अर्जेन्टीना से पधारे न्यायमूर्ति डा. रिकार्डो ली रोसी, न्यायाधीश, नेशनल कोर्ट आॅफ सिविल अपील्स को ‘लखनऊ शहर की चाभी’ प्रदान कर सम्मानित किया लखनऊ के मेयर डा. दिनेश शर्मा ने
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित हो रहे ‘‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 13वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’’ के तीसरे दिन आज 60 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों और कानूनविदों ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ लागू करना समय की मांग है क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। इस ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन आज 60 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने जमकर चर्चा परिचर्चा की और ‘विश्व के 2 अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य’ एवं ‘प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून’ पर व्यापक विचार-विमर्श किया, साथ ही साथ सी.एम.एस. छात्रों व शिक्षकों के विशाल ‘विश्व एकता मार्च’ का नेतृत्व कर विश्व एकता, विश्व शान्ति व भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य की जोरदार वकालत की। इससे पहले आज प्रात.कालीन सत्र का शुभारम्भ युगाण्डा के मुख्य
न्यायाधीश श्री बेंजामिन जे. ओडोकी द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर लखनऊ के मेयर डा. दिनेश शर्मा ने अर्जेन्टीना से पधारे न्यायमूर्ति डा. रिकार्डो ली रोसी, न्यायाधीश, नेशनल कोर्ट आॅफ सिविल अपील्स एवं डायरेक्टर-जनरल, ए.आई.ई.जे, को ‘लखनऊ शहर की चाभी’ प्रदान कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल की पहल पर मानवता की भलाई व संसार भर के बच्चों के सुन्दर भविष्य का जो बीड़ा विश्व के न्यायविदों व कानूनविदों ने उठाया है, उसकी दूसरी मिसाल मिलनी मुश्किल है। विश्व के विभिन्न देशों से पधारे न्यायमूर्तियों ने यह अहसास करा दिया है कि एकता व शान्ति के वातावरण में ही भावी पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहाँ पधारे न्यायविद् व कानूनविद् भावी समाज का नक्शा तैयार करेंगे जिसमें पूरी मानवता की भलाई हो। अर्जेन्टीना से पधारे न्यायमूर्ति डा. रिकार्डो ली रोसी, न्यायाधीश, नेशनल कोर्ट आॅफ सिविल अपील्स ने इस अवसर पर कहा कि यहाँ विश्व के सभी न्यायाधीशों के लिए शांति तथा एकता जैसे मुद्दों पर विचार करने का सुनहरा अवसर है। न्याय एवं शिक्षा के बिना शांति संभव नहीं है। मेरे लिए यह बड़ा ही सुखद अनुभव है कि यहाँ सभी न्यायाधीशों के साथ प्रजातंत्र के मुख्य बिन्दुओं पर विचार विमर्श का अवसर मिला है।
इस ऐतिहासिक सम्मेलन के तीसरे दिन अपने विचार रखते हुए मोजाम्बिक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ओजियर पोन्जा ने कहा कि भारतीय महाद्वीप का यह अद्भुत शहर लखनऊ वास्तव में प्रजातंत्र की मिसाल प्रस्तुत करता है, जहाँ विभिन्न देशों के न्यायमूर्ति एक मंच पर एकत्रित हैं। हमें यह प्रयास करना है कि बच्चों के खिलाफ हिंसा, व्यापार एवं शोषण रुके, इस रास्ते में अनेक रूकावटें है पर हम बच्चों के अधिकार एवं उनके भलाई के लिए प्रयास करते रहेंगे। चाड़ सप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति अब्दरहीम बिरेमे हामिद ने कहा कि भविश्य की पीढियों के विष्य में सोचना एक गम्भीर बात है और यह अत्यन्त लाभदायक है कि पूरे विश्व के न्यायधीश आज यहां इस पर चर्चा कर रहे हैं। किन्तु यह खेद की बात है कि लखनऊ के बाहर भारत में इस सम्मेलन की महत्ता इतनी नहीं समझी जा रही है। अतः मैं चाहूँगा कि मीडिया इस सम्मेलन का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करे और शान्ति व एकता के विचारों को दूर-दूर तक फैलाये। तुर्की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अली खान ने कहा कि बच्चों को ही युद्ध में सबसे अधिक नुकसान होता है और वे दूसरों की गलतियों की वजह से मारे जाते हें। उन्होने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में संशोधन करके व एक प्रजातान्त्रिक विश्व संसद के गठन से और प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था बनाकर हम विश्व के 2.4 करोड़ बच्चों व आने वाली पीढियों को जीवन सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, और एक सुन्दर संसार का पुनर्निर्माण कर सकते हैं। मान्टनीग्रो कान्स्टीट्यूशनल कोर्ट के डेप्यूटी प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति देसेनका लोपिसिक ने कहा कि प्रत्येक समाज व देश का प्राथमिक कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों की परिवार या समाज में हो रही किसी भी प्रकार की हिंसा से रक्षा करे तथा उनके स्वस्थ विकास व शिक्षा के ख्याल रखे क्योंकि अन्ततः किसी भी देश या समाज का भविष्य उसके बच्चों व भावी पीढी पर ही निर्भर है। अर्जेन्टीना से पधारी न्यायाधीश, सुश्री मार्था गोमेज अल्सीना ने कहा कि हर जज के लिए किसी भी केस में बच्चे का हित सर्वोपरि होना चाहिए। उन्होने कहा कि अर्जेन्टीना के कानून के मुताबिक यदि किसी घरेलू कानून के अनुसार बच्चे को हानि पहंुचाती है तो जज को पूर्ण अधिकार है कि उसके हित की रक्षा के लिए वह अन्तर्राष्ट्रीय कानून का सहारा ले। कतर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मसूद मोहम्मद ने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के विषय में न्यायमूर्तियों द्वारा रूल आफ लाॅ के अनुसार कार्य करने की जिम्मेदारी निहित है जिसके लिए राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय दोनों ही स्तरों पर कार्य करने की आवश्यकता है। कोस्टारिका से पधारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुश्री इरना लूसिया बी मोरा ने कहा कि विश्व में बच्चों एवं औरतों की स्थिति दयनीय है जिसे सुधारने की जरूरत है। इसी प्रकार देश-विदेश से पधारे कई अन्य न्यायमूर्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
प्रातःकालीन सत्र के अन्तर्गत आज अलग-अलग समानान्तर सेशन्स भी आयोजित हुए जिसमें विभिन्न देशों से पधारे न्यायमूर्तियों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चा की। जांजीबार हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ओमार ओ मकुुंगू की अध्यक्षता में पहला पैरालल सेशन ‘क्रिएटिंग अ कल्चर आॅफ यूनिटी एण्ड पीस’ विषय पर आयोजित हुआ जिसमें पीस एजुकेशन, क्रास कच्लरल अण्डरस्टैंडिंग, यूनिटी आॅफ रिलीजन, इण्टरफेथ डायलाॅग, इण्टरनेशनल टेरोरिज्म आदि विषयों पर व्यापक चर्चा हुई। इस अवसर पर न्यायमूर्ति ओमार ओ मकुुंगू ने कहा कि अपने-अपने बच्चों के बारे में सभी देश चिन्तित हैं, खासतौर पर ऐसे समय में जब विश्व के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की सुरक्षा, उम्मीदों व उनकी जिन्दगियों पर खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है ऐसे में मैं उम्मीद करता हूँ कि इस सम्मेलन के प्रतिभागी सीएमएस के बच्चों से प्रेरणा लेंगे और इनकी उम्मीदों पर खरे उतरने का प्रयास करेंगे। इसी प्रकार ‘इस्टैब्लिशिंग रूल आॅफ लाॅ’ विषय पर आयोजित पैरालल सेशन में इन्फोर्सेबल वल्र्ड लाॅ एण्ड वल्र्ड ज्यूड्शिरी, क्रिएटिंग अवरेयरनेस फाॅर एण्ड प्रोटेक्शन आफ फण्डामेन्टल ह्यूमन राइट्स, राइट्स आॅफ चिल्ड्रेन एण्ड वोमेन, जेन्डर इक्वलिटी आदि विषयों पर गंभीर चर्चा हुई। इस सेशन की अध्यक्षता मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय कुमार गोहिल ने की। इसी प्रकार ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर थीम पर
आधारित पैरालल सेशन्स के अन्तर्गत यू.एन. रिफार्म, नीड फाॅर ए न्यू वल्र्ड आर्डर आॅन डेमोक्रेटिक लाइन्स, स्ट्रक्चर आफ ग्लोबल डेमोक्रेसी आदि विषयों पर गंभीर चर्चा सम्पन्न हुई। इस सेशन की अध्यक्षता गुयाना के मुख्य न्यायाधीश कार्ल अशोक सिंह ने की। इसी प्रकार टैकलिंग ग्लोबल इश्यूज, टुवार्डस इण्टरनेशनल लाॅ इन्फोर्सिबिलिटी आदि विषयों एवं उप-विषयों पर भी पैरालेल सेशन्स आयोजित हुए।
आज अपरान्हः सत्र में एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस. ने बताया कि माननीय न्यायविदों का मानना है कि हम लोगों के बीच संस्कृति, मान्यताओं व सामाजिक मूल्यों की विभिन्नताएं होने के बावजूद हम सब भाई बहन हैं और जब तक हम इन विभिन्नताओं में एकता नहीं स्थापित करते, हम शान्ति व सुख से नहीं रह सकते। डा. गाँधी ने जानकारी दी कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। अनुच्छेद 51(सी) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य इस ओर प्रयासरत रहेगा कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून के लिए आदर भाव हो। उन्होंने बताया कि सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि वे मानवता की आवाज और बुलन्द कर सकते हैं परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय कानून तभी प्रभावशाली रूप से लागू किया जा सकता है जब राजनीति से जुड़े लोग भी हमारे साथ मिलकर एक विश्व संसद बनाने का समर्थन दें।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि आज प्रातः विश्व के 60 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, कानूनविदों व शांति प्रचारकों ने सी.एम.एस. छात्रों व शिक्षकों के विशाल ‘विश्व एकता मार्च’ में जोरदारी भागीदारी कर सी.एम.एस. के 45000 छात्रों की अपील का पुरजोर समर्थन किया एवं विश्व के 2 अरब बच्चों व आने वाली पीढि़यों के भविष्य की सुरक्षा हेतु प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था व विश्व सरकार के गठन को खुलकर समर्थन दिया। श्री शर्मा ने आगे बताया कि 60 देशों से पधारे ये न्यायविद् व कानूनविद् आज सायं 8.00 बजे होटल ताज के लिए रवाना होंगे, जहाँ प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय विभिन्न देशों के माननीय न्यायमूर्तियों के सम्मान में रात्रिभोज देंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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