उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने निर्देश दिये हंै कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2012 का औपचारिक विमोचन मुख्यमंत्री जी से यथाशीघ्र कराया जाय। उन्होंने कहा कि नीति से संबंधित समस्त शासनादेशांे को सम्बन्धित विभागों से निर्गत कराकर हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में शासनादेशों की संकलित बुकलेट भी प्रकाशित कराई जाये ताकि उद्यमियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल वातावरण का सृजन कराया जाय। नए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए निवेशकों को निवेश सम्बन्धी सूचनाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ अनुदान एवं रियायतों से अवगत कराते हुए उनकी सहायता की जाय तथा त्वरित समस्या समाधान हेतु आवश्यक व्यापक प्रबन्ध किये जाएं। नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां जिसमें प्लाण्ट, मशीनरी व स्पेयर पार्ट्स में पूंजी निवेश 2 करोड़ रुपये या अधिक हो, को उनके द्वारा प्रयोग किये जाने वाले कच्चे माल की क्रय पर 5 वर्ष के लिए मण्डी शुल्क व विकास सेस से छूट उपलब्ध कराई जायेगी। नष्टप्राय (पेरीशेवुल) कच्चे माल को उपयोग करने वाली खाद्य प्रसंस्करण की नई निर्यातक इकाइयों को प्लाण्ट, मशीनरी तथा तकनीकी सिविल कार्य में 5 करोड़ रुपये या अधिक पूंजी निवेश करने पर 10 वर्ष तक तथा 10 करोड़ रुपये या अधिक पूंजी निवेश करने पर 15 वर्ष के लिए मण्डी शुल्क व विकास सेस में छूट उपलब्ध कराई जायेगी।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में उद्योग प्रसंस्करण नीति-2012 के क्रियान्वयन के संबंध में आयोजित बैठक की अध्य़क्षता कर रहे थे। क्षेत्रीय विशिष्टताओं के आधार पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को उनके प्रसंस्कृत उत्पादों की ब्राण्डिंग को प्रोत्साहित करने हेतु व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम 5 लाख रुपये की धनराशि एक बार अनुदान भी सुलभ कराया जायेगा। नीति के अनुसार खाद्य सुरक्षा मानकों का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कराया जाय। बाजार व्यवस्था में सुधार कर कृषकों को उनके उत्पाद का अधिकतम मूल्य उपलब्ध कराया जाय। इस हेतु हाॅफेड एवं सम्बद्ध सहकारी समितियों को सुदृढ़ कर संगठित विपणन व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जाय और विपणन प्रोत्साहन हेतु क्रेता-विक्रेता सम्मेलन (बायर-सेलर मीट) और मेलों के माध्यम से उपभोक्ताओं और कृषकों को सीधे सम्पर्क में लाया जाय।
श्री उस्मानी ने बताया कि प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्टडी टूर का आयोजन उद्यमियों, विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों को समय-समय पर आवश्यकतानुसार कराया जायेगा, जिससे प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों की स्थापना में सहयोग प्रदान किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसी नई औद्योगिक इकाइयों को जिनके द्वारा 100 या इससे अधिक अकुशल श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। उनके द्वारा श्रमिकों के पक्ष में जमा किये गये ई0पी0एफ0 की 50 प्रतिशत धनराशि इकाई स्थापना के तीन वर्षों बाद उससे अगले तीन वर्षो हेतु प्रतिपूर्ति की जायेगी। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को दक्ष मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु उद्यमिता विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन, ढाबा, फास्ट फूड, रेस्टोरेन्ट प्रशिक्षण, फूड हाईजीन एवं सेनीटेशन, जागरूकता तथा केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी शोध संस्थान (सी0एफ0टी0आर0आई0),रक्षा खाद्य शोध प्रयोगशाला (डी0एफ0आर0एल0) एवं अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ प्रशिक्षण आयोजित कराये जाय। उन्होंने कहा कि प्रोत्साहनात्मक कार्यक्रमों में गोष्ठियां, सेमिनार, प्रदर्शनी, अध्ययन सर्वेक्षण तथा अध्ययन भ्रमण आदि कार्यक्रमों का आयोजन कराये जाएं।बैठक में प्रमुख सचिव खाद्य प्रसंस्करण, ी रजनीश दुबे, सचिव वित्त, एम0 देवराज सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे। ,
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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