समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि केन्द्र की कांग्रेस सरकार का किसान विरोधी रवैया बरकरार है। डीजल मंहगा हो गया, रसोई गैस ईंधन मंहगी है, परिवहन भाड़ा बढ़ गया, खाद-बीज की किल्लत हो गई। किसान की खेती मंहगी हो गई। लेकिन उसकी उपज के दाम देने में तमाम बाधाएं पैदा की जा रही है। गेहूॅ, धान किसान सभी दुःखी हैं। कई राज्यों में तंगहाली और बदहाली से परेषान किसान आत्महत्या तक को मजबूर हो गए हैं। केन्द्र की कृषि विरोधी नीतियों के चलते ही देश में 2012-13 में प्रमुख फसलों की पैदावार में 2Û8 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन एकोनामी ने कहा है कि बुवाई क्षेत्र में कमी आती जा रही है। इससे प्रमुख फसलों का उत्पादन घटता जा रहा है।
कृषि मूल्य नीति पर सरकार की परामर्शदात्री संस्था कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने वर्ष 2013-14 के लिए गेहूॅ के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि किए जाने से इंकार कर दिया है। केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की आर्थिक मामलों की सीमिति (सीसीईए) गेहूॅ पर फैसला करने से नवम्बर महीने में किनारा कर गई। कृषि मंत्रालय का प्रस्ताव था कि एमएसपी में 115 रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की जाए किन्तु गेहूॅ का समर्थन मूल्य पिछले वर्ष की 1,285 रूपए प्रति कुंतल की दर से ही तय किया जा रहा है।
यह कांग्रेस की किसान विरोधी नीति का ही परिणाम है कि देश के किसानों को तो उनकी फसल का उचित मूल्य भी नहीं दिया जा रहा है जबकि इन्हीं किसानों की फसल ऊॅचे दामों पर विदेशों को निर्यात की जा रही है। वैश्विक बाजार में भारतीय गेहूॅ की मजबूत मांग के चलते निर्यात निविदा पर 300 डालर से लेकर 324 डालर प्रति टन की कीमत मिल रही है। भारतीय गेहूॅ की उचित कीमतों के चलते निर्यात सब्सिडी 1275 करोड़ रूपए से घटकर मौजूदा वित्त वर्ष में 500 करोड़ रूपए से भी कम रह जाने की सम्भावना है। ये आंकड़े जाहिर करते हैं कि भारतीय किसानों के साथ किस तरह उपेक्षापूर्ण हो रहा है। समाजवादी पार्टी की अतः मांग है कि गेहूॅ का समर्थन मूल्य 1500 रूपए से ज्यादा दिया जाना चाहिए।
समाजवादी पार्टी ने हमेशा किसानों और गांव-गरीब के हितों की चिन्ता की है। श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में प्रदेश के बजट का 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा कृषि क्षेत्र के लिए रखा था। समाजवादी पार्टी एफडीआई का विरोध इसलिए करती है क्योंकि यह किसान विरोधी कदम है। किसानों को इससे कोई फायदा नहीं होगी। पिछली बसपा सरकार को गांव और किसान दोनों से बैर था। पांच वर्षो तक बसपा राज में केवल पत्थरों, पार्को, स्मारकों पर सरकारी खजाना लुटाया जाता रहा।
समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसानों के हित की कई योजनाएं प्रारम्भ की है। उन्हें पेंशन, अनुदान, कर्ज माफी, मुफ्त सिंचाई की सुविधाएं दी है। उनकी बंधक जमीन की नीलामी पर रोक लगा दी है। गन्ना किसानों को उचित लाभकारी मूल्य दिलाए जाने का मुख्यमंत्री ने स्वयं आश्वासन दिया है। किसानों को समय से बीज, खाद मिले इसके लिए कड़े निर्देश दिए गए है। समाजवादी पार्टी सरकार किसानों की आर्थिक समृद्धि, कृषि उत्पादकता में वृद्धि एवं कृषि सुधारों को मजबूती देने के लिए कृतसंकल्प है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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