उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उर्दू समाज में भाईचारा बढ़ाने वाली तथा सम्मान देने वाली भाषा है। उन्हांेने उर्दू को एक महत्वपूर्ण एवं अखिल भारतीय भाषा बताते हुए कहा कि सरकारी कामकाज में उर्दू का काफी इस्तेमाल किया जाता है। राज्य सरकार उर्दू के विकास के लिए कई फ़ैसले ले चुकी है और आने वाले समय में कई और फ़ैसले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि उर्दू के विकास के लिए राज्य सरकार ने बजट में भी बढ़ोत्तरी की है।
मुख्यमंत्री आज यहां प्रदेश पर्यटन विभाग के सभागार में उर्दू विरासत कारवां के तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी ‘प्रमोशन आॅफ़ उर्दू, प्राॅब्लम्स एण्ड प्रास्पेक्ट्स’ में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी और उर्दू के साथ-साथ विकास से देश को और अधिक मजबूती से जोड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने आयोजकों को गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए मशहूर लखनऊ शहर में इस प्रकार के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि इससे समाज में भाईचारा बढ़ेगा और पूरे देश में एक अच्छा संदेश जाएगा।
श्री यादव ने कहा कि हिन्दी और उर्दू आपस में इतनी घुली मिली भाषाएं हैं कि हिन्दी बोलते-बोलते उर्दू के शब्दों का और उर्दू बोलते वक्त हिन्दी के लफ़्ज़ों का प्रयोग लाज़मी हो जाता है। उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी में उर्दू ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि अच्छा भाषण या वक्तव्य बिना उर्दू के प्रयोग के वज़नी नहीं बनता। यही कारण है कि संसद एवं विधान सभाओं में वक्ता उर्दू का अधिक से अधिक प्रयोग कर अपने भाषण को तर्कसंगत एवं प्रभावी बनाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादियों को जब भी मौका मिला, उन्होंने उर्दू को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा के विकास के लिए उसे कामकाज से जोड़ना आवश्यक है और इसकी पूरी जि़म्मेदारी सरकार एवं समाज की है। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार इस जि़म्मेदारी को बखूबी समझती है और उर्दू के विकास के लिए आगे भी फैसले लेगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा जो निःशुल्क टैबलेट एवं लैपटाॅप वितरित किए जाएंगे, उनमें हिन्दी, अंग्रेजी के साथ-साथ उर्दू का साॅफ्टवेयर भी डाला जाएगा।
इससे पूर्व, भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने कहा कि हमारी मिली जुली संस्कृति में काफी विविधता हैै। उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ों की फूट डालो और राज करो की नीति से पहले उर्दू आम लोगों द्वारा प्रयोग में लायी जाती थी, बाद में अंग्रेज़ों ने साजिश कर समाज में फूट डालने की नीयत से हिन्दी को हिन्दुओं तथा उर्दू को मुस्लिमों से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब फिर वक्त आ गया है कि हमें मिल-जुलकर भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। इस मौके पर प्रो0 वसीम बरेलवी तथा इमाद ग्रुप, क़तर के अध्यक्ष श्री हसन ए0के0 चुग़ुल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन उर्दू विरासत कारवां के संयोजक श्री आसिफ़ आज़मी तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो0 एम0 फ़ारुक़ ने किया।
गोष्ठी में उर्दू अकादमी दिल्ली के उपाध्यक्ष प्रो0 अख़्तरुल वासे, मलेशिया के
श्री तारिक़ आज़म, सऊदी अरब के शीराज़ मेहदी, गोरखपुर के डाॅ0 अज़ीज़ अहमद सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com