तेज़ी से गिरते हुये भूगर्भ स्तर पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुये प्रदेश के लघु सिंचाई व पशुधन मंत्री पारस नाथ यादव ने संबंधित विभागों से ज़ोर देकर कहा है कि इस स्थिति में सुधार लाने के लिये हर सम्भव प्रयास किये जायें। उन्होंने कहा कि यदि इस दिशा में तत्काल दीर्घकालिक प्रयास नहीं किये जायेंगे तो वह दिन दूर नहीं है जब जीवनदायी जल के अभाव से जीवन दुष्कर बन सकता है। उन्होंने कहा कि गिरते हुये भूगर्भ जल स्तर में सुधार लाने हेतु सर्वाधिक ध्यान जल संचयन, विशेषकर वर्षा जल हार्वेस्टिंग की ओर दिया जाना चाहिये। भवनों, खासकर बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को हर दशा में सुनिश्चित करानी होगी।
लघु सिंचाई मंत्री विभागीय अधिकारियों के साथ गत बुधवार को यहाॅ बापू भवन में लघु सिंचाई व भूगर्भ जल विभागों द्वारा प्रदेश में संचालित किये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों व योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। खेती-किसानी में सिंचाई के महत्व को लेकर श्री यादव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि लघु सिंचाई की योजनायें इस तरह से संचालित की जायें कि उनका अधिकतम् लाभ प्रदेश के सीमांत व लघु किसानों को मिले और वे अपने उत्पादन में पर्याप्त बढ़ोत्तरी कर सकें। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत सरकार द्वारा प्रदेश के जिन 108 विकास खण्डों को अतिदोहित /क्रिटिकल घोषित किया गया है उनका पुनः सर्वे कराकर मौजूदा वस्तुस्थिति का पता लगा लिया जाये, जिससे कि उसी स्थिति के अनुरूप कार्ययोजनायें बनाकर उनका इन क्षेत्रों में कार्यान्वयन किया जा सके।
श्री यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि स्थानीय कृषकों की जरूरतों व वहाॅ की भूगर्भ जल स्थिति के अनुरूप निःशुल्क बोरिंग, पम्पसेट्स की स्थापना, गहरी बोरिंग व मध्यम गहरी बोरिंग की योजनाओं पर तत्काल कार्य प्रारम्भ कराया जाये। बैठक में जिला योजना के तहत निर्माणाधीन वाटर रिचार्जिंग प्रणाली/चेकडैम, सतही पम्पसेट, ब्लास्टवेल जैसे कार्यों की सघन समीक्षा की गयी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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