भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत तेजी से एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। क्रय शक्ति के संदर्भ में हम दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हुए हैं। उन्होंने कहा कि वृहद अर्थव्यवस्थाओं में केवल चीन की ही विकास दर भारत से आगे है।
राष्ट्रपति कल मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एम.एन.एन.आई.टी.) इलाहाबाद में आयोजित नवम् वार्षिक दीक्षान्त समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यद्यपि वैश्विक, आर्थिक मंदी के कारण देश की विकास दर कुछ घटी है। लेकिन अपने लचीलेपन के कारण देश इस संकट का सामना आसानी से कर लेगा। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक तरक्की के महत्वपूर्ण कारकों में उच्च शिक्षा संस्थान भी महत्वपूर्ण हैं, जो स्वतंत्रता के बाद देश में स्थापित किए /गए।\श्री मुखर्जी ने उच्च शिक्षा की आवश्यकता तथा छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों की संख्या बढ़ाने पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह अफसोस की बात है कि विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों या उच्च शिक्षा संस्थानों में एक भी भारतीय नहीं है। इसके लिए उन्होंने उच्च शिक्षा के मानकों को बढ़ाने की आवश्यता पर बल दिया। उन्होंने छात्रों को गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकताओं पर बल देते हुए कहा कि मुक्त विश्वविद्यालयों तथा दूरस्थ शिक्षा संस्थानों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए। उन्होंने उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में महिलाओं की संख्या काफी कम है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने छात्र आलोक अग्रवाल शोभित अग्रवाल, पाखी अग्रवाल तथा निशांक गुप्ता को क्रमशः चतुर्थ, तृतीय, द्वितीय तथा प्रथम वर्ष की परीक्षा में शीर्ष पर रहने के लिए स्वर्ण पदक प्रदान किए।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी.एल. जोशी ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब उनके जीवन में शिक्षा तथा ज्ञानार्जन का एक नया अध्याय आरम्भ होने जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि छात्रों को हमेशा तकनीकी की उपयोगिता के अनुप्रयोग की संभावनाओं तथा उसका लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़े इस पर विचार करना चाहिए। श्री बी.एल. जोशी ने जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन के महत्व से युवाओं को अवगत कराया।
इस मौके पर अध्यक्ष प्रशासकीय परिषद डाॅ0 वी.के. सारस्वत ने उपाधि प्राप्तकर्ताओं को याद दिलाया कि ओजस्वी मस्तिष्क तथा मजबूत देश की नींव डालने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। देश की भावी योजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी युवाओं के कन्धों पर है। डाॅ0 सारस्वत के अनुसार कई तकनीकियों के मौलिक अवयव जो कि तीन अति महत्वपूर्ण विभागों-परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष तथा सुरक्षा अनुसंधान तथा विकास द्वारा अपनी-अपनी जरूरतें पूरा करने के लिए विकसित किये गये हैं, वे कुछ ऐसी प्रक्रियाओं को शुरू कर सकते हैं जो कि मौलिकता को बढ़ावा देगे साथ ही साथ देश के सामाजिक, औद्योगिक तथा अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे।
इस दीक्षांत समारोह में 619 बी.टेक., 375 एम.टेक., 63 एम.बी.ए., 66 एम.सी.ए., 10 एम.एस.सी. (गणित एवं साइंटिफिक कम्प्यूटिंग) और 34 पी.एच.डी. विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह में पूर्व छात्र-छात्राओं तथा उद्योग जगत ने कई पदक प्रायोजित किये।
दीक्षांत समारोह 2012 में 13 स्नातकों और 25 परास्नातकों को संस्थान स्वर्ण पदक एवं 19 विद्यार्थियों को विभिन्न कार्यक्रमों हेतु प्रायोजित पदक प्रदान किये गये। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के होमगार्ड मंत्री श्री ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी मिनिस्टर-इन-वेटिंग के रूप में उपस्थित थे।
इससे पूर्व प्रदेश में आने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बाबतपुर, वाराणसी में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी तथा उपराष्ट्रपति श्री मो. हामिद अंसारी का स्वागत किया, जहां से राष्ट्रपति श्री मुखर्जी मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद में आयोजित दीक्षान्त समारोह हेतु तथा उपराष्ट्रपति श्री अंसारी जनपद गाजीपुर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रवाना हो गए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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