उ0प्र0 ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकत्री आशा यूनियन सम्बद्ध आॅल इण्डिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेन्टर AIUTUC के नेतृत्व में प्रदेश के कोने-कोने से हजारों आशाकर्मीं चारबाग रेलवे स्टेशन पर एकत्रित हुईं। वहाँ से एक विशाल जुलूस के रूप में विधान सभा पहुंचीं। विधान सभा पर जुलूस सभा में तब्दील हो गया। सभा का संचालन यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष वालेन्द्र कटियार ने किया। सभा को सम्बोधित करते हुए यूनियन के महासचिव अर्चना भोसले ने आशाओं के साथ हो रहे अन्याय की विस्तृत चर्चा की उन्होंने कहा कि आशाकर्मी दिन-रात काम करती हैं, लेकिन उनके पैसे का भुगतान सालों नहीं होता वे जननी सुरक्षा के अलावा राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे-पल्स पोलियो, टीकाकरण, स्मार्ट कार्ड योजना, अन्धता निवारण योजना, चुनाव डियूटी समेत न जाने कितने काम करती हैं। सारा दिन अस्पतालों में दौड़ती हैं लेकिन सरकार द्वारा उन्हें न तो सरकारी कर्मचारी माना जाता है और नही कोई वेतन दिया जाता है ,जिसके चलते आशाकर्मी गरीबी की दलदल में धसती चली जा रही हैं। लेकिन संवेदनहीन सरकार द्वारा उन्हें दिन-प्रतिदिन नये-नये काम बढ़ाये जा रहे हैं। लेकिन उनकी बेहतरी के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। आशाओं के सम्मुख एक ताकतवर आन्दोलन का निर्माण करने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है। उन्हांेने आशाओं से एक मजबूत आन्दोलन के निर्माण का आह्वान किया। सभा को AIUTUC के राज्य अध्यक्ष का0राजबली ने सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में आशाकर्मियों की तरह बहुत से निजी व सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर कर्मचारी भूखों मरने की कगार पर हैं, वह भी आशाकर्मियों की तरह संघर्ष कर रहे हैं। वक्त की जरूरत है सभी मजदूर मिल कर राज्य की जनविरोधी सरकार के खिलाफ एक संयुक्त ताकतवर मजदूर आन्दोलन का निर्माण करें। सभा को उर्मिला दूबे, रानी पटेल, सुधा, अंशू यादव, ममता अवस्थी, किरन कटियार, मायादेवी, राधा पटेल, धर्मदेव आदि ने भी सम्बोधित किया। अन्त में सात सूत्रीय ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपा गया, आशाकर्मियों की निम्नलिखित मांगें हैं, उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाये। सरकारी कर्मचारी का दर्जा न दिये जाने तक उन्हें 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा तय वेतन रुपया-16,000/-प्रतिमाह दिया जाये। यात्रा भत्ता के रूप में कम से कम 2000/-रु0 प्रतिमाह दिया जाये। प्रत्येक अस्पताल में उठने-बैठने के लिए एक साफ-सुथरा आशा कक्ष उपलब्ध कराया जाये। उनके द्वारा किये गये कार्य का भुगतान एक सप्ताह के अंदर कर दिया जाये आदि। प्रदेश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में आशाकर्मी विधानसभा मार्च में शामिल होंगीं। किसी भी दशा में आशाकर्मी की मृत्यु होने पर उसके आश्रितों को कम से कम 5 लाख रुपया की क्षतिपूर्ति दिलायी जाये। प्रशिक्षण न कराये जाने के बहाने वर्षो से कार्यरत आशाओं का बकाया भुगतान अविलम्ब किया जाये तथा उन्हें प्रशिक्षण दिलाया जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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