समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि केन्द्र की यूपीए सरकार आर्थिक और सामाजिक ताना-बाना को नष्ट करने की साजिश कर रही है। एफडीआई से देश की घरेलू अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के इरादे के बाद प्रोन्नति में आरक्षण विधेयक लाकर केन्द्र सरकार सामाजिक विषमता और वैमनस्य को बढ़ावा देने में लगी है। इसके विरोध में खड़े समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव को घेरने और उन्हें सीबीआई का भय दिखाने का भी षडयंत्र है। कांग्रेस के इस खेल में भाजपा भी साझीदार है जो सांप्रदायिकता के बूते सत्ता में आने को छटपटा रही है।
श्री मुलायम सिंह यादव सन् 1967 से संसदीय राजनीति में हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर केन्द्र सरकार में रक्षामंत्री जैसे पदों पर वे रह चुके हैं। यह कैसी विडम्बना है कि गांवो का जीवन जीने और आम जनता में लोकप्रियता प्राप्त नेता, जिसकी तन-मन-धन से लोगों ने हमेशा मदद की हो, उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। देश की राजनीति में वे पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हितों के सबसे मुखर समर्थक और धर्मनिरपेक्षता के भी प्रबल पक्षधर हैं। उनकी राजनीति के केन्द्र में किसान, गरीब और वंचित शोषित समाज के लोग हैं। चूॅकि वे एफडीआई को किसान विरोधी कदम बताकर उसका कड़ा विरोध कर रहे हैं और प्रोन्नति में आरक्षण संबंधी संषोधन विधेयक को सामाजिक सौहार्द पर आघात मानते हैं, उनको ही सीबीआई के शिकंजे में कसने की निन्दनीय कोशिशें हो रही हैं। सीबीआई के पूर्व निदेशक यू0एस0 मिश्रा ने साफ कर दिया है कि जांच एजेन्सी को सरकार के दबाव में काम करना पड़ता है और पूर्व सीबीआई प्रमुख जोगिन्दर सिंह का भी कहना है कि सीबीआई स्वतंत्र संगठन नहीं है। स्पष्ट है कि श्री मुलायम सिंह यादव के विरोध को दबाने के लिए सीबीआई द्वारा ब्लैकमेल की नीति अपनाई जा रही है। श्री मुलायम सिंह यादव ने जोखिमों की परवाह न करते हुए सदैव साहस का परिचय दिया है।
लेकिन यूपीए सरकार और कांग्रेस के तमाम दबावों के बावजूद समाजवादी पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में अपने सिद्धान्तों से कोई समझौता करनेवाली नहीं है। समाजवादी पार्टी किसानों को वालमार्ट जैसी कम्पनियों का जरखरीद गुलाम नहीं बनने देगी। केन्द्र सरकार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के दबाव में आकर देश की अस्मिता से खेल रही है। प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह एफडीआई के विरोधियों को पुरानी सोच का बताकर अपनी विदेशों से उधार ली हुई सोच को ही उजागर कर रहे है। उनकी असफल आर्थिक नीतियों ने देश कोे मंहगाई, भ्रष्टाचार और गरीबी का शिकार बना दिया है।
जातिवाद और साम्प्रदायिकता की राजनीति करनेवालों के दबाव में केन्द्र सरकार ने प्रोन्नति में आरक्षण का संविधान संशोधन बिल लाकर जता दिया है कि कांग्रेस अब अपने पुराने रास्ते से हट गई है। महात्मा गांधी साम्राज्यवाद और साम्राज्यवादी नीतियों के घोर विरोधी रहे हैं। गांधी जी जीवन भर सामाजिक सद्भाव और सौहार्द के लिए संघर्षशील रहे और सांप्रदायिकता के खिलाफ अपना बलिदान दिया। आज वही कांग्रेस सामाजिक वैमनस्यता को बढ़ाने और देष की प्रतिभाओं को कुंठित करने का पाप करने जा रही है। समाजवादी पार्टी इसका डटकर विरोध के लिए संकल्पित है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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