उत्तर प्रदेष के लघु एवं निर्यात प्रोत्साहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भगवत सरन गंगवार ने कहा कि देष के कुल हस्तषिल्प उत्पादन में उ0प्र0 का योगदान लगभग 60 प्रतिषत है। हस्तषिल्प क्षेत्र असंगठित होने के कारण उत्पादों के डिजाइन, विकास व विपणन आदि में हस्तषिल्पियों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है, अधिकांष हस्तषिल्पी पूॅजी के अभाव के कारण जाब वर्क तक ही सीमित रह जाते हैं। कला का वास्तविक लाभ जो हस्तषिल्पियों को मिलना चाहिए उसका कुछ भाग बिचैलियों को चला जाता है। हस्तषिल्पियों को उनके कौषल का उचित मूल्य दिलाने एवं हस्तषिल्प क्षेत्र के उत्पादों की डिजाइन आधुनिक बाजार मांग के अनुसार विकसित किये जाने की दृष्टि से प्रदर्ष-सह विपणन योजना उ0प्र0 हस्तषिल्प विकास एवं विपणन निगम लि0 द्वारा लागू की गई है।
श्री गंगवार ने यह बात आज यहाॅं गंगोत्री यू0 पी0 गवर्नमेन्ट इम्पोरियम हल्वासिया मार्केट लखनऊ में उत्तर प्रदेष हैण्डी क्राफ्ट्स डेवलपमेन्ट एण्ड मार्केटिंग कारपोरेषन लि0 के तत्वावधान मे आयोजित ‘‘प्रदर्ष सह-विपणन योजना’’ का शुभारम्भ करते हुए कही। उन्होंने कहा कि असंगठित हस्तषिल्प क्षेत्र हेतु राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की मांग की अद्यतन स्थिति की जानकारी करना, बाजार मांग के अनुसार हस्तषिल्प की नयी डिजाइनों को विकसित करना, उपभोक्ताओं/ग्राहकों की अभिरूचि के अनुसार षिल्पियों से उत्पादन कराना, हस्तषिल्पियों को नये-नये डिजाइन एवं उत्पादों की जानकारी एवं प्रषिक्षण उपलब्ध कराना, बाजार की प्रतिस्पर्धात्मक परिस्थितियों के दृष्टिगत लागत मूल्य में कमी लाना एवं हस्तषिल्पियों को बाजार की गतिविधियों से अवगत कराने हेतु अन्य संबंधित हस्तषिल्प क्षेत्रों के कुषल कारीगरों से जानकारी उपलब्ध कराना इस योजना के मुख्य उद्देष्य है।
श्री गंगवार ने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत हस्तषिल्प क्षेत्र में नवीन डिजाइनों का समावेष करने के उद्देष्य से विभिन्न क्षेत्र के हस्तषिल्पियों को निगम में पंजीकृत किया जाता है। इसमें पुरस्कृत हस्तषिल्पियों/कारीगरों को वरीयता दी जाती है। योजना के तहत 80 प्रतिषत हस्तषिल्पी उत्तर प्रदेष से पंजीकृत किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि हस्तषिल्प के उत्कृष्ट डिजाइनों के निरन्तर विकास हेतु भारत सरकार से अनुमोदित सूची में डिजाइनरों का एक पैनल गठित किया जा रहा है, जो आधुनिक/प्रचलित बाजार मांग के अनुसार नये डिजाइन विकसित करके निगम को उपलब्ध करायेगा जिसके अनुसार हस्तषिल्पियों द्वारा नये सामानों का उत्पादन कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि निगम के प्रबन्ध निदेषक की अध्यक्षता में देष के लब्ध प्रतिष्ठ फैषन डिजाइनर, मार्केटिंग विषेषज्ञों का एक एडवाइजरी पैनल भी गठित किया जायेगा, जो समय-समय पर अपनी सेवायें उपलब्ध करायेगा। निगम के सभी प्रदर्षनकक्षों को कम्प्युटरीकृत किया जा रहा है, जिसका शुभारम्भ आज गंगोत्री हजरतगंज, लखनऊ प्रदर्षनकक्ष से किया गया है, जिसके अन्तर्गत उत्पादों पर बारकोड लगाकर विक्रय किया जाना, कम्प्यूटर द्वारा आनलाइन कैष मैमो जारी किया जाना एवं समस्त स्टाक आदि का लेखा-जोखा कम्प्यूटर पर रखा जाना सम्मिलित है, जिसके फलस्वरूप लखनऊ स्थित मुख्यालय स्तर से ही प्रदर्षनकक्ष की सम्पूर्ण गतिविधियों पर कुषल नियंत्रण रखा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि निगम द्वारा समय-समय पर आयोजित प्रदर्षनियों के माध्यम से भी इन उत्पादों का विक्रय किया जायेगा। प्रदर्ष सह विपणन योजना में 1000 हस्तषिल्पियों को पंजीकृत करके इस वित्तीय वर्ष 2012-13 में लगभग रू0 50.00 लाख मूल्य के सामानों की बिक्री किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन प्रमुख सचिव श्री मुकुल सिंघल ने कहा कि इस योजना के लागू होने से प्रदेष के हस्तषिल्पियों को जहाॅ एक ओर उनके उत्पादित माल के विक्रय हेतु एक सुगम प्लेटफार्म उपलब्ध होगा वहीं दूसरी ओर उनके कौषल विकास, कार्यषीलपूॅंजी व्यवस्था और नये डिजाइन विकसित करने का अवसर मिलेगा जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय बाजार के अलाव अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भी हस्तषिल्प के उत्पादों की मांग बढे़गी। उन्होंने बताया कि हस्तषिल्पियों/कारीगरों का माल जिस दिन निगम के गंगोत्री प्रदर्षन कक्ष में प्राप्त होगा उसी दिन उस माल के देय मूल्य की 50 प्रतिषत राषि उनके खाते में स्थानान्तरित कर दी जायेगी। इस योजना के अन्तर्गत चिकन, वुड-क्राफ्ट, जरी-क्राफ्ट, ब्रासवेयर, साडि़याॅ एवं अन्य क्राफ्ट की बिक्री की जायेगी।
श्री मुकुल सिंघल ने कहा कि नई दिल्ली, हैदराबाद, अहमदाबाद, नागपुर एवं मुम्बई में भी प्रदर्ष-सह केन्द्र खोले जायेंगे। प्रत्येक प्रदर्षन कक्ष हेतु हस्तषिल्प का चयन वहाॅ की स्थानीय मांग को ध्यान में रखते हुए किया जायेगा। अभी तक 88 हस्तषिल्पियों को पंजीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि इस योजना से हस्तषिल्पियों के अलावा आम नागरिकों को भी उचित मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता के सामान उपलब्ध होंगे, क्योंकि समस्त सामान निगम के अधिकारियों के पर्यवेक्षण में तैयार कराया जा रहा है। विस्तृत लागत गणना के उपरान्त उनके मूल्य निर्धारित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्ष-सह-विपणन योजना एकीकृत हस्तषिल्प विकास योजना के रूप में लायी गई है जो प्रदेष के हस्तषिल्प के विकास में सहायक होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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