महोत्सव 2012 में स्टाल संख्या सी-160-162 में चल रहे निःशुल्क आयुर्वेदीय निदान एवं चिकित्सा शिविर में आज भी रोगियों की भीड़ उमड़ी। यह शिविर आयुर्वेद विभाग द्वारा आयोजित किया गया है। जिसमें रोगियों को निःशुल्क परामर्श दिया जा रहा है तथा आयुर्वेदिक औषधियाॅ भी निःशुल्क वितरित की जा रही है। प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा के प्रचार-प्रसार हेतु इस शिविर में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ एवं राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय लखनऊ के योग्य चिकित्सकों की एक टीम लगायी गयी है जिसमें राजभवन चिकित्सालय के राजवैद्य डा0 शिव शंकर त्रिपाठी, नटकुर के डा0 एस0के0 गुप्ता, गोसाईगंज के डा0 बृजेश कुमार, शाहमऊ की डा0 अनुभूति तथा आयुर्वेदिक कालेज के डा0 पी0के0 श्रीवास्तव एवं डा0 कमल सचदेवा आदि प्रमुख है।
नाड़ी विशेषज्ञ राजवैद्य डा0 शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि खानपान की गड़बड़ी, अनियमित जीवन शैली तथा चिन्ता एवं क्रोध के अधिक करने के कारण हृदय रोगियों की संख्या में दिनों-दिन वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया कि अर्जुन की छाल का काढ़ा दूध के साथ बनाकर यदि प्रतिदिन खाली पेट पिया जाये तो हृदय रोगों से बचे रह सकते हैं तथा इसके नियमित सेवन से धमनी अवरोध दूर होकर बाईपास सर्जरी तक टल जाती है। उन्होंने कहा कि कोलेस्ट्राल को कम करने के लिये जरूरी है कि वसायुक्त भोजन कम करें, नियमित व्यायाम करें तथा रात्रि को जल्दी सोयें और सूर्योदय के पूर्व जगकर कम से कम तीन कि0मी0 भ्रमण करें। किन्तु ध्यान रहे कि अधिक ठंड के समय हृदय रोगियों को प्रातः भ्रमण से बचना चाहिये। पंचकर्म विशेषज्ञ डा0 एस0के0 गुप्ता ने बताया कि कटिशूल (कमर के दर्द) में दशमूल क्वाथ से कटिस्वेद कराने एवं सिंहनांद गुगुल के सेवन से शीघ्र आराम मिलता है। उन्होंने बताया कि साइनोसाइटिस के रोगियों को षड्बिन्दु तेल का नस्य कराने से स्थाई लाभ मिलता है। डा0 श्रीमती अनुभूति ने बताया कि शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिये मौसमी फल तथा एक मुठ्ठी अंकुरित चने का सेवन तथा खाने के बाद गुड़ का लेना लाभकारी है। डा0 बृजेश कुमार ने बताया कि यकृत के रोगों में पुनर्नवा की जड़ का सेवन एवं मकोय के पत्ते का साग लेना अत्यन्त मुफीद है। आयुर्वेद महाविद्यालय के चिकित्साधिकारी डा0 पी0के0 श्रीवास्तव ने बताया कि अर्श (पाइल्स) के रोगियों को कब्ज को दूर रखना चाहिए उसके लिये पंचसकार चूर्ण का सेवन रात में गुनगुने पानी से करना चाहिए तथा अर्शोघ्नी वटी एक गोली का प्रातः सांय सेवन करना लाभकारी होता है। डा0 कमल सचदेवा ने बताया कि अम्लपित के रोगियों को उपवास से बचना चाहिए तथा अम्लता को कम करने के लिये अविपत्तिकर चूर्ण एक चम्मच रोज लेना हितकर रहता है।
जनसामान्य की स्वास्थ्य रक्षा हेतु तथा आयुर्वेद मंे वर्णित सद्ाचरण एवं आहार-विहार के बारे में जानकारी हेतु ‘‘आयुर्वेद और स्वास्थ्य’’ तथा ‘‘आयुर्वेदोऽमृतानाम्’’ नामक दो पत्रकों का निःशुल्क वितरण भी इस स्टाल द्वारा किया जा रहा है। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक/यूनानी अधिकारी, लखनऊ, डा0 अरूणेश चन्द्र त्रिपाठी ने आह्वान किया कि आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन समाचार-पत्र, पत्रिकाओं, टी0वी0 एवं इण्टरनेट में दिये गये विज्ञापनों के माध्यम से करना स्वास्थ्य के लिये हानिकर है। अतएव किसी भी स्थिति में साध्य व असाध्य रोगों की चिकित्सा भ्रामक विज्ञापनों को पढ़कर न करें और किसी योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह पर ही आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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