लखनऊ । श्री शारदा संघ के 49वें वार्षिक सम्मेलन में देश भर से आए प्रतिनिधियों के सम्मुख ‘नेशनल एसोसिएशन फाॅर ब्लाइन्ड्स’ के युवा सदस्यों द्वारा शुक्रवार को निराला नगर स्थित रामकृष्ण मठ के प्रेक्षागृह में ‘जय जय जय विवेकानन्द स्वामी’ नाटक का मंचन किया गया। आनन्द अस्थाना के लिखे इस संगीत प्रधान नाटक का कुशल निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी पुनीत अस्थाना ने किया। नाटक में स्वामी विवेकानन्द के जीवन की प्रमुख घटनाओं को प्रभावी ढंग से पेश किया गया।
नाटक का आरंभ ‘प्रभुजी मोरे अवगुण चित न धरो’ भजन से हुई। ‘जय राम कृष्ण शरणम’ पर किया गय नृत्य संयोजन भी आकर्षण का केन्द्र बना। ‘चलो मन जाए घर अपने’ मधुर भजन के बाद नाट्यांत में पेश शीर्षक गीत ‘जय जय जय विवेकानन्द स्वामी’ पर सुन्दर भाव नृत्य किया गया। नाटक में सच्चाई पर विवेकानंद द्वारा मंचित नाटक हुआ वहीं सामाजिक कुरीतियों के विरोध में उनके संघर्ष को भी महत्व दिया गया। शिकागो भाषण का प्रसंग नाटक का केन्द्रीय आकर्षण बना। दृष्टि बाधित युवाओं ने अपने अत्यन्त प्रभावी अभिनय से सभी दर्शकों का मन मोह लिया। उनकी अभिनय कुशलता को देख कर कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं हुआ कि वे दृष्टि बाधित हैं। नाटक के अदाकारों में उमेद सिंह राना ने स्वामी विवेकानन्द, राम मोहन दीक्षित ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस, रिन्कु जोशी ने सूत्रधार और सेनापति की भूमिका कुशलतापूर्वक निभाई। श्वेता वर्मा ने सूत्रधार और पीशी मां का किरदार प्रभावी ढंग से अदा किया। प्रतीक सेनी ने महामंत्री और राजा खेतड़ी का अभिनय किया। रेहान उस्मानी ने टीचर और राजा मंगल सिंह का पात्र निभाया। प्रीति ने मां शारदा का किरदार किया। अरविन्द रावत फकीर और चनन की भूमिका में प्रशंसा हासिल की। मो.शकील के सैट और एम.हफीज़ की प्रकाश व्यवस्था ने नाटक के आकर्षण को बढ़ाया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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