राष्ट्रीय उदर्ू भाषा विकास परिषद (एन सी पी ये एल) ने अपने शैक्षणिक तथा प्रशासनिक कार्यो को नौवीं पंच वर्षीय योजना के दौरान 1 अप्रैल 1996 से प्रारंभ किया। एन सी पी यू एल को देश में उदर्ू की प्रोन्नति हेतु एक राष्ट्रीय नोडल एजेंसी घोषित किया गया था तथा इसे उदर्ू भाषा की उन्नति तथा उदर्ू शिक्षा को मुख्य धारा मेंं लाने के कार्य के लिए समर्पित मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के एक मुख्य स्वायत्त संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त हुर्इ ।
राष्ट्रीय उदर्ू भाषा विकास परिषद को पूरे देश में उदर्ू संगठनों की नेटवर्किंग की भूमिका प्रदान की गर्इ है ताकि सरकारी नीतियों को देश के सभी उदर्ू भाषी क्षेत्रों में लागू किया जा सके। पिछले कुछ वर्षो से भारत में उदर्ू भाषा एवं उदर्ू माध्यम शिक्षा के उन्नति हेतु राष्ट्रीय उदर्ू भाषा विकास परिषद एक प्रभावी समन्वयी तंत्र के रूप में उभरी है।
अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के दौरान परिषद को अरबी तथा फारसी भाषाओं, जिन्होंने भारत की मिली जुली संस्कृति के विकास मेंं महत्वपूर्ण भूमिका निभार्इ है, की उन्नति हेतु अतिरिक्त उत्तररदायित्व सौंपा गया है। उदर्ू भाषा की प्रोन्नति,विकास एंव प्रसार। ऐसे कार्यो करना जिनसे उदर्ू भाषा में वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास संबंधी आधुनिक संदर्भ मेंं विकसित विचारों के ज्ञान उपलब्ध कराए जा सके। उदू्र भाषा तथा इसकी शिक्षा से संबंधित विचारणीय विषय जो इसे प्रेषित किए जाते है के बारे में भारत सरकार को परामर्श देना। उदर्ू भाषा की प्रोन्नति के लिए अन्य ऐसे कार्य कलाप जिन्हें परिषद द्वारा उचित समझा जा सकता है। उपरोक्त उददेश्य के तहत परिषद ने आर्इटीआर्इ संस्थानों में पाठयक्रम में शामिल पुस्तकों को उदर्ू मेंं उपलब्ध कराने का संकल्प किया है। इस संबंध में प्रथम वर्ष मेंं उपयोग होने वाली 56 पुस्तकें उदर्ू मेंं तैयार है और जल्द ही प्रकाशित कर दी जाएंगी। दूसरे और तीसरे वर्ष के पाठयक्रम की किताबों की तैयारियां चल रही है। और जल्दी आर्इटीआर्इ के लगभग 100 पुस्तकें बाजार में आ जाएगी। मंटू सदी के उपलब्ध में परिषद ने तिमाही पत्रिका फि़क्र-व-तहकीक का एक जखीम मंटू नम्बर जुलार्इ से सितंबर 2012 प्रकाशित किया है। परिषद ने मकतबा जामिया लिमिटेड से एक समझौते के तहत अब तक मकतबा की 200 पुस्तकें प्रकाशित की है और 100 से अधिक पर काम हो राह है। परिषद ने रोजगार से जुड़े उदर्ू पत्रकारों की क्षमता मे अपने कार्यक्रम कें दूसरे चरण की शुरूआत श्रीनगर से किया । यह कार्यक्रम दूरस्थ शिक्षा कश्मीर विश्वविधालय के साथ मिलकर 7 जुलार्इ 13 जुलार्इ 2012 को सफलतापूर्वक आयोजित हुआ।
परिषद ने अल्पसंख्यक प्रभावी क्षेत्र वाले राज्यों मेंं व्यवासायिक कोर्सेस को रोजगार से जोड़ने मे लिए एनवीर्इक्यूएफ के तहत एक नर्इ योजना की ओर कदम बढ़ाया है। फिलहाल इसकी शुरूआत मुरादाबाद मेंं पीतल के सामान बनाने और कश्मीर मेंं पीपरमीशी पाठयक्रम से किया जायेगा। परिषद को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा जल्द ही यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह उदर्ू छात्रों को पारंपरिक और व्यवसायिक शिक्षा प्रमाणित प्रमाणपत्र प्रदान कर सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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