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सरकार ने अपना वादा नही पूरा किया बल्कि किसानों को धोखा दिया है

Posted on 23 November 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि राज्य सरकार जनहित की घोषणाओं में भी मल्टीनेशनल कम्पनियों की तरह ”नियम एवं शर्ते लागू” के सिद्धांत पर काम कर रही है। पार्टी की राज्य ईकाई के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने अखिलेश सरकार द्वारा किसानों के कर्जे माफ करने की घोषणा पर प्रश्न उठाते हुए राज्य सरकार से पूछा कि उसने केवल सहकारी क्षेत्रो के बैंक के कर्जो की माफी का ही निर्णय क्यों लिया ? भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि शर्त सहित किसानों की कर्ज माफी की घोषणा कर सपा सरकार ने अपना वादा नही पूरा किया बल्कि किसानों को धोखा दिया है।
राज्य मुख्यालय पर संवादाताओं से वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के कर्जे माफी को लेकर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की मूल भावना से खिलवाड़ करने से भी गुरेज नहीं कर रही है। उन्होंने कहा सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव राज्य में अखिलेश सरकार के गठन के पहले और बाद में सार्वजनिक रूप से यह कहते रहे  है कि किसानों के 50 हजार तक के कर्जे माफ किये जायेंगे। सपा सुप्रीमों की मंशा के विरूद्ध कर्जे माफी के मामले में अखिलेश सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है। विधानसभा चुनाव के वक्त समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि सत्ता में आने पर किसानों के कर्ज माफी की व्यवस्था की जायेंगी। सपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के पृष्ठ 8 के बिन्दु 8 में कहा था कि ”कृषि को बंधक रखकर कर्ज लेने वाले किसानों को कर्ज न दे पाने की स्थिति में जमीन को नीलाम करने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया जायेगा। ऐसी स्थिति में किसानों के कर्ज माफ करने की व्यवस्था की जायेगी।” लेकिन अब अपने चुनावी घोषणापत्र के वादे को भूलकर अखिलेश सरकार ने किसानों की कर्ज माफी की घोषणा में नियम एवं शर्ते लागू कर दी।
श्री पाठक ने कहा कि सपा ने सत्ता में आते ही किसानों को भूला दिया। राज्य में कर्ज से परेशान किसान आत्महत्या को मजबूर हुए। लेकिन सरकार सोती रही। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में भी सपा सरकार की रूचि नही रही। सरकार की उपेक्षा के कारण किसानों को अपनी उपज को औने पौने दामों पर बिचैलियों के हाथों बेचना पड़ा। जबकि सपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी यह भी वादा किया था कि किसान की उपज का लागत मूल्य निर्धरित करने के लिये एक आयोग का गठन किया जायेगा। जो तीन महीने में अपनी रिर्पोट राज्य सरकार को देगा। लागत मूल्य का 50 प्रतिशत उसमें जोड़कर जो राशि आयेगी वह विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूूल्य होगा। सरकार सीधे किसानों से इस निर्धारित मूल्य पर किसान की उपज की खरीद सुनिश्चित करेगी। इसमें खासतौर से गन्ना, गेहूँ और धान की फसल से जुड़े हुए किसानों को किसी तरह की दिक्कत का सामना नही करना पड़ेगा। उन्होंने कहा पेराई सत्र शुरू होने के बाद भी गन्ने का सर्मथन मूल्य अभी तक घोषित क्यों नही किया गया।
भाजपा प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री से मांग की कि अपनी किसान कर्ज माफी योजना पर पुर्नविचार करते हुए न केवल सहकारी बैंक बल्कि सरकारी बैंको से कर्ज लेने वाले किसानों की कर्ज माफी की भी व्यवस्था करें। साथ ही गन्ने का सर्मथन मूल्य 400रू प्रति क्ंिवटल किये जाने की मांग की।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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