उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने कहा कि प्रदेश में भूजल प्रबन्धन, वर्षा जल संचयन एवं भूजल रिचार्ज हेतु समग्र नीति बनायी जाए। वृहद भूजल जनजागरूकता हेतु सम्पूर्ण प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में ’पंचायत से पंचायत’ तथा शहरी क्षेत्रों में ’स्कूल से स्कूल’ अभियान चलाकर भूजल संरक्षण के संदेश को प्रसारित करने की योजना बनायी जाए। भूजल प्रचार-प्रसार में औद्योगिक, व्यवसायिक, व्यापारिक, गैरसरकारी संगठनों को जोड़कर व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय हाइड्रोजियोलाॅजिकल परिस्थितियों के आधार पर प्रत्येक जनपद की ’जल प्रबन्धन योजना’ बनायी जाए, जो शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होनी चाहिए। जनपद स्तरीय जल प्रबन्धन योजना के माध्यम से प्रत्येक जनपद में भूजल संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग, विनियमित दोहन, संरक्षण एवं सुरक्षा के लिए प्रभावी रणनीति एवं प्राथमिकताएं तय की जायें। उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त जनपदों में गठित ’रिचार्ज एक्टीविटी कोर टीम’ को अधिक प्रभावी बनाया जाए, जो राज्य स्तर पर गठित ’भूजल संवर्द्धन टास्क फोर्स’ वर्षा जल संचयन के कार्यक्रमों को गति प्रदान करने हेतु अपेक्षित तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी।
उत्तर प्रदेश में भारत सरकार के सहयोग से कृत्रिम भूजल रिचार्ज हेतु 9429.28 करोड़ रूपये का मास्टर प्लान तैयार किया गया है, जिसमें रूफ टाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग हेतु 1800 करोड़ रूपये की धनराशि भी सम्मिलित है। इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 110783.14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को रिचार्ज कराया जायेगा। योजना में 5185 एम0सी0एम0 जल की उपलब्धता रिचार्ज हेतु भी प्रस्तावित है। प्रदेश के 70 जनपदों में आई0डब्ल्यू0एम0पी0 के अन्तर्गत 85.09 लाख हे0 क्षेत्र का पराफैक्टिव प्लान तैयार कर प्राविधानों के अनुसार 108 अतिदोहित/क्रिटिकल एवं 107 सेमीक्रिटिकल विकास खण्डों के लगभग 04 लाख हे0 क्षेत्र में विभिन्न कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। भूजल गुणवत्ता के सघन अनुश्रवण हेतु भूगर्भ जल विभाग द्वारा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ’स्थाई माॅनीटरिंग स्टेशन’ स्थापित कराए जायंेगे। उन्होंने कहा कि भूगर्भ जल संचयन योजनाओं की संरचना में मार्गदर्शन एवं समुचित तकनीकी सहयोग प्रदान करने तथा अन्तर्विभागीय समन्वय हेतु भूगर्भ जल विभाग में दक्ष विशेषज्ञों के साथ एक ’पृथक प्रकोष्ठ’ की स्थापना करायी जाए। उन्होंने कहा कि समग्र भूजल नीति के प्राविधानों एवं मार्ग निर्देशों का क्रियान्वयन और अनुपालन विभिन्न स्थलों पर समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित कराने एवं नियमित अनुश्रवण हेतु कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में ’समग्र भूजल नीति अनुश्रवण एवं समीक्षा समिति’ का गठन भी होगा।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में भूगर्भ जल विभाग द्वारा आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदूषित भूजल स्रोतों को चिन्हित कर प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित जलापूर्ति सुनिश्चित करायी जाए। समग्र भूजल प्रबन्धन हेतु एक्यूफर मैपिंग एवं एक्यूफर आधारित प्रबन्धन के राष्ट्रीय कार्यक्रम को प्रदेश में प्राथमिकता पर योजनाबद्ध तरीके से आरम्भ कराया जाए। एक्यूफर मैपिंग एवं एक्यूफर आधारित भूजल प्रबन्धन कार्यक्रम के अधीन प्रदेश के चिन्हित क्षेत्रों को आगामी 10 से 15 वर्षाें में चरणबद्ध ढंग से आच्छादित कराया जाए। जिन क्षेत्रों में सिंचाई मुख्य रूप से उथले नलकूपों पर निर्भर है, वहां नए नलकूपों का निर्माण अपेक्षाकृत गहरे स्टेªटा (वैकल्पिक एक्यूफर्स) में किया जाए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबन्धन हेतु सिंचाई यांत्रिक विभाग द्वारा राजकीय नलकूपांे से की जाने वाली सिंचाई में स्प्रिंक्लर प्रणाली को सम्मिलित किया जाए। अतिदोहित क्षेत्रों में नहर जल से सिंचाई करने के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया जाए।
श्री उस्मानी ने कहा कि छतों पर गिरने वाले वर्षा जल के अधिकतम रिचार्ज हेतु नवनिर्मित होने वाले निजी भवनों पर रिचार्ज प्रणाली की स्थापना के लिए भूखण्ड के क्षेत्र पर की वर्तमान अनिवार्यता 300 वर्गमीटर को घटाकर पुनः 200 वर्गमीटर किया जाए। उन्होंने कहा कि शासकीय एवं अर्द्धशासकीय भवनों में रूफ टाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की अनिवार्य स्थापना का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने कहा कि जनसामान्य को तकनीकी परामर्श देने के लिए विकास प्राधिकरणों तथा आवास-विकास परिषदांे के अन्तर्गत (तकनीकी प्रकोष्ठ) की स्थापना एवं विशेषज्ञों की नियुक्ति करने पर भी विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त शहरों को ’रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिटी’ के रूप में विकसित करने के लिए पी0पी0पी0 माडल की संभावनाओं तथा निजी क्षेत्र की सहभागिता पर विचार करने हेतु नगर विकास विभाग द्वारा आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाए। उन्होंने कहा कि अतिदोहित एवं क्रिटिकल विकास खण्डों में जहां सिंचाई के पर्याप्त साधन हंै, वहां केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित समेकित वाटर सेट विकास कार्यक्रम की योजनाएं आरम्भ कराये जाने के लिए केन्द्र सरकार से अनुरोध किया जाए।
बैठक में प्रमुख सचिव आवास श्री प्रवीण कुमार, प्रमुख सचिव लघु सिंचाई श्री संजीव दुबे सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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