भवानीपुर, बहराइच जिले में मिहिनपूर्वा प्रखंड का वनों से घिरा हुआ एक गाँव है जो कटरनियाघाट वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र में प्रखंड मुख्यालय से 47 किलोमीटर एवं जिला मुख्यालय से 107 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जंगली गाँव की जनसंख्या 429 है जिसमें 25 प्रतिशत की आबादी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की है। अन्य ग्रामवासियों की तरह, भवानीपुर के वासी भी पारंपरिक नमक ‘‘दर्रा नमक’’ जो बिना आयोडीन का नमक है उपयोग में लाते थे। फरवरी 2011 में, ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति की एक बैठक में ग्रामीणों ने अपने गांव में बिना आयोडीन नमक का उपयोग रोकने के लिए एक सामूहिक निर्णय लिया। इस प्रकार लगातार समुदाय बैठकों को अंजाम देने के बाद समुदाय में नमक के प्रयोग में बदलाव आए।
स्थानीय दुकानदारों एवं समुदाय के इन कोशिशों के परिणामस्वरूप आज इस सुदूर गांव में 70 प्रतिशत से ज्यादा परिवारों में सिर्फ आयोडीनयुक्त नमक का प्रयोग होता है।
21 अक्टूबर, 2012 को पूरी दुनिया ‘‘आयोडीन अल्पता दिवस’’ मनाती है और आयोडीनयुक्त नमक के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अभियान इस दिशा में गति प्रदान करेगा।
उत्तर प्रदेश राज्य स्वास्थ्य संस्थान की अपर निदेशक, डाॅ. आभा आषुतोष ने बताया, ’’आयोडीन एक आवश्यक पोषक तत्व है जिसकी थोड़ी सी मात्रा हमारे शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक होती है। आयोडीन की कमी से शरीर में कई अपूरणीय क्षति जैसे मां के पेट में बच्चे का स्थायी अविकसित मस्तिष्क, मन्द बुद्वि, मानसिक विकास में रूकावट, घेंघा और कई अन्य प्रजनन विकार हो सकते हैं।’’
कई दशकों से अब भोजन में एक प्रमुख अवयव के रूप आयोडीनयुक्त नमक को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे बच्चों को मानसिक क्षति, मन्द बुद्वि और घेंघा रोग (गर्दन की सूजन) से बचाया जा सके। यद्यपि आयोडीनयुक्त नमक का उपयोग करने वाले परिवारों में बढोतरी हुई है परन्तुं खानें में प्रतिदिन इस्तमाल होने वाले नमक में आयोडीन की कितनी मात्रा पर्याप्त होती है अभी भी परिवारों में इस जानकारी का अभाव है। कई परिवार जो आयोडीनयुक्त नमक का उपयोग करते हैं, हो सकता है कि वे पर्याप्त रूप से आयोडीनयुक्त नमक का सेवन ना कर रहें हो।
लेकिन, आयोडीनयुक्त नमक का पर्याप्त होना क्या है? डब्ल्यूएचओ/यूनिसेफ और आईसीसीआईडीडी का कहना है कि कोई भी नमक जिसमें 15 पीपीएम (भाग प्रति मिलियन) आयोडीन की मात्रा पाई जाती हो तो वह नमक पर्याप्त रूप से आयोडीनयुक्त होता है। तथापि, बाजार में मिलने वाले प्रमुख नमक ब्राण्डों में आयोडीन की मात्रा की माप करना एक चुनौती है।
युनिसेफ, उत्तर प्रदेश की चीफ, एडल खुद्र ने बताया कि, ‘‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2005-06 के आँकड़े हमें बताते हैं कि राज्य में केवल 36 प्रतिशत परिवारों में ही पर्याप्त आयोडीनयुक्त नमक का उपयोग किया जाता है। इसका अर्थ है कि राज्य में सलाना जन्म लेने वाले 5.5 लाख बच्चों में से 12 लाख बच्चों में आयोडीन की कमी से होने वाली बिमारियों का खतरा अधिक है। आयोडीनयुक्त नमक का कम प्रयोग ग्रामीण आबादी के कठिन स्थिति में रहने वाले विशेष रूप से पिछडे समुदायों में आम बात है। इस समूह में रहने वाले बच्चों को अधिक से अधिक जोखिम है और वहाँ तत्काल कार्यवाही करने की आवश्यकता है। इस तरह हमें विश्व आयोडीन अल्पता दिवस को अपनी प्रतिबद्वता के रूप में मनाना चाहिए ताकि यह आवश्यक पोषक तत्व सभी लोगों तक पहुँचे।’’ पर्याप्त आयोडीनयुक्त नमक की उपलब्धता एवं पहुँच को सुनिश्चित करके जनसंख्या के एक बडे़ समूह को उनके शारीरिक और मानसिक क्षमता के विकास में सहयोग दिया जा सकता है, विशेष रूप से राज्य के उन 12 लाख बच्चों को जिन्हें जीवन के शुरूआती विकास चरण में आयोडीन की सख्त जरूरत है। इस दिशा में कार्य कर रहे एक गैर-सरकारी संगठन, देहात के जितेन्द्र चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘पर्याप्त रूप से आयोडीनयुक्त नमक का उपयोग करने में जागरूकता, साथ-साथ इसकी उपलब्धता भी एक मुद्दा है। दूर-दराज गांवों में आयोडीनयुक्त नमक की उपलब्धता सुनिश्चित कराना एक चुनौती है।’’
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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