें हुयीं।
वर्तमान उत्तर प्रदेश विधान मण्डल का स्वरूप 1 अप्रैल 1937 से लागू है जो गवर्नमेण्ट इण्डिया एक्ट 1935 के अनुसार है। बाद में इस एक्ट के अनुसार राज्यों के लेजिस्लेटिव कौंसिल का नाम बदलकर लेजिस्लेटिव एसेम्बली कर दिया गया था। 15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद लेजिस्लेटिव एसेम्बली का नाम विधान सभा तथा जिन राज्यों में बाई-कैमरेल सदन है उस सदन का नाम विधान परिषद (उच्च सदन) कर दिया गया था। 1935 में सदस्यों की संख्या 228 थी। 1950 में यह संख्या 332 हो गयी तथा 1951 में 421 हो गयी तथा 1967 में 426 कर दी गयी तथा विधान परिषद में यह सदस्य संख्या 108 थी। वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश का विभाजन होने तथा अलग राज्य उत्तरांचल (उत्तराखण्ड) बनने के कारण विधान सभा के सदस्य संख्या 404 है तथा विधान परिषद में 100 है। 22 सदस्यों को मिलाकर उत्तरांचल राज्य के विधान सभा का गठन सन् 2000 में किया गया था।
उल्लेखनीय है कि इण्डियन कौंसिल एक्ट-1861 के अनुसार पहली बैठक दिनांक 8 जनवरी को थार्नहिल-मेन मेमोरियल भवन, इलाहाबाद में हुयी थी। इस लिए इलाहाबाद का भी इसमें महत्वपूर्ण स्थान है जो वर्तमान में भारतीय संस्कृत परिषद का कार्यालय के रूप में उपयोग मंे है। यह भवन इलाहाबाद में आजाद पार्क के पास स्थित है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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