उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने प्रदेश में क्रियान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने प्रदेश में तेजी से गिरते भूगर्भ जल स्तर पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के 108 अतिदोहित विकास खण्डों में पेयजल स्रोत के स्थायित्व तथा जल की गुणवत्ता हेतु समेकित प्रयास किये जाय, तथा इस मामले में सफल अन्य राज्यों द्वारा अपनायी जा रही है आधुनिक तकनीक को अपनाया जाय। उन्होंने उ0प्र0 जल निगम को प्रदेश में निर्माणाधीन 965 पाइप पेयजल योजनाओं को दिसम्बर 2012 तक पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने यह निर्देश अपने कार्यालय के सभागार में वर्ष 2012-13 के दौरान प्रदेश में क्रियान्वित ग्रामीण पेयजल योजनाओं की समीक्षा बैठक में दिये। उन्होंने उ0प्र0 जल निगम द्वारा 1042 निर्माणाधीन योजनाओं को शीघ्र पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये हैं, तथा अधिकारियों से कहा कि 343 जल गुणवत्ता प्रभावित योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर माच्र 2013 तक पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये हैं, ताकि ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल मिल सके। उन्होंने कहा कि योजनाओं को समय से पूर्ण किया जाना ठीक विकास की आधारशिला है। योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी से विकास प्रक्रिया के पहिये पटरी से उतरते हैं।
श्री आलोक रंजन ने कहा कि पंचायत स्तर से दो व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया जाय जिससे ग्रामीणों के पेयजल स्रोतों की जांच फील्ड टेस्ट किट द्वारा की जा सके तथा इसमें ग्रामीणों की अधिकाधिक भागीदारी भी सुनिश्चित की जाय, ताकि ग्रामीण पेयजल योजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा सके। बैठक में प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास विभाग, श्री राजीव कुमार, प्रबन्ध निदेशक उ0प्र0जल निगम, श्री रूद्र प्रताप सिंह, अधिशाषी निदेशक राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन, श्री राकेश कुमार ओझा एवं जल निगम के समस्त क्षेत्रीय मुख्य अभियन्ता तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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