उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि न्यायपालिका हमारे लोकतंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। लोकतंत्र के चारों स्तम्भों में न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारे लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत बनाने में अदालतों के कई फैसलों ने बहुत बड़ी भूमिका अदा की है, जिससे न्यायपालिका पर आम आदमी का भरोसा और बढ़ गया है। श्री यादव आज उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के 40वें अधिवेशन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समाजवादी हमेशा से स्वतंत्र और ताकतवर न्यायपालिका के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि संसाधनों की कमी के बावजूद प्रदेश की न्यायपालिका की कार्यक्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उन्होंने भरोसा जताया कि भविष्य में भी ये प्रक्रिया जारी रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक संसाधनों की कमी होने के बावजूद राज्य सरकार न्यायपालिका के हितों के प्रति हमेशा संवेदनशील रही है। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ के निर्माणाधीन भवन के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 100 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। प्रदेश के नवसृजित जनपदों में अधीनस्थ न्यायालय तथा आवासीय भवनों के निर्माण के लिए
200 करोड़ रुपए तथा भूमि अधिग्रहण के लिए 15 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। साथ ही, अधीनस्थ न्यायालयों की मरम्मत के लिए 11 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। श्री यादव ने कहा कि प्रदेश में विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालयों में सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को उच्च न्यायालय के परामर्श से नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा गोमती नगर स्थित न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण संस्थान में 500 की क्षमता वाले आॅडिटोरियम का निर्माण भी कराया जाएगा। इस प्रशिक्षण संस्थान में महिला न्यायिक अधिकारियों के लिए एक अलग छात्रावास बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए घोषणा की कि प्रदेश के 12 जनपदों में पारिवारिक न्यायालय गठित हैं। शेष 63 जनपदों में पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना की जाएगी। उच्चतर न्यायिक सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत लैपटाप दिए जाएंगे। उ.प्र. न्यायिक अधिकारी कल्याणकारी निधि हेतु रुपए पांच करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। प्रदेश के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों को महिन्द्रा जीप के स्थान पर बुलेरो जीप चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराई जाएगी। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में न्यायिक अधिकारियों के इलाज के लिए रिवाल्विंग फण्ड की स्थापना की जाएगी, जिससे उन्हें कैशलेस इलाज की सुविधा मिल सके। महिला न्यायिक अधिकारियों को उत्तर प्रदेश राज्य की अन्य सेवाओं की भांति मातृत्व एवं बाल्य देखभाल अवकाश की सुविधा प्रदान की जाएगी। न्यायिक सेवा के अधिकारियों को उ.प्र. राज्य की अन्य सेवाओं की भांति स्वैच्छिक परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत अनुमन्य वैयक्तिक वेतन की सुविधा तत्काल प्रभाव से प्रदान की जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों को इससे काफी सहूलियत मिलेगी। इस अवसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री अमिताव लाला ने कहा कि न्यायिक अधिकारी विशेष महत्व वाली सेवा से जुड़े हैं। उनके सामाजिक दायित्व कहीं अधिक हैं। इसलिए उन्हें अगर परिस्थितियां नकारात्मक हैं, तो भी सकारात्मक रहने की कोशिश जरूर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब हम अधिकार की बात करते हैं, तो हमें अपने कर्तव्यों का भी अवश्य ध्यान रखना चाहिए। अधिवेशन को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ के वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री उमानाथ सिंह, न्यायमूर्ति श्री विनीत सरन, अधिवेशन आयोजन समिति के अध्यक्ष और लखनऊ के जनपद न्यायाधीश श्री के0के0 शर्मा, न्यायिक सेवा संघ की अध्यक्षा श्रीमती रंजना पाण्ड्या, महासचिव श्री रणधीर सिंह ने भी सम्बोधित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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