जनपद में पुलिस व्यवस्था फेल अपराधी हुए सव्रिहृय महिला कप्तान की हनक को नही मानते दरोगा व सिपाही शाम पांच बजे के बाद पुलिस व सुरक्षा विहीन हुआ पूरा जिला दिन में जनता पुलिस की वसूली से त्रस्त शाम को अपराधियों से त्रस्त ।
गौरतलब हो कि नगर सहित जिले में सपा सरकार की दयानतदारी से तैनाती पाये पुराने सिपाही और पुराने दरोगाओं के आते ही बसपा सरकार मे जिला छोड चुके अपराधियों के फिर से जिले मे सव्रिहृय हाने से अपराधो की बाढ आ गई है वही जिलें मे महिला कप्तान होने का पूरा फायदा ये पुराने सिपाही व दरोगा उठा रहे है । जिसके चलते न तो अब सी०ओ० न ही एडीशनल रात्रि गस्त के दौरान चेकिंग करते है न ही इन दरोगाओं व सिपाहियों पर किसी अधिकारी का कौई खौफ है जिससे पूरे क्षेत्र मे सरकारी अपाची से वाहन वसूली और रात्रि को पूरा आराम वो भी शराब और शबाब के साथ इससे अच्छी नौकरी और शासन शायद आजरइ भारत मे कभी नही आया होगा । अब तो अधिकारियों व दरोगा के सरकारी मोबाईल शाम छरू बजे के बाद नाट रिचविल हो जाते है ।
नगर कोतवाल व चैकी के दरोगाओ का अनजाना नम्बर जनता व मीडिया जानती ही नही है जिससे घटना के वक्त उठना ही नही है सपा राज्य मे राम राज्य का अनूठा उदाहरण शायद उ०प्र० में कही फिर देखने को मिले । नगर मे चोरियो व अपराधो की बाढ आ गई है चेन छिनैती, मोटर साईकिल चोरी तो कोतवाली के सामने से दिन दहाडे हो रही है । आखिर कहां गया पुलिस कप्तान का वो तेवर जो इनक आगमन पर जनता ने देखा था या वो महज दिखावा था आज सी०ओ० के सामने डग्गामार आराम से बीच चैराहे पर खडे है । कप्तान के बंगले के बगल बढैयावीर मे हत्या व मर्डर हो रहा है आखिर ये सब क्या है ।
एडिशनल व सी०ओ० काली फिल्म वाली गाडी से बंगला व आफिस आ जा रहे है जनता तो क्या ज्यादातर मीडिया भी इन लोगो को नही पहचानती ये कैसे आला अधिकारी है गभडिया व शाहगंज चैकी वूसली चैकी बन चुकी है दरोगा पत्रकार का कैमरा मोबाईल तक छीन ले रहे है तो अपराधी की बात ही दूर है उस पर भी अश्वासन के बाद भी कोई कार्यवाही नही से सब क्या दर्शाता है क्या जनपद की पुलिस अखिलेश सरकार विरोधी हो गई है जनता मे सरकार को अपराधो के जरिये बदनाम किया जा रहा है जनता अपराधो से त्रस्त होकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौप रही है क्या पुलिस कप्तान की वाकई ये दरोगा व सिपाही परीक्षा ले रहे है या कुछ दूसरी बात है ।
एक यातायात दरोगा कभी पैदल नही चलता कभी जाम हटवाते नही दिखता कोतवाल कभी नगर मे गस्त नही करता दिखता न तलासी ना ग्रस्त न वीट के सिपाही की जांच सब कुछ अधेंर गर्दी हो चली है । एक पार्क मे सिपाही स्वयं सरेबाजार रंगरलियां मना रहे है मगर अधिकारी खामोशी से सब देख रहे है महिला थाना पूरे परिदृश्य से गायब है आखिर इसका क्या काम है ।
व्यापारी महिलाएं, छात्राएं, वाहन स्वामी सभी सभ्रान्तजन सभी त्रस्त है आखिर पुलिस कप्तान को क्या हो गया है क्यो नही दिख रहा सख्त तेवर पुलिस अधिक्षक क्यो नही इन भ्रष्ठ कर्रि्मयों पर कार्यवाही करती है । जनता साथ है न नेता, न पार्टी जनता तेज तर्रार पुलिस कप्तान के साथ है न कि भयभीत और ढीले ढाले प्रशासन के साथ जनता सुरक्षा, संरक्षा और न्याय चाहती है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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