भारतीय जनता पार्टी ने उ0प्र0 के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कल दिए गये बयान पर कटाक्ष करते हुए कहां कि आप कह रहे है अधिकारी ठीक काम नही कर है आपके पिता जी कुछ दिन पहले कहते है कि मंत्रियों को अपना आचरण सुधारना पड़ेगा। आप लोग स्वयं ही एक मत नही है। लगता है जैसे सच पर पर्दा डाला जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने अमन-चैन व सौहार्द को अपनी सरकार की प्राथमिकता बताया है। बेशक हम भी प्रदेश का विकास लोगों का जीवन स्तर अच्छा हो, भय मुक्त समाज हो चाहते है और आपकी सरकार की यह संविधान सम्मत जिम्मेदारी भी है परन्तु सरकार का अपने नेताओं, मंत्रियों पर ही नियंत्रण नहीं है तो ऐसे में मात्र अधिकारी को ही दोषी कैसे ठहराया जा सकता है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा0 बाजपेई ने कहा कि भाजपा ने आपकी सरकार को 6 माह का समय दिया था कि आप लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरे लेकिन 6 माह में ही 7 जनपदों में कफ्र्यू लगा क्यों ? अलविदा की नमाज के बाद प्रदेश की राजधानी सहित महानगरों में एक वर्ग विशेष के लोगों ने अमन चैन को ही अलविदा कह दिया था क्यों ? पूरा प्रदेश मानों उस समय अराजकता की चपेट में आ गया था। लखनऊ में लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ पत्रकारिता पर सुनियोजित हमला बोला गया। पत्रकारों को पीटा गया उनके कैमरे तोड़ दिए गए यह सब कुछ आला अधिकारियों की देख रेख में सम्पन्न हुआ क्यों ? अधिकारी सरकार से घण्टों तक कार्यवाही करने की मांग करते रहे लेकिन उनको आपने अनुमति नहीं दी क्यों। जनता और पत्रकार सरेआम पिटते रहें। हुआ कुछ नहीं क्यों ? प्रतापगढ़ की दलित लड़की के साथ गैंग रेप उसके बाद उसकी हत्या, लखनऊ जनपद के मलिहाबाद के माल पुलिस स्टेशन में एक दरोगा द्वारा महिला को थाने बुलाकर बलात्कार की कोशिश , जौनपुर में महिनों एक महिला के साथ गैंगरेप मा0 उच्च न्यायालय द्वारा न्याय के लिए हस्तकक्षेप करना क्या विधायीका और कार्यपालिका के मुहँ पर तमाचा नही है क्यों ? बिजनौर में सपा अध्यक्ष द्वारा पुलिस कर्मियो की थाने में पिटाई, पूर्व मंत्री द्वारा गोण्डा में रात बारह बजे सीएमओं के साथ बदसलूकी कर उनको जीप में लादना, कल नोएड़ा में पंजाब पुलिस द्वारा सपा नोएडा अध्यक्ष के घर अवैध हथियारों की तस्करी करने के आरोप में छापा आदि, लूट, बलात्कार, कत्ल, अशांति का निरन्तर बढ़ना इत्यादी हमें यह कहने पर मजबूर करते है कि आपकी कथनी वैसी ही लगती है जैसी कोई कारीगर अपना दोष छिपाने के लिए औजारों को दोष देता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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