समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुस्लिमों के हितों पर कहीं चोट न पहुॅचे, समाजवादी पार्टी इसके लिए सदैव प्रयत्नशील रही है। उर्दू को रोजी रोटी से जोड़ने का पहला प्रयास अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में श्री मुलायम सिंह यादव ने ही किया था। उर्दू शिक्षकों और अनुवादकों को नौकरी पर रखने की पहल उन्होने ही की थी। इससे मुस्लिम परिवारों की स्थिति में सुधार आया और उनकी आजीविका के नए रास्ते खुले। उर्दू को बढ़ावा देने के तहत सभी सरकारी नाम पट्ट भी उर्दू में लिखे जाने के आदेश समाजवादी पार्टी की सरकार में हुए थे।
समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में उर्दू को बढ़ावा देने के लिए मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय और ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय की स्थापना की। इससे पूर्व इंटीग्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी। मदरसों को अनुदान सूची में रखने के साथ कब्रिस्तानो की चहारदीवारी भी बनवाई जा रही है। मुस्लिम छात्राओं को आगे की पढ़ाई तथा शादी के लिए 30 हजार रूपए का अनुदान दिया जा रहा है।
केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने सच्चर कमेटी का गठन मुस्लिमों की दशा के सर्वेक्षण के लिए किया था। इस कमेटी ने यह राय दी कि मुस्लिमों की हालत दलितों से भी बदतर है। केन्द्र सरकार ने इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जबकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुस्लिमो की शैक्षिक आर्थिक तथा सामाजिक स्थितियों में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार ने शिक्षकों की भर्ती शुरू करने का जो निर्णय लिया है उससे मोअल्लिम-ए-उर्दू डिग्रीधारकों को भी फायदा होगा। अब इस डिग्री के धारक प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक उर्दू के पदों पर नियुक्त किए जाएगें। इनको टीईटी की बाध्यता नहीं होगी। इसी तरह इनकी आयु सीमा में भी काफी ढील दी गई है। यह एक अहम फैसला है जिसकी वजह से 16 वर्षो से संघर्ष करते मुस्लिम नौजवानों को बहुत राहत मिलेगी।
समाजवादी पार्टी की सरकार ने प्रदेश के प्रमुख जिलो तथा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में उच्च स्तरीय औद्योगिक संस्थाओं (आईटीआई स्तरीय) का विकास करने का नीतिगत निर्णय लिया गया है। प्रदेष के शैक्षिक रूप से पिछड़े असेवित विकास खण्डो एवं मुस्लिम बहुत जिलो ंमें कुल 36 राजकीय माडल महाविद्यालयों की स्थापना की कार्यवाही प्रारम्भ हो चुकी है। समाजवादी पार्टी सरकार ने यह भी तय किया है कि प्रदेश में गठित सभी सरकारी आयोगों, परिषदों और समितियों में अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व को सदस्य नामित किए जाएगें। पूर्व प्रचलित व्यवस्था को समाप्त करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के पिछड़ी जाति के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति तथाा शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के स्थान पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के स्तर से दिए जाने का निर्णय लिया गया है। समाजवादी सरकार की प्राथमिकता में धर्मनिरपेक्षता के जरिए सामाजिक सद्भाव एवं प्रदेश का विकास दोनों है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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