उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री बी0एल0 जोशी ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय हाल में उर्दू के महान शायर द्वारका प्रसाद ‘उफुक़’ पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि मुंशी द्वारका प्रसाद ने उर्दू साहित्य के माध्यम से भारतीय समाज को पुर्नजागरण का सन्देश देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी द्वारका प्रसाद को उर्दू शायरी विरासत में मिली थी और वे फारसी, अरबी, उर्दू, हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने कहा कि बाल्मीकि रामायण, महाभारत और श्रीमद् भागवद्गीता का उर्दू में अनुवाद करने वाले द्वारका प्रसाद की गणना उर्दू के महान साहित्य सेवियों में की जा सकती है।
श्री जोशी ने कहा कि उर्दू भाषा और साहित्य ने देश और समाज के उत्थान में जो भूमिका अदा की है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि उर्दू जुबान ने अनेकता में एकता का सन्देश दिया जो हमारी मिली-जुली भारतीय संस्कृति और कौमी तहजीब की बुनियाद है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में भी उर्दू भाषा का पत्रिकारिता तथा लेखन के माध्यम से योगदान रहा है।
कार्यक्रम में डा0 शादिब रूदौलवी ने कहा कि ‘उफुक’ साहब पर शोध की आवश्यकता है। उन्होंने उर्दू पर बहुत काम किया है और गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाया है।
डा0 मलिकजादा मंजूर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वर्गीय द्वारका प्रसाद ने उर्दू की हर विधा पर काफी कार्य किया है। उन पर एक बड़ा सेमिनार और विश्वविद्यालय में शोध होना चाहिये। वास्तव में ऐसे लोग अपनी कृतियों से याद किये जाते हैं।
संगोष्ठी में डा0 सुधाकर अदीब, डा0 कोमल भटनागर सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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