उत्तर प्रदेश में नये उद्योगों के स्थापित होने तथा पूर्व से स्थापित औद्योगिक इकाइयांे के सतत् उत्पादनरत रहने, उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों के मूलभूत अधिकारों एवं उनके हितों के पूर्ण सरंक्षण, उद्यमियों को उत्पीड़न से बचाने, भ्रष्टाचार से मुक्त वातावरण बनाने तथा नये निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से प्रदेश शासन द्वारा अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 को स्वीकृत कर प्रभावी कर दिया गया है।
यह जानकारी प्रमुख सचिव, श्रम श्री शैलेश कृष्ण ने दी है। उन्होंने बताया कि औद्योगिक इकाइयों के निरीक्षण उद्देश्यपरक बनाने तथा उनकी आवृत्ति कम से कम करने के उद्देश्य से वर्ष 2006 में औद्योगिक इकाइयों में श्रम कानूनों के प्रवर्तन हेतु स्वप्रमाणन व्यवस्था लागू की गई थी परन्तु यह संज्ञान में आया है कि उक्त व्यवस्था को कतिपय कारणों से प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जा सका है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि नयी व्यवस्था के अनुसार समस्त औद्योगिक इकाईयां श्रम विभाग द्वारा निर्धारित प्रारूप पर प्रत्येक वर्ष 31 जनवरी तक विवरण पत्र श्रम विभाग के स्थानीय कार्यालय में भरकर जमा करेंगी। इस संबंध में निर्धारित प्रपत्र का प्रारूप तैयार कर श्रमायुक्त, उ0प्र0 सेवायोजकों के मान्यता प्राप्त औद्योगिक संगठनों को इस उद्देश्य से उपलब्ध करायेंगे कि वे औद्योगिक संगठन अपने सदस्यों को उक्त प्रारूप पर विवरण जमा कराने हेतु उपलब्ध करायेंगे। साथ ही श्रमायुक्त उ0प्र0 की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उक्त प्रारूप उद्यमियों की सुविधा हेतु अपलोड कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि औद्योगिक इकाईयों से निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत प्राप्त विवरण पत्रों का परीक्षण कर कारखानों के संबंध में अधिकतम से प्रारम्भ कर श्रमिकों की संख्या के आधार पर तथा दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठानों एवं अन्य आवर्त अनुसूचित नियोजनों के संबंध में नियोजनवार प्राप्त विवरणों की संख्या के आधार पर प्रत्येक वर्ष 20 प्रतिशत औद्योगिक इकाईयों की एक संयुक्त टीम द्वारा विवरण पत्र में दिये गये तथ्यों का भौतिक सत्यापन विभाग द्वारा कराया जायेगा।
श्री शैलेश कृष्ण ने बताया कि कारखानों के संबंध में विवरण पत्रों का सत्यापन श्रम प्रवर्तन अधिकारी/सहायक श्रमायुक्त, सहायक निदेशक/उप निदेशक कारखाना की संयुक्त टीम, संबंधित औद्योगिक इकाई के वरिष्ठ प्रबन्धन प्रतिनिधि तथा यथा सम्भव श्रमिकों की पंजीकृत यूनियन के प्रतिनिधि की उपस्थिति में करेगी। 20 प्रतिशत इकाईयों के चयन हेतु रोस्टर का निर्धारण दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठानों तथा अन्य अनुसूचित नियोजनों के संबंध में संबंधित क्षेत्र के उप/अपर श्रमायुक्त द्वारा कारखानों के निरीक्षण के संबंध में रोस्टर का निर्धारण संबंधित उप श्रमायुक्त तथा उप निदेशक कारखाना द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा और निरीक्षण की सूचना संबंधित इकाई को कम से कम 7 दिन पूर्व उपलब्ध कराई जायेगी। जिन औद्योगिक इकाईयों द्वारा निर्धारित समयावधि में उक्त विवरण संबंधित कार्यालयों को उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो संबंधित क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा उक्त क्षेत्र में स्थित सेवायोजक संगठन के प्रतिनिधियों को अवगत कराते हुए उन्हें विवरण पत्र प्रस्तुत करने हेतु 15 दिन का अतिरिक्त समय प्रदान करते हुए एक अवसर दिया जायेगा तथा विस्तारित अवधि में भी विवरण पत्र प्राप्त न होने की दशा में संबंधित जिले/मण्डल के जिलाधिकारी, मण्डलायुक्त से अनुमोदन प्राप्त कर नियमानुसार उनका निरीक्षण किया जा सकेगा।
प्रमुख सचिव ने बताया कि औद्योगिक इकाईयों द्वारा वार्षिक विवरण प्राप्त होने की दशा में रेण्डम आधार पर निरीक्षण में यदि अनुपालन शत-प्रतिशत पाया जाता है तो इन इकाईयों को एक ग्रीन कार्ड उपलब्ध करा दिया जायेगा, जिससे उन्हें आगामी 05 वर्षों तक निरीक्षण से छूट प्राप्त होगी। परन्तु यदि वार्षिक विवरणों के सत्यापन में अनुपालन में कोई कमी पाई जाती हंै तो उनके निराकरण हेतु औद्योगिक इकाई को एक माह का समय प्रदान किया जायेगा। यदि ये उल्लंघन मात्र तकनीकी अथवा लघु हैं तथा वर्तमान विधिक व्यवस्थाओं के अन्तर्गत उपशमन योग्य हैं तो संबंधित क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा उनका उपशमन कर दिया जायेगा। यदि एक माह की अवधि में भी औद्योगिक इकाईयों द्वारा कमियों का निराकरण संतोषजनक रूप से नहीं किया जाता है तथा पाये गये उल्लंघन वृहद एवं गम्भीर हों तो इकाई का सचेत करते हुए प्रबन्धन के विरूद्ध अभियोजन की कार्यवाही की जा सकती है, परन्तु यथासम्भव यह प्रयास किया जाए कि संबंधित इकाई द्वारा उक्त उल्लंघन को दूर करते हुए अनुपालन कर दिया जाए। अभियोजन की कार्यवाही केवल अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाई जायेगी।
प्राप्त विवरणों का सत्यापन करते समय अथवा औद्योगिक इकाईयों का निरीक्षण करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि निरीक्षणकर्ता अधिकारी उद्यमियों/प्रबन्धकों से शालीनतापूर्वक व्यवहार करें तथा उद्यमियों का श्रम कानून के प्राविधानों की आवश्यक जानकारी देते हुए उन्हें अनुपालन करने हेतु उत्प्रेरित करें। इस संबंध में उद्यमियों को अनुपालन के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से विभाग द्वारा औद्योगिक संगठनों के सहयोग से गोष्ठियां आदि भी आयोजित की जाएं तथा औद्योगिक संगठनों का सहयोग श्रम कानूनों के प्राविधानों के अनुपालन हेतु प्राप्त किया जाए।
विभाग द्वारा वार्षिक रिटन्र्स को आॅन लाइन प्रस्तुत करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी तथा अनुपालन की रिपोर्ट श्रम विभाग और संबंधित औद्योगिक इकाई की बेवसाइट पर रखी जाएगी, जिससे जन सामान्य को भी अनुपालन की प्रास्थिति की जानकारी हो सके। निरीक्षण/सत्यापन की यह प्रक्रिया कारखाना अधिनियम-1948 के अन्तर्गत खतरनाक कारखानों तथा भारतीय ब्वायलर अधिनियम-1923 के अन्तर्गत लागू नहीं होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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