राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज यहां कहा कि विकास सर्वसमावेशी होना चाहिए और विकास के रास्ते में आने वाली बाधाएं चाहें वे कानूनी हों अथवा प्रशासनिक हों, उन्हें दूर करने के लिए सबको मिलजुल कर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के विकास के लिए बाधाओं को दूर किया ही जाना चाहिए ताकि गरीबों को इसका लाभ मिल सके।
राष्ट्रपति ने यह बात आज यहां होटल ताज विवांता में दैनिक जागरण ग्रुप द्वारा आयोजित छठवें जागरण फोरम में ‘चलो आज कल बनाते हैं’ शीर्षक से आयोजित लोकतंत्र और विकास पर केन्द्रित चर्चा का शुभारम्भ करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस चर्चा के लिए निश्चित की गई विषय-वस्तु देश और काल के संदर्भ में प्रासंगिक है। हमारे देश का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा फलता-फूलता लोकतंत्र है, जिसमें 70 करोड़ मतदाता 543 प्रतिनिधियों को प्रत्येक पांच वर्ष में अथवा कम समय में भी चुनने के लिए मतदान करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें मात्र इसी तथ्य के मद्देनजर आत्म-संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि निरन्तर इसकी कमियों पर नजर डालते हुए इसमें सुधार के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं। हमारे लोकतंत्र का चैमुखी, प्रभावी और सर्वसमावेशी सतत विकास अत्यन्त आवश्यक है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में यह आवश्यक है कि विकास के लाभ समाज के निचले स्तर तक पहुंचें और इसका लाभ गरीबों, महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों को अवश्य मिले। उन्होंने कहा कि आजादी के उपरान्त भारत में वयस्क मताधिकार के रास्ते को अपनाया गया, जिसका लाभ आज हम सभी को मिल रहा है। हमारा संविधान सामाजिक, आर्थिक विकास का सबसे बड़ा अधिकारपत्र है।
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्र भारत के प्रथम बजट का आकार मात्र 293 करोड़ रुपये का था परन्तु लोकसभा में चर्चा हेतु उपलब्ध समय के 60 प्रतिशत का प्रयोग धन और वित्त की व्यवस्था के लिए प्रतिनिधियों द्वारा किया गया, इसी परिप्रेक्ष्य में आवश्यक है कि अब जब बजट का स्वरूप लाखों-करोड़ों रुपये का हो गया है तब धन और वित्त की व्यवस्था के लिए लोकसभा में प्रतिनिधियों द्वारा और अधिक समय दिए जाने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व प्रदेश के राज्यपाल श्री बी.एल. जोशी ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि लोकतंत्र और विकास पर चर्चा का आयोजन कर जागरण ने राज्य के विकास में सकारात्मक सहयोग का प्रयास किया है और इस परिचर्चा से प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने के नए मार्ग खुलेंगे।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने भी राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने लोकसभा सदस्य के रूप में लोकसभा में वित्तमंत्री के रूप में श्री प्रणब मुखर्जी को कार्य करते देखा है और उनकी कार्यप्रणाली से बहुत कुछ ग्रहण किया है कि कैसे सदन में मुद्दों को संभाला जाता है। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रपति अपने संबोधन में सरकार चलाने के संबंध में जो इंगित करेंगे, हम उससे लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि इस चर्चा में आज हमारी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं जिससे चर्चा का लाभ सरकार को मिलेगा और नीतियां बनाने में सुविधा होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सड़क, शिक्षा, अस्पताल, दवाएं और अवस्थापना विकास इन सभी क्षेत्रों में हमें सकारात्मक सुझाव की आवश्यकता है। लोगों को ये सभी चीजें चाहिए और चूंकि जनसंख्या की दृष्टि से हमारा राज्य विश्व के पांचवें बड़े राष्ट्र के बराबर है इसलिए एक बड़ी आबादी को विकास के लाभ की दरकार है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रपति द्वारा दिए गए सुझावों पर गम्भीरता से गौर करेंगे।
चर्चा का शुभारम्भ राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री द्वारा सरस्वती पूजन और दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
उपस्थित गणमान्य वक्ताओं और अतिथियों में केन्द्रीय मंत्री श्री जयराम रमेश, नेता विपक्ष राज्य सभा श्री अरूण जेटली, राज्य के प्रोटोकाॅल राज्य मंत्री श्री अभिषेक मिश्रा, पूर्व मंत्री श्री लाल जी टण्डन, मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन, प्रमुख सचिव सूचना एवं मण्डलायुक्त श्री संजीव मित्तल, पूर्व मुख्य सचिव श्री योगेन्द्र नारायण तथा अन्य महानुभाव शामिल थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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