समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि एक पुरानी कहावत है कि जिनके घर शीशे के हों, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए। लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता इससे अनभिज्ञ दिखते हैं। उन्हें समाजवादी पार्टी सरकार के वायदों की जांच की फिक्र सता रही है, समाजवादी पार्टी के कामकाज पर आपत्तियां हो रही हैं और सबसे मनोरंजक बात तो एक बड़े नेता ने कह दिया कि कांग्रेस की लड़ाई उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ है। राजनीति का ककहरा पढ़नेवाला छात्र भी इन उलटबांसियों पर हंसे बिना नहीं रहेगा। आज केन्द्र में यूपीए सरकार का सबसे बड़ा घटक कांग्रेस है। फिर भी देश में भारी दुर्दशा है। मंहगाई और भ्रष्टाचार इसी दल की देन है। जनता त्रस्त और आक्रोशित है। गैर बराबरी और क्षेत्रीय असंतुलन के चलते विकास योजनाएं विफल हुई। देश की सीमाएं असुरक्षित हैं।
कांग्रेस नेता श्री दिग्विजय सिंह अगर भाजपा को अपने मुकाबले में सोचते हैं तो सही भी है। दोनों की स्थिति प्रदेश में तीसरे चैथे नम्बर की रहती है। सिर्फ समाजवादी पार्टी है जो सांप्रदायिक और जातीय ताकतों को रोकने की कूबत रखती है। अगर पिछले संसदीय चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भाजपा को रोका न होता तो केन्द्र में कांग्रेस और यूपीए की जगह एनडीए की सरकार बन गई होती। कांग्रेस ने पूंजीघरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आगे हथियार डाल दिए हैं और एफडीआई लाने को संकल्पबद्ध है। यह समाजवादी पार्टी ही है जिसने इसका और सामाजिक विषमता फैलाने वाले प्रोन्नति में आरक्षण बिल का भी जमकर विरोध किया। भाजपा बसपा जैसे दल तो कांग्रेस के हमराही बने रहे।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जो वायदे किए थे उनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा पूरे हो गए हैं। प्रदेश में लोकतंत्र बहाल हुआ है। भ्रष्टाचार पर रोक लगी है। कानून का राज स्थापित हुआ है।मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव प्रदेश को विकास के नए एजेन्डा पर अग्रसर करने को प्रतिबद्ध है। पिछड़ो, किसानों, गरीबों और अल्पसंख्यको को तमाम राहतें दी गई है। केन्द्र सरकार ने सच्चर कमेटी बनाइर्, रंगनाथ मिश्र आयेाग बनाया जिसकी सिफारिशें कांग्रेस ने ठंडे बस्ते में डाल दी है। सच्चर कमेटी ने मुस्लिमों की हालत दलितों से बदतर बताई। श्री मुलायम सिंह यादव ने संसद में इस सवाल को उठाया। कांग्रेस घडि़याली आंसू बहा रही है जबकि समाजवादी पार्टी इस संबंध में केन्द्र पर प्रस्ताव लाने की मांगकर रही है। सच तो यह है कि कांग्रेस की भी प्रदेश को बदहाल बनाने में भूमिका रही है और कांग्रेस ने सांप्रदायिक तथा जातीय ताकतों को हवा देकर सामाजिक तानाबाना नष्ट करने का पाप किया है। केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में बसपा सरकार को लगातार बनाए रखने और प्रदेश को बर्बाद कराने में योगदान दिया है।
संघीय ढांचे में कांग्रेस को जो दायित्व निर्वहन करना चाहिए उसके प्रति तो वह गम्भीर नहीं हैं, प्रदेश सरकार के वायदों की समीक्षा की उसे बड़ी चिन्ता हो गई है। केन्द्र स्तर से डीजल, पेट्रोल मंहगा कर खेती अलाभप्रद कर दी। खाद की पर्याप्त आपूर्ति न कर कालाबाजारी को हवा दी। कांग्रेस समाजवादी पार्टी के खिलाफ साजिशें करके भाजपा को जिताना चाहती है। कांग्रेस का तो प्रदेश में न तो चुनाव लड़नेवाला संगठन है और नहीं कोई नेता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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