समाजवादी सरकार के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि जनता में भ्रम फैलाने और अपनी खोटी राजनीति को चमकाने के लिए कुछ दल और नेता यह दुष्प्रचार कर रहे है कि समाजवादी पार्टी सरकार अपने वायदे पूरे नहीं कर रही है। आरक्षण को लेकर भी अलग-अलग वर्गो एवं समाज में भं्रातियां फैलाई जा रही है। ये वे तत्व हैं जो प्रदेश में विकास एवं स्थिरता के दुश्मन हैं और चाहते हैं कि उन्हें फिर पहले जैसी लूट एवं अराजकता की छूट मिले। कुछ बिन मांगे सलाहकार भी पैदा हो गए हैं। एक को अपने भ्रष्टतंत्र का राज ही सुहाना लगता है। दूसरे हैं बाबरी मस्जिद ध्वंस के समय जिनकी पार्टी के प्रधानमंत्री पूजा करते रहे, केन्द्र सरकार में छोटे हैसियत के मंत्री अब हमें कथित दंगा रोकने में मदद देने की पेशकश कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मुख्य एजेन्डा विकास है। उन्होने वर्षो से व्याप्त जड़ता को तोड़ा है। पिछले सात महीनों में हर क्षेत्र में तेजी से काम किया गया है। इसके फलस्वरूप गन्ना और अनाज के पैदावार में आशातीत वृद्धि हुई है। कानून व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है और अशांति पैदा करनेवाले तत्वों का कठोरता से दमन किया गया है।
आम जनता को भरोसे में लेते हुए गरीब उपभोक्ताओं को बढ़ी बिजली दरों से छूट मिल गई है। गरीबों के इलाज की व्यवस्थाएं हो रही है। मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बूलेंस सेवा शुरू की गई है। नई औद्योगिक नीति तैयार हो रही है। पूंजीनिवेश के लिए उद्यमियों को सहूलियतें दी जा रही है। उद्योगपतियों को तय समय सीमा में एनओसी जारी करने के आदेश हो गए हैं। किसानों की जमीनें नहीं छीनी जाएगी। राज्य की उज्जवल छवि बनाने में ये निर्णय बहुत प्रभावी साबित होगें। मुख्यमंत्री जी ने अपने अल्पकार्यकाल में ही मुस्लिमों के कब्रिस्तानों की चहारदीवारी बनवाने, उनके मदरसों को मदद देने, मुस्लिम बालिकाओं को 30 हजार रूपए का अनुदान देने के निर्णय लिए है। सच्चर कमेटी ने मुस्लिमों की हालत दलितों से बदतर बताई है। राज्य सरकार उन्हें शैक्षिक, आर्थिक एवं सामाजिक रूप से बेहतर बनाने को संकल्पित है।
यह अजीब बात है कि समाजवादी पार्टी सरकार के जनहित के कार्यो पर वे टिप्पणी करने का दुस्साहस कर रहे है जिन्हें न तो प्रदेश के विकास की चिन्ता रही है और नहीं समाज के पिछड़ों, गरीबों और मुस्लिमों को सहूलियतें देने का उन्होने प्रयास किया है। बसपा मुखिया को तो ऐसी बातें करने का कोई हक नहीं है जो तीन बार उस भाजपा की मदद से ही मुख्यमंत्री बनीं जिसके शासनकाल में ही बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी। वे तो मुस्लिमों के कत्ले आम के बाद गुजरात में नरेन्द्र मोदी के प्रचार में भी गई थी। पूरे पांच साल प्रदेश में बसपाराज और पत्थर राज चला उसके प्रमोटर भाजपाई और बसपाई एक दूसरे के मौसेरे भाई साबित हुए है। जनता 2014 में उन्हें फिर सबक सिखएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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