गानों पर रोक लगाकर देवीगीत, भजन आदि बजाते हुए विसर्जन करवायें

Posted on 30 October 2012 by admin

सुलतानपुर जनपद मे लगने वाला दशहरा व दुर्गापूजा का मेला वैसे तो अभी पूरे भारत में अपनी सजावट व मूर्तियों की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन शायद जल्द ही यह मेला कुछ और चीजों के लिए अपनी प्रसिद्धि हासिल करेगा।
शायद केन्द्रीय पूजा समिति और प्रशासन को मेले मे बजने वाले मुन्न्नी बदनाम हुई, तुुझमे पूरी बोतल का नशा, तेरे दिल विच प्यार चाहीदा जैसे और कई फिल्मी गानों की धुन पर नाचते हुए लोग नही दिखाई पडते।
नवरात्रि और दशहरा वैसे तो धार्मिक मान्यताओं से भरपूर होता है इन पर्वो पर देवी गीत पचरा और भजन आदि गाने गाये जाते है जिससे माहौल और भक्तिमय होता है लेकिन विसर्जन में इसका ठीक उल्टा होता है इसमे देवी गीत और भजन तो बहुत दूर की बात है कही देशभक्ति के गीत भी नही बजते।
विसर्जन मे सिर्फ फिल्मी धुनो पर कानफोडू आवाज मे डी०जे० बजता है और उसकी धुन पर नशे मे सराबोर कमेटी के लोग अपने साथियो सहित अबीर गुलाल उडाते हुए नाचते गाते रहते है।
क्या यही है देवी मां के विसर्जन का तरीका, शायद नहीं, विसर्जन में अगर गाना ही बजाना है तो देवी गीत बजाये जायं भजन बजाया जाय और अगर नाचने का शौक है तो बिना पिये भी नाचा जा सकता है भले ही थोडी देर सही।
जनपद के कई सभ्र्रांत और बुद्धिजीवियो ने जिला प्रशासन और केन्द्रीय पूजा समिति से मांग की है कि इस तरह के गानों पर रोक लगाकर देवीगीत, भजन आदि बजाते हुए विसर्जन करवायें।

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एक सप्ताह चले दुर्गापूजा महोत्सव मे लगी देवी प्रतिमाओ के विसर्जन को मद्देनजर जनपद मे वाहनो के प्रवेश पर रोक लगा दी गई जिस कारण विभिन्न अस्पतालों मे भर्ती मरीज और उनके तीमारदार पूरा दिन परेशान रहे।
विसर्जन के कारण पयागीपुर से जनपद में प्रवेश करने वाली सडक पहले से ही बन्द थी राहुल चैराहे से आनेवाले लोगो को शाहगंज चैराहे पर नार्मल स्कूल की तरफ से आने वालो को डाकखाना चैराहे पर दरियापुर की तरफ से आने वाले लोगो को पंचरास्ते पर रोक दिया गया। जिस कारण अस्पताल मे भर्ती मरीजो खासकर प्रसव वाली महिलाओ एवं तीमारदारो को खासी दिक्कत का सामना करना पडा।
जहां एक तरफ प्रसव पीडा से कराहती महिलाओ को उपरोक्त चैराहो से वापस लौटा दिया गया वही जिला अस्पताल मे भर्ती इमरजेन्सी के मरीजो को भी मजबूरन अस्पताल मे ही रहना पडा क्योकि अस्पताल के गेट से ही मूर्तियो का काफिला जा रहा था ।
डी०जे० पर बजने वाले कानफोडू संगीत के कारण मेले मे चले रहे दर्शनार्थियों को अपने बच्चो के रोने की भी आवाज नही सुनाई पड रही थी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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