उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने विश्व विख्यात संगीतज्ञ श्री रविशंकर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत जगत ही नहीं, विश्व ने एक महान विभूति आज खो दी है। उत्तर प्रदेश की माटी में जन्में ‘भारत रत्न’
श्री रविशंकर ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को शिखर तक पहंुचाया। उनके इस योगदान को भारतीय संगीत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक युग का आज अन्त हो गया।
श्री यादव ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि पूरी दुनिया के संगीत जगत में जिन श्री रविशंकर की प्रतिभा का लोहा माना जाता था, उनका जन्म उत्तर प्रदेश के प्राचीन शहर वाराणसी में वर्ष 1920 में हुआ था। मात्र दस वर्ष की आयु में वे एक नृत्य गु्रप में शामिल होकर पेरिस चले गए। यहीं से उनकी संगीत यात्रा शुरू हुई और उन्हांेने इतनी कम आयु में ही लगभग पूरे यूरोप का भ्रमण किया। फिर नृत्य छोड़कर उन्हांेने विख्यात सितार वादक उस्ताद अलाउद्दीन खान से सितार वादन सीखा और देखते ही देखते पूरी दुनिया में वे सितार वादन के विशेषज्ञ के रूप में विख्यात हो गए। उन्होंने कई नए सुरों की भी रचना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज संगीत जगत ने ही नहीं उत्तर प्रदेश भी अपनी एक महान विभूति से महरूम हो गया है। उन्होंने कहा कि 1999 में श्री रविशंकर को भारत ने सबसे बड़े पुरस्कार ‘भारत रत्न’ नवाजा और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी संगीत साधना को वर्ष 2000 में तीन ‘ग्रैमी अवार्ड’ के रूप मंे पुरस्कृत किया गया।
श्री यादव ने उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि विश्व के कई देशों में श्री रविशंकर ने संगीत की शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान किया। उनके नाम से अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में चेयर स्थापित हंै। यूरोप के कई देशों में भी उनके नाम से संगीत विद्यालय चल रहे हैं। उनके अनगिनत शिष्यों में भारी संख्या में विदेशी शिष्य थे। उन्होंने कहा कि श्री रविशंकर अपने पीछे भारतीय संगीत की एक बेहद समृद्ध परम्परा छोड़ गए हैं और शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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