उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, श्री जावेद उस्मानी ने विभागीय सचिवों को निर्देश दिये हैं कि अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति 2012 से सम्बन्धित शासनादेश प्रत्येक दशा में 25 अक्टूबर तक निर्गत कर दें। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित विभाग शासनादेश निर्गत करने के पूर्व आलेख्य औद्योगिक विभाग को अवश्य दिखा लें। उन्होंने कहा कि आगामी नवम्बर माह में प्रत्येक दशा में अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति 2012 की बुकलेट शासनादेशों की संलग्नक सहित प्रकाशित कराई जाय।
श्री उस्मानी ने बताया कि औद्योगिक सुरक्षा के अन्तर्गत उद्योग के विशेष आवश्यकताओं को देखते हुये पुलिस महानिरीक्षक के कार्यालय में उद्यमियों की समस्या निवारण हेतु ‘‘त्वरित शिकायत निवारण प्रकोष्ठ’’ (फास्ट ट्रैक ग्रीवेन्स रिड्रेसल सेल) वरिष्ठ पुलिस महानिरीक्षक के अधीन स्थापित होगा। जनपद स्तर पर त्वरित शिकायत निवारण प्रकोष्ठ अपर पुलिस अधीक्षक के अधीन गठित होगा। उन्होंने बताया कि औद्योगिक क्षेत्रों व आस्थानों में पुलिस पेट्रोलिंग व्यवस्था को सुदृढ़ीकरण किया जायेगा। उद्यमियों एवं व्यापारियों की सुरक्षा को और सुदृढ़ करने के लिए जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित ‘‘औद्योगिक-व्यापारिक सुरक्षा फोरम’’ को और अधिक प्रभावी बनाये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित होगी। उन्होंने बताया कि औद्योगिक संगठनों द्वारा नामित सदस्यों को ‘‘औद्योगिक-व्यापारिक सुरक्षा फोरम’’ में विशेष दर्जा देते हुये सदस्य के रूप में नियुक्त किया जायेगा।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति 2012 के सम्बन्ध में सम्बन्धित विभागों द्वारा निर्गत किये जाने वाले शासनादेशों की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के अन्तर्गत वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्ट्रीटयूट की स्थापना कराई जायेगी। ऐसे उद्योगों को विशेष सहायता उपलब्ध कराई जायेगी, जिनके द्वारा 100 से अधिक अकुशल श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराते हुये उन्हें अपने उद्योग के अनुरूप विशेष प्रशिक्षण प्रदान कराते हुुए अर्द्धकुशल एवं कुशल श्रमिक में परिवर्तित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि सेवायोजकों तथा प्रशिक्षण संस्थानों के बीच समन्यव स्थापित करने हेतु लेबर मार्केट इंफारमेशन सेल का गठन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यापारिक घराने, औद्योगिक समूह अथवा औद्याोगिक इकाई द्वारा शासकीय आई.टी.आई. अथवा पाॅंलीटेक्निक में अपने संसाधनों से कोई विशेष पाठ्यक्रम चलाये जाने हेतु प्रस्ताव दिया जाता है, तो उस पर तत्परता से कार्यवाही कर अनुमति प्रदान की जायेगी। उन्होने कहा कि आई.टी.आई., पालीटेक्निक तथा अन्य तकनीकी प्रशिक्षण संस्थानों में इण्डस्ट्रियल मैनेजमेंट कमेटी गठित कराकर ऐसे अधिकार दिये जायेंगे कि ऐसे संस्थाओं में संसाधनों की कमी न रहे तथा प्रशिक्षित कर्मियों को उद्योगों में रोजगार सुनिश्चित हो सके। आई.टी.आई., पाॅंलीटेक्निक तथा अन्य तकनीकी प्रशिक्षण संस्थानों को सार्वजनिक निजी सहभागिता के आधार पर विकसित किया जायेगा। प्रदेश में चल रहे आई.टी.आई., पाॅंलीटेक्निक तथा अन्य तकनीकी प्रशिक्षण संसाधनों को ख्याति प्राप्त औद्योगिक संस्थानों द्वारा एडाप्ट करने की अनुमति दी जायेगी।
श्री उस्मानी ने बताया कि श्रमिकों और उनके परिवार के लोगों को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्थापित अस्पतालों को केन्द्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे माॅंडल ई.एस.आई.सी. अस्पतालों के समकक्ष बनाया जायेगा। उन्होने बताया कि श्रम, पर्यावरण, कर एवं औषधि एवं खाद्य प्रशासन आदि विभाग शिकायत के आधार पर जाॅंच जिलाधिकारी की पूर्व अनुमति के आधार पर करेंगे। नये उद्यमियों को उद्यम स्थल के चयन को सुगम बनाने हेतु प्रदेश के प्रदूषण जोन को इंगित करते हुए समय-समय पर एटलस तैयार कर उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाईट पर अपलोड कराया जायेगा। हरित सूची में सम्मिलित प्रदूषण विहीन अथवा न्यून्तम प्रदूषणयुक्त उद्योगों को प्रदूषण विभाग से सहमति लेने की प्रक्रिया को सरलीकृत किया जायेगा। उन्होंने बताया कि उद्योगो को जल आपूर्ति प्राथमिकता पर उपलब्ध कराई जायेगी। इस हेतु रेन वाटर हार्वेिस्टंग, औद्याोगिक इकाइयों द्वारा उपयोगित जल की रिसाईक्लिंग एवं इन्डट्रियल वाटर यूज के लिए पेयजल से इतर पाईप लाईन बिछाने हेतु भू-गर्भ जल नीति के अनुसार प्रोत्साहित किया जायेगा।
बैठक में औद्योगिक विकास आयुक्त, डा0 अनिल कुमार गुप्ता, प्रमुख सचिव, व्यावसायिक शिक्षा, श्री आर0सी0श्रीवास्तव, सचिव वित्त, श्री एम0देवराज, सचिव ऊर्जा श्री संजय प्रसाद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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