पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस पर आरोप लगाने से पहले समाजवादी पार्टी स्वयं अपने चाल, चरित्र की पड़ताल करे, फिर कांग्रेस पार्टी पर उंगली उठाये।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि आरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जिसके जरिये कांग्रेस, समाज में गहरी खाई को पाटकर समरसता की भावना लाना चाहती है, लेकिन अपने चरित्र के अनुरूप सपा इसमें रोड़ा बनी हुई है। अगर ऐसा नहीं होता तो राज्य के कर्मचारियों को हड़ताल के लिए नहीं उकसाती। हड़ताल के कारण जो नुकसान हुआ है उसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार को लेनी होगी।
प्रवक्ता ने कहा कि सपा सरकार में आपराधिक चरित्र वालों को प्राथमिकता मिल रही है जिससे सूबे की कानून व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है। सपा का चुनावी घोषणा पत्र मजाक बनकर रह गया है और सपा के लोग सोची समझी साजिश के तहत मुद्दों से लोगों का ध्यान बंटाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। मौजूदा समय में बसपा सरकार के घोटालेबाजों के नाम पर जिस तरह नौटंकी हो रही है, उसे प्रदेश की जनता भलीभांति समझ रही है। कमजोर और हाशिये पर पड़े जनप्रतिनिधियों को जेल भेजने, ताकतवर लोगों के साथ गुड्डा-गुड्डी खेलने वालों को जनता जान गई है। यह कितनी विडम्बना है कि बीआरजीएफ जैसे घोटाले की जांच की सिफारिश जो मंत्री करता है बाद में वही मंत्री दागियों की तैनाती और जांच रोकने की कवायद में जुटा हुआ है।
उन्होने कहा कि जहां तक पदोन्नति में आरक्षण की बात है, आरक्षण का मुद्दा उठाकर कंाग्रेस पार्टी वाकई दलितों को समानता का अधिकार दिलाने का काम कर रही है। दलित जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी ही उनकी सच्ची हितैषी है। जहां तक समाजवादी पार्टी के चरित्र की बात है उसके लिए उनके वरिष्ठ मंत्री द्वारा रेलवे के लोगों के साथ उनकी पिटाई और अपमानित करने का कृत्य ही काफी है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने गुजरात चुनाव में कांग्रेस की पराजय को लेकर जो टिप्पणी की है उससे यह जाहिर होता है कि उनकी प्रसन्नता का कारण कंाग्रेस की पराजय का कम, मोदी की जीत का अधिक है। ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी ने श्री मोदी की जीत सुनिश्चित करने के लिए ही अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे ताकि सेक्युलर वोटों का बंटवारा हो सके। अगर ऐसा नहीं होता तो सपा हिमाचल प्रदेश में मिली जीत का भी उल्लेख करती। सबसे पहले प्रदेश की सपा सरकार को चाहिए कि सुस्त पड़ी औद्योगिक रफ्तार, ध्वस्त हो रही कानून व्यवस्था, बिजली आदि की कमियों को दूर करे ताकि प्रदेश में औद्योगिक माहौल पैदा हो, नहीं तो आई.टी. पार्क बनाने जैसी घोषणाएं सिर्फ भाषणों तक ही सीमित रह जायेंगीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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