प्रोन्नति में आरक्षण के विरोध में आज राजकीय निर्माण निगम में सभी संवर्ग के कर्मचारियों ने तालाबंदी करते हुए। मुख्यालय पर जोरदार सभा की और कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण को किसी भी हालत में बर्दाश्त नही किया। जाएगा। नाराज निगम कर्मियों ने आज गोमतीनगर में निर्माणाधीन उच्च न्यायालय भवन के निर्माण कार्य को रोककर अपना विरोध दर्ज कराया दिया हैं इस दौरान हुई सभा में केन्द्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ जमकर नारे बाजी करते हुए कहा कि सर्वजन हिताय समिति के निर्देश पर आगे भी उनका कार्यक्रम जारी रहेगा।
इस दौरान सभा को सम्बोधित करते हुए राजकीय निर्माण निगम फील्ड वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश यादव ने कहा कि देश में उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है। जिसने केन्द्र की सत्ता में हमेशा अहम रोल अदा किया है। देश का सर्वाािध प्रधानमंत्री देने वाले इस प्रदेश में प्रोन्नति में आरक्षण मसले पर जो चिन्गारी बनी है वह किसी भी समय आग का रूप ले सकती है। जबकि महामंत्री सहज राम वर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन्दिरा साहनी से लेकर एम नागराज और शैलेन्द्र दुबे तक के मामले में प्रोन्नति में आरक्षण को गलत ठहराने के आदेश के विपरीत उत्तर प्रदेश का कर्मचारी लामबंद हो चुका है। कर्मचारी और अधिकारियों का स्पष्ट मानना है कि यह विधेयक मण्डल कमीशन से ज्यादा घातक है ओर मण्डल कमीशन के दौरान देश में फैली अराजकता से कई गुना आराजकता की तरफ इस देश को ढकेलेगा।
उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ग्रेजुएट इंजीनियर्स संघ के अध्यक्ष संदीप सिंह ने कहा कि इस विधयेक के आने के बाद देश में वर्ग संघर्ष का जो दौर शुरू होगी इसकी कल्पना कांग्रेस, भाजपा और बसपा ने नही की होगी। अगर बसपा वर्ग विशेष की बात कर रही है तो दूसरे संवर्ग के लोग क्या वेवकूफ है।
जबकि संघ के महामंत्री हरिओम शर्मा ने उपस्थित कर्मचारियांे और अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे सभी संवर्ग के कर्मचारी नेता है इसलिए हमारा यह विरोध तो नही कि आरक्षण न दिया जाए। मामला आरक्षण का है भी नही लेकिन हमारा मानना है कि अगर किसी मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने कोई निर्णय लिया है तो उसका अनुपालन अवश्य किया जाए। अगर ऐसा नही किया जाता है तो निश्चित है कि भाई भाई का दुश्मन बना जाएगा। यह बहुत गम्भीर मसला है इस पर सरकार को पुनर्विचार अवश्य करना चाहिए।
राजकीय निर्माण निगम डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के महामंत्री एस.डी. द्विेवेदी ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। इसका हम हर स्तर पर पुरजोर विरोध करते है। हम मानते है कि हम सरकारी बंधन में है लेकिन इसका असर आने वाली पीढ़ी तक पर पड़ेगा। बेहतर होगा कि केन्द्र सरकार समाज को विखण्डन की स्थिति में न ले जाए। उनका यह भी कहना था कि आरक्षण व्यवस्था पहले से लागू है फिर इस तरह की व्यवस्था देने की जरूरत क्या है। संघ के अध्यक्ष मिर्जा फिरोज शाह ने कहा कि इस मामले में सर्वजन हिताय समिति के नेतृत्व में हम काम कर रहे है। सरकार सर्वोच्च न्यायालय निर्णय के बाद जिस परम्परा का जन्म दे रही है वह ठीक नही है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि आरक्षण व्यवस्था पिछले 65 वर्ष से लागू है लेकिन किसी भी संवर्ग ने इसका विरोध नही किया। लेकिन लालचवश राजनैतिक दल हो कर रहे है इससे कर्मचारी संवर्ग दो वर्गो में विभक्ता होगा और प्रदेश के साथ देश का विकास प्रभावित होगा। केन्द्र सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करना चाहिए। जबकि महामंत्री भजन लाल ने कहा कि अगर अनपढ़ आदमी से भी यह पूछा जाए कि 23 ज्यादा है या 77 तो वह उगली घूमाकर बता देगा। लेकिन देश दो बड़े और एक छोटे दल ने इसके विपरीत उत्तर निकालते हुए 23 को 77 से ज्यादा मानते हुए समाज को एक और विखण्डन की तरफ ढकेल दिया है।हम भाजपा और कांग्रेस सांसदों का पुतला फूककर विरोध दर्ज करायेगें। इस सभा का संचालन भीमशंकर मिश्र ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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